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रविवार, 4 दिसंबर 2022

3597 ...काल चक्र की वक्र गुफा से, गुंजित मैं निर्भीक उद्घोष हूं

सादर नमस्कार
दिसंबर की सुहानी सुबह
मैं परिचय करवा रही हूँ
डॉ. रश्मि ठाकुर से
आपसे मैं भी परिचित नहीं हूँ
प्रस्तुत है प्रथम पूज्य के चित्र के साथ प्रथम रचना



मालिक से नज़रें बचा कर,
कुछ डरे और कुछ सकुचा कर,
धरती का एक छोटा टुकड़ा,
मैं चुरा ले आयी हूँ।
रिक्शा वाले पड़ोसी से,
कुछ आसमान मांग लायी हूँ।
तुम्हारा आना जो तय है,



पर यादों के धागे
कायनात के लम्हें की तरह होते हैं
मैं उन लम्हों को चुनूँगी
उन धागों को समेट लूंगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं



रुको !दो घड़ी,
कुछ सांस ले लें,
हम भी, तुम भी,
कुछ गुफ्तगू कर लें,
हम भी,तुम भी
आगे भी क्या बेदम दौड़ना है?
या फिर समय की गति को तोड़ना है?



मन के किसी कोने से निकल आते हैं,
दबे पांव...शब्द!
कुछ छोटे,कुछ बड़े,
कुछ सीधे, कुछ पड़े,
कुछ नए,कुछ पुराने,
कुछ जाने,कुछ अनजाने,
कुछ शराफत से पंक्ति में बैठ जाते हैं,
कुछ शरारत से इधर उधर भागते हैं,
पकड़ती हूँ,पर फिसल जाते हैं,
कुछ मुँह चिढ़ा कर निकल जाते हैं,
ढूढ़ती हूँ ,पुचकारती हूँ,




Leaf by leaf the pain dripped ,
Baring brown and foliage stripped,
My suitcases packed, I went away,
To join ,what life held in fray.
The tree wept.



मैं न जानूं, पर पर मेरे,
सौभाग्य सदा संग चलता है।
नाविक के तीर कमानों में,
हिंसा का हलाहल पलता है।
काल चक्र की वक्र गुफा से,
गुंजित मैं निर्भीक उद्घोष हूं।
इस मेले में चले अकेला,
मैं निस्पृह-सा अल्बाट्रोस हूं।

 मई 2022 में प्रसवित ये ब्लॉग
पैदल चलना भूल 
आज दिसंबर तक अक ऊँची छलांग लगा गया
मेरे सभी ब्लॉगर साथियों की प्रतिक्रियाएं पढ़ी मैंने इस ब्लॉग में
डॉ. ठाकुर अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है

आज इतना ही
सादर

16 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं के सूत्रों से सजी सुंदर हलचल!

    जवाब देंहटाएं
  2. रश्मि ठाकुर जी के ब्लॉग से चयनित ये सभी रचनाएँ कला एवं दर्शन का अद्भुत समन्वय हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. एक बार फिर से अपनी स्थापना के लक्ष्य को पूर्ण करता पाँच लिंक मंच आज रश्मि जी ठाकुर की रचनाओं के साथ सुसज्जित है।इस मंच का किसी भी ब्लॉग को स्नेही पाठको तक पहुँचाने का प्रयास सचमुच स्तुत्य है। रश्मि जी चिकित्सकीय सेवाओं से जुड़े होने के बावजूद भी साहित्य में रूचि रखती हैं।मेरा सौभाग्य मेरी फेसबुक पर उनसे संदेश के जरिये बात हुई।तभी मैने जाना कि उनकी दिवंगत माता जी पटना विश्वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा की प्रोफेसर रही हैं।उन्ही से रश्मि जी को ये साहित्य प्रेम संस्कार रूप में मिला।कविता लिखने में उनकी अपनी शैली अपने भाव हैं। नवीन विषयों पर सूक्ष्म संवेदनाओं की अभिव्यक्ति उनकी कविताओं को मौलिकता प्रदान करती है।इसी वर्ष स्थापित हुये उनके इस नवीन ब्लॉग पर उनकी कविताएँ रोचक और भावपूर्ण हैं।आज का दिन रश्मि जी के नाम रहा।उन्हें ढेरों शुभकामनाएं और बधाई।माँ शारदे उनकी लेखनी पर अपनी अनुकम्पा बनाये रखें यही कामना है।आपको और पाँच लिंक मंच को हार्दिक आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए 🙏

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    1. आभार सखी रेणु
      परिचय प्राप्त कर अभिभूत हुई
      सादर नमन डॉ. ठाकुर को
      तअआज़्ज़ुब होता है
      स्वास्थ सेवी डॉ. ठाकुर
      संवेदन शील मन भी रखती हैं
      आगे भी रचना पढ़वाएँगी वे
      सादर

      हटाएं
    2. रेणु जी, आपसे कभी मिली नहीं, लेकिन आपकी रचनाओं और लेखन द्वारा आपको ऐसे जान गई हूँ जैसे पुराना कोई रिश्ता हो।
      मेरे प्रति आपका प्रेम और उदारता ,आपके द्वारा दिये गए मेरे परिचय में नज़र आता है।
      अत्यंत आभार और नमन।

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  4. यशोदा जी,एक पूरा अंक अपने नाम देख मैं अचंभित हूँ।मुझ जैसे नौसीखिए को आपने जो प्रेम और गौरव प्रदान किया है ,उसके लिए हृदय से आभार और धन्यवाद। साहित्य से प्रेम ,मुझे अपने माता पिता से विरासत में मिला है, लेकिन ये आप जैसे गुणीजनों का प्रोत्साहन है,जो मुझे इस पड़ाव तक ले आया है। अपने पेशे की व्यस्तता के कारण चाह कर भी ,इस ओर ज़्यादा समय नही पाती।
    आप सबों का हाथ मेरे सर पर सदा बना रहे।
    सादर 🙏

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    उत्तर
    1. आदरणीय डॉ. दीदी
      काश मैं आपसे बात कर पाती
      कैंसर की वजह से में अपनी वाकशक्ति खो चुकी हूँ
      आपने सराहा, अच्छा लगा
      ब्लॉग को फॉलो कीजिए
      रोज होते रहती है हलचल
      सादर

      हटाएं
    2. बात बिल्कुल कर सकती हैं...ब्लॉग, ईमेल, व्हाट्सएप...कई माध्यम हैं।😀

      हटाएं
  5. वाह! हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर समान अधिकार रखने वाली और दोनों ही भाषाओं में अपनी अद्भुत भाव प्रवण रचनाओं से पाठकों को बांध देनेवाली विलक्षण प्रतिभा की धनी साहित्यकार डा० रश्मि की रचनाओं की हलचल बहुत मोहक लगी। बधाई और शुभकामनाएं!!!

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    उत्तर
    1. आभार भैय्या जी
      पाटलीपुत्र ने हीरे दिए हैं साहित्य जगत को
      बस वे लिखती रहें और हम पढ़ते-पढवाते रहें
      सादर नमन

      हटाएं
    2. साहित्य में रुचि है,साहित्यकार नहीं हूँ !! सहृदय धन्यवाद और आभार।🙏😀

      हटाएं
  6. डॉ. रश्मि जी के लेखन की कायल हूँ शुरू से ही...आज उनके बारे में आप सभी से विस्तृत जानकारी मिली । पेशे की व्यस्तता के बावजूद साहित्य से लगाव एवं निरन्तरता देख स्वयं को व्यस्त कहने एवं समयाभाव जैसे शब्द अब निपट बहाने मात्र लग रहे हैं एवं संकोच भी हो रहा अपने ऊपर ।
    आभार यशोदा जी ! ऐसी शख्सियत से परिचय करवाने हेतु ।

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  7. सुधा जी, आप लोगों का बड़प्पन और स्नेह है ! आभार और धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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