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गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

3601...'पाँच लिंकों का आनन्द' का 3600 वां अंक...

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ।

ब्लॉग जगत् में छाई हुई नीरवता के बीच आज आपका सामूहिक ब्लॉग 'पाँच लिंकों का आनन्द' अपना 3600 वां अंक आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा है। सृजन कभी संतृप्ति की चादर नहीं ओढ़ता है। रचनाधर्मिता नवीनता के साथ आयाम तलाश ही लेती है। करोना-काल के उपरांत हमारा जीवन बदल-सा गया है। हमारा नमन उन रचनाकारों को जो हर हाल में लेखन की निरंतरता को बरक़रार रखे हुए हैं अपनी सामाजिक जवाबदेही के साथ साहित्य-सेवा में रत हैं। 

'पाँच लिंकों का आनन्द' परिवार अपने सुधी पाठकों,रचनाकारों, शुभेच्छुओं,सहयोगियों का सादर आभार मानता है। हम आशा करते हैं आपका स्नेह और आशीर्वाद हमें निरंतर मिलता रहेगा।

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

घर की रोनक

कोई ना आता पास तुम्हारे

घर की बस्ती होती वहां रहने वालों से

यदि हम ना होते घर कभी घर नहीं होता

घर का कोई वजूद नहीं होता |

६८३. आइसक्रीम

मुझमें मिठास हो न हो,

उजियारा होना चाहिए,

मैं तैयार हूँ पिघलने को,

पर आइसक्रीम की तरह नहीं,

मोमबत्ती की तरह.

आसमानी बिम्ब--

शीशे की है ज़मीं, मोम सा  पिघलता आस्मां,
न जाने कौन है वजूद घेरा हुआ अंदर - बाहर,

पीपल सा पल

यूं भटका सा, इक पथिक मैं,

आकुल, हद से अधिक मैं,

जा ठहरूं, वहीं हर पल,

घनी सी छांव उसकी, करे घायल!

वो दो पल, जैसे घना सा पीपल....

मैं तो प्यार हूँ

तुम्हारा जाना

तुम्हारे जीवन में क्या लाएगा नहीं जानती

मेरा क्या है
मैं तो प्यार हूँ
मुस्कुराऊंगी और धरती मुस्कुरा उठेगी...

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति. आपका आभार

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  2. सुन्दर प्रस्तुति. आपका हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. 3600 अंक
    आभार
    इस नए कलेवर कै साथ स्वागत है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय ,
    आपके मंच हर एक अंक पीछले अंक से उमदा होता है / /

    जवाब देंहटाएं
  5. पाँच लिंकों का आनन्द' का 3600वाँ हेतु बधाई और साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!!पाँच लिंकों की 3600वीं हलचल का जादुई आँकड़ा!! बहुत खुशी का अवसर है रवींद्र जी।आपको और पाँच लिंक मंच के सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।निश्चित रूप से सभी चर्चाकारों ने मंच के लिए अपनी निस्वार्थ सेवाएँ प्रदान कर ब्लॉग जगत के सभी पाठकों को एक ध्वजा के नीचे एकजुट करने का स्तुत्य प्रयास किया है।यशोदा दीदी ने जिस बीज को बोया था वह आज वट वृक्ष बन चुका है,जिसके सानिध्य में साहित्यिक भाईचारा भली भांति फल फूल रहा है।सभी को बधाई। जो ब्लॉगर आज कल लिख नही रहे4उनसे अनुरोध है कि वे लौटें और अपने ब्लॉग के साथ साथ ब्लॉग जगत की रौनक भी बहाल हो।आजकी सुन्दर और भावपूर्ण रचनाओं के रचनाकारों को सादर नमन! इस मंच के लिए मेरी असंख्य शुभकामनाएं।साहित्य की ये महफिल यूँ ही आबाद रहे यही कामना है🌺🌺🌹🌹🙏

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  7. वाह!!पाँच लिंकों की 3600वीं हलचल का जादुई आँकड़ा!! बहुत खुशी का अवसर है रवींद्र जी।आपको और पाँच लिंक मंच के सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।निश्चित रूप से सभी चर्चाकारों ने मंच के लिए अपनी निस्वार्थ सेवाएँ प्रदान कर ब्लॉग जगत के सभी पाठकों को एक ध्वजा के नीचे एकजुट करने का स्तुत्य प्रयास किया है।यशोदा दीदी ने जिस बीज को बोया था वह आज वट वृक्ष बन चुका है,जिसके सानिध्य में साहित्यिक भाईचारा भली भांति फल फूल रहा है।सभी को बधाई। जो ब्लॉगर आज कल लिख नही रहे4उनसे अनुरोध है कि वे लौटें और अपने ब्लॉग के साथ साथ ब्लॉग जगत की रौनक भी बहाल हो।आजकी सुन्दर और भावपूर्ण रचनाओं के रचनाकारों को सादर नमन! इस मंच के लिए मेरी असंख्य शुभकामनाएं।साहित्य की ये महफिल यूँ ही आबाद रहे यही कामना है🌺🌺🌹🌹🙏

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  8. शानदार प्रस्तुति उत्कृष्ट लिंको के साथ।
    3600वां अंक ! बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं

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