पैदल चलना भूल आज दिसंबर तक अक ऊँची छलांग लगा गया
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रविवार, 4 दिसंबर 2022
3597 ...काल चक्र की वक्र गुफा से, गुंजित मैं निर्भीक उद्घोष हूं
पैदल चलना भूल आज दिसंबर तक अक ऊँची छलांग लगा गया
16 टिप्पणियां:
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जवाब देंहटाएंआभार अनीता जी
हटाएंआप आई
अच्छा लगा
सादर
रश्मि ठाकुर जी के ब्लॉग से चयनित ये सभी रचनाएँ कला एवं दर्शन का अद्भुत समन्वय हैं।
जवाब देंहटाएंआभार सखी मीना जी
हटाएंसादर
आभार और धन्यवाद
हटाएंएक बार फिर से अपनी स्थापना के लक्ष्य को पूर्ण करता पाँच लिंक मंच आज रश्मि जी ठाकुर की रचनाओं के साथ सुसज्जित है।इस मंच का किसी भी ब्लॉग को स्नेही पाठको तक पहुँचाने का प्रयास सचमुच स्तुत्य है। रश्मि जी चिकित्सकीय सेवाओं से जुड़े होने के बावजूद भी साहित्य में रूचि रखती हैं।मेरा सौभाग्य मेरी फेसबुक पर उनसे संदेश के जरिये बात हुई।तभी मैने जाना कि उनकी दिवंगत माता जी पटना विश्वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा की प्रोफेसर रही हैं।उन्ही से रश्मि जी को ये साहित्य प्रेम संस्कार रूप में मिला।कविता लिखने में उनकी अपनी शैली अपने भाव हैं। नवीन विषयों पर सूक्ष्म संवेदनाओं की अभिव्यक्ति उनकी कविताओं को मौलिकता प्रदान करती है।इसी वर्ष स्थापित हुये उनके इस नवीन ब्लॉग पर उनकी कविताएँ रोचक और भावपूर्ण हैं।आज का दिन रश्मि जी के नाम रहा।उन्हें ढेरों शुभकामनाएं और बधाई।माँ शारदे उनकी लेखनी पर अपनी अनुकम्पा बनाये रखें यही कामना है।आपको और पाँच लिंक मंच को हार्दिक आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए 🙏
जवाब देंहटाएंआभार सखी रेणु
हटाएंपरिचय प्राप्त कर अभिभूत हुई
सादर नमन डॉ. ठाकुर को
तअआज़्ज़ुब होता है
स्वास्थ सेवी डॉ. ठाकुर
संवेदन शील मन भी रखती हैं
आगे भी रचना पढ़वाएँगी वे
सादर
रेणु जी, आपसे कभी मिली नहीं, लेकिन आपकी रचनाओं और लेखन द्वारा आपको ऐसे जान गई हूँ जैसे पुराना कोई रिश्ता हो।
हटाएंमेरे प्रति आपका प्रेम और उदारता ,आपके द्वारा दिये गए मेरे परिचय में नज़र आता है।
अत्यंत आभार और नमन।
यशोदा जी,एक पूरा अंक अपने नाम देख मैं अचंभित हूँ।मुझ जैसे नौसीखिए को आपने जो प्रेम और गौरव प्रदान किया है ,उसके लिए हृदय से आभार और धन्यवाद। साहित्य से प्रेम ,मुझे अपने माता पिता से विरासत में मिला है, लेकिन ये आप जैसे गुणीजनों का प्रोत्साहन है,जो मुझे इस पड़ाव तक ले आया है। अपने पेशे की व्यस्तता के कारण चाह कर भी ,इस ओर ज़्यादा समय नही पाती।
जवाब देंहटाएंआप सबों का हाथ मेरे सर पर सदा बना रहे।
सादर 🙏
आदरणीय डॉ. दीदी
हटाएंकाश मैं आपसे बात कर पाती
कैंसर की वजह से में अपनी वाकशक्ति खो चुकी हूँ
आपने सराहा, अच्छा लगा
ब्लॉग को फॉलो कीजिए
रोज होते रहती है हलचल
सादर
बात बिल्कुल कर सकती हैं...ब्लॉग, ईमेल, व्हाट्सएप...कई माध्यम हैं।😀
हटाएंवाह! हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर समान अधिकार रखने वाली और दोनों ही भाषाओं में अपनी अद्भुत भाव प्रवण रचनाओं से पाठकों को बांध देनेवाली विलक्षण प्रतिभा की धनी साहित्यकार डा० रश्मि की रचनाओं की हलचल बहुत मोहक लगी। बधाई और शुभकामनाएं!!!
जवाब देंहटाएंआभार भैय्या जी
हटाएंपाटलीपुत्र ने हीरे दिए हैं साहित्य जगत को
बस वे लिखती रहें और हम पढ़ते-पढवाते रहें
सादर नमन
साहित्य में रुचि है,साहित्यकार नहीं हूँ !! सहृदय धन्यवाद और आभार।🙏😀
हटाएंडॉ. रश्मि जी के लेखन की कायल हूँ शुरू से ही...आज उनके बारे में आप सभी से विस्तृत जानकारी मिली । पेशे की व्यस्तता के बावजूद साहित्य से लगाव एवं निरन्तरता देख स्वयं को व्यस्त कहने एवं समयाभाव जैसे शब्द अब निपट बहाने मात्र लग रहे हैं एवं संकोच भी हो रहा अपने ऊपर ।
जवाब देंहटाएंआभार यशोदा जी ! ऐसी शख्सियत से परिचय करवाने हेतु ।
सुधा जी, आप लोगों का बड़प्पन और स्नेह है ! आभार और धन्यवाद।
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