नमस्कार ..... ! आज रविवार को पुनः मित्रता दिवस है ....... लगता है कि लोगों को बार बार याद कराया जाता है कि मित्रता कितनी अहमियत रखती है जीवन में ...... लेकिन सच्चे मित्र में क्या क्या गुण होने चाहिए उसका एक जायजा लेते हैं इस रचना में ....
दोस्त वही जो ढाल बने
उर से उर की तार मिले
दुख-सुख में सौ बार मिले
दोस्त वही जो ढाल बने
दुश्मन के लिए तलवार बने.
जहाँ दोस्ती की बात होती है वहां हमारे मन मस्तिष्क में कुछ पौराणिक पात्रों के नाम आते हैं , जैसे कृष्ण सुदामा ..... कृष्ण और द्रौपदी ..... चीर हरण के समय जहाँ द्रौपदी के पतियों ने उसे चौसर खेल में दांव पर लगा दिया था वहीँ कृष्ण ने उनकी लाज बचायी थी ..... और आज भी हर स्त्री याद करती है कृष्ण को कि काश वो उनकी भी मदद करें ....
यक्ष प्रश्न
गोविन्द शायद सुदूर स्वर्ग के
प्रेक्षागृह की दर्शकदीर्घा में बैठे
बेचैनी से पहलू बदल रहे हों
लेकिन किसीका चीर बढ़ा कर
उसकी लाज नहीं बचा पाते,
अब ये तो रहस्य ही है कि कृष्ण आखिर आते क्यों नहीं किसी की लाज बचाने ...... मुझे तो लगता है हर एक की ज़िन्दगी रहस्यों से भरी पड़ी है .....एक उदाहरण देखिये ....
अमावस
मैं अंजुरी में तड़प भरने लगी
सन्नाटे के
छंद और चौपाइयां
फुसफुसाने लगे
चाँद के अनगिनत
टुकड़ों को समेटने लगी
एक सुरक्षित एकांत भरने लगी|
ओह ! कितनी हो गयीं न दर्द की बातें ..... वैसे दर्द न हो तो सुख का भी क्या पता चले ...... वैसे लोग तो ज़िन्दगी का फलसफा लिखते हैं ........ लेकिन आज मैंने पढ़ा उम्र का फलसफा ....... आप भी पढ़िए ...
फ़लसफा - लम्बी उम्र का ...
माँगता है इन्सान दुआ लम्बी उम्र की
पर नहीं समझ पाता कौन सी उम्र
ढल जाता है बचपन नासमझी में
बीत जाती है जवानी तय शुदा साँसों में
ओ मेरे देश !
तेरे आँचल में जन्म लिया और
तेरी हवाओं ने पाला हमको
तेरी माटी में पले, खेले
तेरी फ़िज़ाओं ने सम्भाला हमको !
इस महोत्सव के साथ ही बहुत से त्यौहार हम मानाने जा रहे हैं और त्यौहार पर मिठाई न हो तो सब अधूरा है .....तो लीजिये मिठाई के रूप में कमल खिलाईये और खाइए .....
बिना गैस जलाए बनाये काजू लोटस मिठाई
धर बल, अगले पल चल जीवन
जो है प्रवर्त, क्षण प्राप्त वही,
तन मन गतिमयता व्याप्त अभी,
गति ऊर्ध्व अधो अनुपात सधी,
आगत श्वासों का आलम्बन,
धर बल, अगले पल चल जीवन।
आज कल ब्लॉग पर और फेसबुक पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है ...... बहुत सुन्दर लिखा जा रहा है ....... लेकिन फिर भी न जाने क्यों एक उदासी सी छा जाती है कभी कभी ....... और ऐसे ही लम्हों में कोई रच लेता है एक सच्चाई उजागर करती रचना ....
मैं नहीं लिखती इन दिनों कोई कविता .
ब्रेकअप,लिखने से मिलते है पुरस्कार
"विरह गीत" लिखने पर
शब्द उपहास से नजर आते हैं
सेन्टरी नेपकिन से जो मूल्य भर जाता है
लिखी हुई कविता में
"स्त्री तकलीफ "में वो दर्द कम कर जाते हैं
सही कटाक्ष किया है ......... आज आज़ादी के ७५ वर्ष पूरे होने को हैं लेकिन आज भी हम भाषा के क्षेत्र में आज़ाद नहीं हो पाए ....... चलिए उम्मीद पर दुनिया कायम है ...... उम्मीद की बात चली है तो देखिए ज़रा दोस्तों से क्या उम्मीद की जा रही है ....
ऐ दोस्त
अबके जब आना न
तो ले आना हाथों में
थोड़ा सा बचपन
घर के पीछे बग़ीचे में खोद के
बो देंगे मिल कर
इसी के साथ आज की हलचल समाप्त करती हूँ ....... फिर मिलेंगे अगले सोमवार को कुछ नए सूत्रों के साथ ........ नमस्कार
जय हिन्द
संगीता स्वरुप .
असाधारण अंक
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
आभार यशोदा
हटाएंविविधताओं को समेटे हमेशा की तरह सुंदर अंक!!!
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन का काम करती है ।
हटाएंबेहतरीन सूत्रों के साथ लाजवाब संकलन ।जितने भी सूत्र अभी तक पढ़े एक से बढ़ कर एक हैं । सादर सस्नेह वन्दे आ . दीदी !
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना ,
हटाएंसस्नेह आभार ।।
बेहतरीन लिंक..... आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंबढ़िया लिंक दिए आपने, आभार
जवाब देंहटाएंआपकी श्रमसाध्य परिश्रम को नमन।
जवाब देंहटाएंविविधता, रोचकता, और ज्ञानवर्धक लिंक्स साथ ही आपके विश्लेषण।
सबकुछ बहुत शानदार।
अनंत शुभकामनाएं और सादर साधुवाद।
सादर।
आपकी जानदार टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।
हटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार कविता जी ।।
हटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए नमन।विविधताओं से भरी ..बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंप्रिय पम्मी ,
हटाएंतहेदिल से शुक्रिया ।
जय हिन्द
जवाब देंहटाएंवन्दन
अद्धभुत प्रस्तुति
आभार विभा जी ।
हटाएंदोस्ती जिंदाबाद। बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंज़िंदाबाद !!! बहुत शुक्रिया ।
हटाएंवाह!सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंआभार शुभा ।
हटाएंआपका बहुत बहुत आभार रचना को सम्मान देने के लिये
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन अँक…विविध रंगों से सजी वैविध्यपूर्ण प्रस्तुति…आपके परिश्रम व लगन को नमन है…कुछ पोस्ट पर गई कुछ बाकी हैं…मेरी रचना को भी शामिल करने का हृदय से आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबाकी पर भी जाएँ । आभार ।
हटाएंबहुत खूबसूरत मनोहारी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदोस्ती दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनाएं
शुभकामनाएँ और आभार ।
हटाएंमनभावन लिंकों से सुसज्जित बेहतरीन अंक। मेरी रचना को इस अंक का हिस्सा बनाने के लिए शुक्रिया और आभार।
जवाब देंहटाएंआप ब्लॉग पर लिखती रहें और यहाँ हलचल का हिस्सा हम सब बना ही देंगे । 😍😍
हटाएंशुक्रिया
विविधताबसे परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक।सभी सूत्र सुंदर और पठनीय। व्यस्तता में अभी कुछ रचनाएँ ही पढ़ पाई । पढ़ूंगी ज़रूर।
जवाब देंहटाएंआपके श्रमवको मेरा नमन और वंदन। सादर शुभकामनाएं।
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंतुम्हारे लिखने और पढ़ने की लगन देख मैं नतमस्तक हूँ । आभार ।
जी दी,
जवाब देंहटाएंदिवसों की भीड़ में भावनाओं का बाज़ार सजाया जाने लगा है,
प्रदर्शन का दौर है प्रेम भी नीलामी में लगाया जाने लगा है ।
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कितनी सुगढ़ता से आप सभी रचनाओं को एक दूसरे से जोडकर खूबसूरत कोलाज तैयार करती है दी ।
दो रचनाओं के बीच लिखी आपकी समीक्षा रचनाओं को विशेष बना देती है।
रचनाओं के लिए क्या कहें
दी सभी बेहतरीन हैं
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नहीं लिखती इन दिनों कोई कविता
दोस्त
कुछ अनसुलझा सा
यक्ष प्रश्न
नदी की ख़ामोशियों में सुनती हूँ
अमावस रातों में छटपटाती हूँ
पर फिर अनायास सोचती हूँ
धर,बल अगले पल चल जीवन...।
जहाँ रह रही हूँ
भारत में वहाँ
सिल-लोढा,चकरी की बातें
और स्त्री पुरूष की सेहत से बेपरवाह
कभी-कभी
बिना गैस जलाये बनाई जाती है
काजू लोटस मिठाई
शायद यही फलसफ़ा है लंबी उम्र का...।
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स्वतंत्रता दिवस विशेषांक की प्रतीक्षा में
सप्रेम प्रणाम दी।
जयहिंद।
प्रिय श्वेता
हटाएंहर रचना के शीर्षक को आने शब्दों के धागे में पिरो कर जो माला बनाई है वो अप्रतिम है ।
दिवसों की भीड़ में भावनाओं का बाज़ार सजाया जाने लगा है,
प्रदर्शन का दौर है प्रेम भी नीलामी में लगाया जाने लगा है।
सही कहा , आज कल सबका बाज़ारीकरण हो रहा है ,
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार ।
दोस्त वही जो ढाल बने-भारती दास
जवाब देंहटाएंयक्ष प्रश्न-साधना वैद
कुछ अनसुलझा सा-आत्ममुग्धा
अमावस- रचना रवीन्द्र
फ़लसफ़ा- दिगम्बर पाहवा
जहाँ रह रही हूँ-जयश्री
भारत- अनीता
नदी- कावेरी
धन, बल…-प्रवीण पाण्डेय
मैं नहीं लिखती- रन्जु भाटिया
सारी कविताएं विभिन्न भावों से सुसज्जित बहुत सुन्दर कविताएं चुनीं आपने तो काजू मिठाई मुँह मीठा करवा गई। सील लोढा चकरी से अन्शुमाला ने सेहत के राज के साथ पुरुषों की सेहत की सही सलाह दी। कुल मिला कर बहुत मनोरंजक, ज्ञानवर्द्धक लिंक्स से सजा सुन्दर अंक👌👌
आपके परिश्रम से हमें एक साथ बढ़िया लिंक्स पढ़ने मिल जाते है एक जगह…पढ़ लीं सब…हमारी भी कविता शामिल…तो शुक्रिया जी🙏☺️
(सबसे खुशी हो रही है कि आज हमारा कमेन्ट छप गया…वर्ना हर बार असफल हो रहे थे😊)
उषाजी ,
हटाएंआप मेरे दिए हर लिंक पर पहुँची इससे बड़ी खुशी मेरे लिए क्या होगी । आप जैसे पाठक ही मेरी ऊर्जा के स्रोत हैं । आभार ।
कुछ लिंक्स पर चाह कर भी कमेन्ट नहीं हो पाया …पढी सब हैं 😊
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! अप्रतिम हलचल की अद्भुत प्रस्तुति ! आपके श्रम को नमन संगीता जी ! मेरी रचना को आज की हलचल में आपने स्थान दिया हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसराहना हेतु आभार , साधना जी ।।
हटाएंबहुत ही सुंदर लिंक पढ़ने को मिले ,धन्यवाद मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट चर्चा मे शामिल करने के लिए धन्यवाद। देर से आने के लिए माफी भी । कमेंट स्पैम मे जाता है और पता नही चलता । पढती हूं सभी पोस्ट लेकिन कविता आदि पद्य मे लिखी रचनाओ पर कुछ कह नही पाती । ये गहरे अर्थो मे होते है जो मेरी कम समझदारी को संपूर्ण रूप मे समझ नही आते । तो कुछ कहने से बचती हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया अंशुमाला जी । आप अलनी ब्लॉग का कॉमेंट बॉक्स एक बार चैक कर लिया कीजिये । आज कल बहुत से ब्लॉग का यही हाल है ।
हटाएंमेरी रचना " जहां रह रही हूँ मैं " को शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद संगीता स्वरूप जी :)
जवाब देंहटाएंजय श्री जी ,
हटाएंआप अन्य पोस्ट भी पढ़ें । आभार