दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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बुधवार, 7 दिसंबर 2022
3600 ..... ब्रहमाण्ड को हम जैसी ऊर्जा सौंपते हैं वैसी ही ऊर्जा वह हमें लौटाता है
आज का अंक अतिथि चर्चा कार प्रिय रेणु जी के द्वारा संयोजित है। आप पाठकों को समर्पित करते हुये उनका तहेदिल से स्वागत करती हूँ।
मेरे स्नेही पाठक वृन्द को मेरा सादर और सप्रेम अभिवादन !
आज पांच लिंक मंच पर अतिथि चर्चाकार के रूप में उपस्थित होकर असीम गर्व की अनुभूति हो रही है | यदि देखा जाए ब्लॉग जगत में इन दिनों लेखन बहुत कम हो रहा है |फिर भी कई लोग हैं जो नियमित और सार्थक लेखन कर रहे हैं |उन्हीं में से कुछ रचनाएं लेकर आपके समक्ष उपस्थित हूँ | आशा है आप सबको पसंद आएँगी |
शोध बताते हैं कि ब्रहमाण्ड को हम जैसी ऊर्जा सौंपते हैं वैसी ही ऊर्जा वह हमें लौटाता है। हमारे शब्दों में यदि आभार हो तो वे शब्द हमारे जीवन को करुणा, दया और प्रेम से भरकर अन्तर्मन की शुद्धि को प्रेरित करते हैं।इसी आभार को सहेजने और आत्मशुद्धि हेतु जन्म हुआ आभार डायरी यानि Gratitude journal का ।
प्रिय अनंता सिन्हा की आभार डायरी का एक पन्ना
अपनी स्नेही और कर्मयोगी नानी ( जिन्हें वे प्यार से न
जब नदी के विशाल हृदय में आसमान प्रतिबिंब रूप में उतरता है तो उसके साथ बादल और चाँद भी अपनी मोहक अठखेलियों के साथ नदी के निर्मल जल में अपने बहुरंगी अस्तित्व को घोल कर नये रूप में प्रकट होते हैं।जिसके आभासी स्पर्श से बतखें ,पेड़ ,फूल ,मछलियाँ भावविभोर होते हैं तो नदी इस आनन्द की मौन साक्षी बनती है।गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी की भावपूर्ण रचना में पढिये कि कितना मनमोहक है आसमान का नदी हो जाना ---
माता-पिता के दिए नाम नन्द राम दास से बने कवि बालबैरागी जी के बहु आयामी व्यक्तित्व के बारे में विस्तार से जानने के लिए एक अनमोल लेख ब्लॉग ' एकोहम' से , जिसमें बैरागी कवि की उपलब्धियों भरी जीवन यात्रा का रोचक और भावपूर्ण वर्णन है वो भी उन्ही के द्वारा |
कहा जाता है राजनीति में दुश्मनों की और साहित्य में ईर्ष्यालुओं की संख्या जितनी ज्यादा होती है, व्यक्ति उतना ही अपने क्षेत्र में कामयाब माना जाता है।
मेरे माता-पिता अच्छे गायक थे। घर में संगीत का वातावरण था। पिताजी छोटी सारंगी (चिकारा) अच्छा बजाते थे। माँ के पास लोकगीत और सन्त गीत थे। सारा घर सुर में था। मैं कभी पिताजी और माँ के साथ गाया करता था। स्कूल के मंचों पर तो मैं चौथी-पाँचवीं कक्षा से ही आ चुका था। अपनी पहली कविता ‘भाई सभी करो व्यायाम’ अपनी चौथी क्लास में, 9 वर्ष की आयु में ही लिखकर अन्तर्कक्षा प्रतियोगिता में मैं अपनी कक्षा का प्रतिभागी प्रतिनिधि बना। चूँकि यह ‘भाषण प्रतियोगिता’ थी, सो तकनीकी तौर पर मेरी कक्षा हार गई, पर मुझे कविता के कारण पहला पुरस्कार मिल गया था। यह सन् 1940 या 41 का वर्ष था।
जीवन को अलग नजरिये से देखती भावपूर्ण
रचनाओं का अभिनव संग्रह है शान्तनु सान्याल जी का सुन्दर ब्लॉग 'अग्निशिखा'।उन्ही के ब्लॉग से जीवन की निस्सारता पर, दुनिया की सार्वभौम उदासीनता को उजागर करती एक रचना।जिसमें कवि मन के गहन नैराश्य भाव की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है।कहाँ कोई मिट गये लम्हों को सहेजता है--आत्ममुग्धता में जी रहे लोगों का यही सच है।
मनोज कायल जी की रचनाओं में प्रेम के संयोग-वियोग की सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति मिलती है।उनकी रचनाएँ मोहक शिल्प में गढी गई हैं जिन्हें पढ़कर सदैव अच्छा लगता है। भावनाओं को विस्तार देती हुई उनकी नयी रचना
जब भी हम निराशा से घिर जाते हैं उसी के मध्य आशा की प्रबलता जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।जैसे रात के बाद सवेरा उगता है उसी तरह मायूसी के तम को हरने उम्मीदों का जगमगाता ज्योति पुंज उपस्थित हो जाता है।एक प्रेरक भावों की रचना
ओशो एक उच्च कोटि के चिंतक और दार्शनिक रहे हैं।साहित्य, धर्म , आध्यात्म के साथ-साथ शायद ही कोई ऐसा विषय हो जिस पर उनके सारगर्भित विचार उपलब्ध ना हों।उनके विचारों की गहनता में डूब कर हर जिज्ञासु को परमानंद की अनुभूति होती है।यदि उन्होने कथित रूप से उन्मुक्त आचरण को अपनी आध्यात्मिकता का अहम हिस्सा ना बनाया होता तो संभवतःवे सदी के एक महान चिंतक कहलाये जाते।
कहा जाता है कि अपने लगभग 58 साल के लघु जीवन में उन्होनें लगभग एक लाख किताबें पढ़ी।आश्चर्य की बात है कि इतनी पुस्तकें पढ़ने के बावजूद उन्हें कभी आँखों पर चश्मा नहीं पहनना पढ़ा।जब उत्तम पाठक और विचारक ओशो से हिन्दी साहित्य के सुकुमार कवि प्रश्न करते हैं कि उनके सबसे प्रिय 12 लेखक कौन से हैं तो 12 से भारतीय संस्कृति के 4 आधार स्तम्भों तक का एक वह अत्यंत रोचक और भावप्रवण वार्तालाप,जिसे ओशो की जादुई वाणी ने और भी मोहक बना दिया है, मुझे लगता है कि हर साहित्य प्रेमी और जिज्ञासु को ये प्रसंग हर हाल में सुनना चाहिये।
इसके साथ ही प्रिय पम्मी जी को बेटे के विवाह की बधाई और शुभकामनाएं ।इस अंक पर सबकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
शुभ प्रभात सभी को अप्रतिम रचनाओं का चयन किया सखी रेणु आपने सुंदर झालरों से सजाया सखी श्वेता आपने अब आपका काम अभी बाकी है सभी रचनाकारों को सूचित कीजिए आङार सादर
प्रिय रेणु , हर रचना का समीक्षात्मक विश्लेषण पढ़ लिया । अभी पढ़ना बाकी है । निश्चय ही हर रचना अपना समय माँगेगी , तो ज़रा फुरसत के क्षणों में इस प्रस्तुति का आनंद लिया जाएगा । एक सुझाव ---- ये आपका अपना मंच है । अतिथि के रूप में नहीं इसका हिस्सा बन कर आइए । इस प्रस्तुति के लिए आभार ।
आदरणीया मैम, सादर प्रणाम । आज आपके द्वारा इस सुंदर और विविध प्रस्तुति में आपनी रचना को सम्मिलित देख कर आनंदित हूँ । आपका अनेकों बार आभार । आपने सदैव ही मेरा प्रोत्साहन किया है, आज मेरे इस लेख पर आपके स्नेहिल उत्साहवर्धक शब्द मेरे लिए आपका आशीष हैं । हर एक रचना अत्यंत सुंदर व रुचिकर है और मन को प्रेरित करने वाली है । आपकी लिखी समीक्षाएं प्रस्तुति को और भी सुंदर और मधुर बनाती हैं । अंत में भारतीय संस्कृति और साहित्य पर दार्शनिक ओशो जी के विचारों ने बहुत ज्ञान बढ़ाया और भारतीय संस्कृति के बारे में एक नया नजरिया हमें दिया । आप सबों को पुनः प्रणाम ।
बहुत त ही उत्कृष्ट रचनाओं से सजी हुई यह पोस्ट पठनीय है. सभी रचनाएँ पढ़ी. आनन्द आगया. मेरी रचना को भी इस स्तरीय पोस्ट का हिस्सा बनाया है बहुत धन्यवाद रेणु जी. इसी वजह से मैं कुछ अच्छी रचनाएँ पढ़ सकी. ब्लाग लेखन को बढ़ावा देने का यह प्रयास प्रशंसनीय है.
आदरणीया रेणु दीदी की प्रस्तुति में रचनाओं का चयन प्रशंसनीय है। विश्लेषण करती टिप्पणियों ने प्रस्तुति को बेहतरीन बना दिया है। पाठक और रचनाकार दोनों को प्रभावित करती है व्याख्या करती टिप्पणी। सादर नमन ,सादर आभार।
उत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब प्रस्तुति तैयार की है आपने रेणु जी ! प्रत्येक लिंक पर आपकी समीक्षा उसे और भी पठनीय बना रही है एवं अन्त में सुप्रसिद्ध रहस्यदर्शी, विचारक एवं आध्यात्मिक गुरु ओशो के ज्ञानवर्धक वीडियो ने प्रस्तुति को और भी रोचक बना दिया। अतिथिरूप में प्रथम बार ही इतनी सार्थक एवं श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए आपका सफलतम प्रयास वाकई सराहनीय है ।
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शुभ प्रभात सभी को
जवाब देंहटाएंअप्रतिम रचनाओं का चयन किया सखी रेणु आपने
सुंदर झालरों से सजाया सखी श्वेता आपने
अब आपका काम अभी बाकी है
सभी रचनाकारों को सूचित कीजिए
आङार
सादर
हार्दिक आभार प्रिय दीदी 🙏🙏
हटाएंप्रिय रेणु ,
जवाब देंहटाएंहर रचना का समीक्षात्मक विश्लेषण पढ़ लिया । अभी पढ़ना बाकी है । निश्चय ही हर रचना अपना समय माँगेगी , तो ज़रा फुरसत के क्षणों में इस प्रस्तुति का आनंद लिया जाएगा ।
एक सुझाव ---- ये आपका अपना मंच है । अतिथि के रूप में नहीं इसका हिस्सा बन कर आइए । इस प्रस्तुति के लिए आभार ।
मैं भी उत्सुक थी, की आकर प्रस्तुति बनाए,
हटाएंसादर नमन
जी प्रिय दीदी,अभी थोड़ी व्यस्तायें हैं पर भविष्य में जरुर स्थायी रूप से जुड़ने का प्रयास करूँगी।हार्दिक आभार और प्रणाम 🙏🙏
हटाएंप्रिय बहन रेनू जी हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं हमारी रचना को मंच पर प्रस्तुत करने के लिए, सुन्दर रचनाओं का चयन किया है आपने, पुनः हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआभार, आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए
हटाएंसादर
जी प्रिय उर्मि दीदी आपका हार्दिक स्वागत है 🙏🙏
हटाएंअत्यंत सार्थक, शिक्षाप्रद और चित्ताकर्षक प्रस्तुति! अतिथि, फिर कब आओगे!!!😄🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंजी आदरनीय विश्वमोहन जी, अब आना जाना लगा रहेगा। उत्साहवर्द्धन के लिए हार्दिक आभार आपका 🙏🙏
हटाएंसुंदर पठनीय रचनाओं से सज्जित आज का अंक ! प्रिय रेणु जी का बहुत आभार ! रचनाकारों को बधाई !
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा जी, हार्दिक स्वागत है आपका 🙏
हटाएंआदरणीया !
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन !
जय श्री कृष्ण जी !
हार्दिक अभिनंदन है तरुण जी 🙏🙏
हटाएंजय श्री राधे
जवाब देंहटाएंशानदार चयन
कोई कार्य न हो तो अगले मंगल को आप सादर आमंत्रित हैं
मंगलवार के लिए आपको सोमवार को लिंक चयन करना होगा
सादर
जी बडे भैया, आपका आदेश सर माथे।आभार और प्रणाम 🙏🙏
हटाएंआदरणीया मैम, सादर प्रणाम । आज आपके द्वारा इस सुंदर और विविध प्रस्तुति में आपनी रचना को सम्मिलित देख कर आनंदित हूँ । आपका अनेकों बार आभार । आपने सदैव ही मेरा प्रोत्साहन किया है, आज मेरे इस लेख पर आपके स्नेहिल उत्साहवर्धक शब्द मेरे लिए आपका आशीष हैं । हर एक रचना अत्यंत सुंदर व रुचिकर है और मन को प्रेरित करने वाली है । आपकी लिखी समीक्षाएं प्रस्तुति को और भी सुंदर और मधुर बनाती हैं । अंत में भारतीय संस्कृति और साहित्य पर दार्शनिक ओशो जी के विचारों ने बहुत ज्ञान बढ़ाया और भारतीय संस्कृति के बारे में एक नया नजरिया हमें दिया । आप सबों को पुनः प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंइस स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार और स्नेह प्रिय अनंता ♥️
हटाएंबहुत त ही उत्कृष्ट रचनाओं से सजी हुई यह पोस्ट पठनीय है. सभी रचनाएँ पढ़ी. आनन्द आगया. मेरी रचना को भी इस स्तरीय पोस्ट का हिस्सा बनाया है बहुत धन्यवाद रेणु जी. इसी वजह से मैं कुछ अच्छी रचनाएँ पढ़ सकी. ब्लाग लेखन को बढ़ावा देने का यह प्रयास प्रशंसनीय है.
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन है आपका गिरिजा जी 🙏🙏
हटाएंआभार दीदी
जवाब देंहटाएंऐसे ही प्रोत्साहित करते रहें
सादर
आदरणीया रेणु दीदी की प्रस्तुति में रचनाओं का चयन प्रशंसनीय है। विश्लेषण करती टिप्पणियों ने प्रस्तुति को बेहतरीन बना दिया है। पाठक और रचनाकार दोनों को प्रभावित करती है व्याख्या करती टिप्पणी। सादर नमन ,सादर आभार।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति और स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ रवींद्र भाई।🙏
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब प्रस्तुति तैयार की है आपने रेणु जी ! प्रत्येक लिंक पर आपकी समीक्षा उसे और भी पठनीय बना रही है एवं अन्त में सुप्रसिद्ध रहस्यदर्शी, विचारक एवं आध्यात्मिक गुरु ओशो के ज्ञानवर्धक वीडियो ने प्रस्तुति को और भी रोचक बना दिया।
जवाब देंहटाएंअतिथिरूप में प्रथम बार ही इतनी सार्थक एवं श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए आपका सफलतम प्रयास वाकई सराहनीय है ।
हार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय सुधा जी ♥️
हटाएंरेणु जी, रचनाओं का चयन और उनकी भूमिका, दोनों ही श्रेष्ठ हैं !!
जवाब देंहटाएंआप जैसे अतिथि की प्रतीक्षा बारंबार रहेगी🙏।
आपका हार्दिक स्वागत है प्रिय रश्मि जी।🙏
जवाब देंहटाएंसारगर्भित प्रस्तुति, रचना चयन बहुत उम्दा। बधाई आपको
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