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शनिवार, 25 जून 2022

3435...ऊब

                   


 हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

तंग

ऊब

बर्ट्रेण्ड रसेल अपनी पुस्तक "द कॉनक्वेस्ट ऑफ हैप्पीनेस" (सुख का अभियान) में कहते हैं - “जो पीढ़ी ऊब सहन नहीं कर सकती वह तुच्छ व्यक्तियों की पीढ़ी होगी। इस पीढ़ी को प्रकृति की धीमी प्रक्रियाओं से कुछ भी लेना देना न होगा।”

ऊब

"धरती पर रहकर आकाश बनने के

हरकोई सपने देखता है--

आकाश बन जाने के बाद

धरती के सपने कोई नहीं देखता !

ऊब

जो लोग ऊब गए हैं, वे हैं जिन्हें पहचानने और प्रबंधित करने में सबसे अधिक कठिनाइयाँ होती हैं। इस आधार से शुरू करना कि बोरियत बाहरी संतुष्टि पाने की प्रवृत्ति है, यह मान्य है कि इस बात की पुष्टि करना कि खुद के साथ अकेले रहना खुद को जानने के लिए समस्या पैदा करेगा। इसलिये, यदि आप अक्सर "मैं ऊब रहा हूँ" कहते हैं, तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि आपको अपने आंतरिक दुनिया से जुड़ने की आवश्यकता है।

ऊब

सुबह हो रही थी

कि एक चमत्कार हुआ

आशा की एक किरण ने

किसी बच्ची की तरह

कमरे में झाँका

कमरा जगमगा उठा

“आओ अन्दर आओ, मुझे उठाओ”

शायद मेरी ख़ामोशी गूँज उठी थी।

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पुनः भेंट होगी...
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7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    सुंदर सराहनीय अंक। आभार दीदी ।

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  2. सुबह हो रही थी
    कि एक चमत्कार हुआ
    आशा की एक किरण ने
    किसी बच्ची की तरह
    कमरे में झाँका
    कमरा जगमगा उठा
    सुंदर अंक..
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  3. असंतुष्टि ही ऊब है । ज्ञानदत्त पांडे जी का विचारणीय लेख पढ़वाया । आभार इस प्रस्तुति के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  4. "मेरी खामोशी गूँज उठी थी"
    बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं

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