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शुक्रवार, 17 जून 2022

3427......जो कहा नहीं गया

शुक्रवारीय अंक में 
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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आज का विचार
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अज्ञः सुखमाराध्यः सुखातारामाराध्यते विशेषज्ञः|        ज्ञानलवदुर्विदग्धम ब्रह्मापि तं न रंजयति ||

भावार्थ – अज्ञानी व्यक्ति को सहज ही समझाया जा सकता है, विशेष ज्ञानी को और भी आसानी से समझाया जा सकता है. परन्तु लेश मात्र ज्ञान पाकर ही स्वयं को विद्वान् समझने वाले गर्वोन्मत्त व्यक्ति को साक्षात् ब्रह्मा भी संतुष्ट नहीं कर सकते।
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आज की रचनाओं के साथ सुनिये,
आनंद लीजिए
श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की 
कुछ छोटी कविताओं का।
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जो कहा नहीं गया 
वह तो संगीत है
जैसे बिना कहे बहने वाली पहाड़ी नदी का संगीत
इस संगीत को कब सुना है कान वालों ने 
इसे तो सुनती है तलछटी में रहने वाली चंचल मछलियां
अपनी सांसों के जरिए। 


भूलने और याद करने के बीच

पत्ता जानता है गणित
पतझड़ और वसन्त का
किन्तु उसे करना होगा स्वागत
पहले बरसात का
फिर कांपती ठिठुरती ठंड का
कुल मिलाकर उसे भूलना होगा
अपने आप को




पलकें उठा के देखते हैं वह 
 नज़रें किसी की टिकी हैं या नहीं 
अपनी सीरत पे यक़ीन नहीं आता 
हसीनों को भी 
ज़िंदगी जैसी भी है 
खूबसूरत है 


मंजिल पर पहुँच कर ये राहें लौटती नहीं 
तू भी ख्वाबों से दिल को लगाना सीख ले 

सच यही है तेरे हाथ में कभी कुछ न था 
ये बात अपने दिल को समझाना सीख ले 



सारी बात का लब्बोलुआब यह है कि जब हम उस ऊपर वाले को अपनी खुशी का जिम्मेदार नहीं मान सारा श्रेय खुद ले लेते हैं तो दुःख में उसे उलाहना क्यों देना ! उसके द्वारा उत्पन्न की गईं तरह-तरह की परिस्थितियां, हालात हमें खुद को परखने, निखरने का मौका देते हैं ! इंसान की फितरत है कि उसे कभी संतोष नहीं होता ! किसी ना किसी चीज की चाह हमेशा बनी ही रहती है ! पर एक सच्चाई यह भी है कि आप अपनी जिंदगी से भले ही खुश ना हों पर हजारों ऐसे लोग भी हैं जो आप जैसी जिंदगी जीना चाहते हैं ! इसलिए जो है उसी में संतुष्ट हो ऊपर वाले को धन्यवाद दीजिए !
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आज के लिए बस
इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर संगीत मय प्रस्तुति
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. अद्धभुत प्रस्तुति होती है छुटकी आपकी बनाई
    साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचनाओं से सजी सुरमई प्रस्तुति।
    बहुत आनंद और सुकून दे जाती हैं ये लाजवाब रचनाएँ।आभार सखी
    🌹❤️

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! दिल से धन्यवाद श्वेता इतनी खूबसूरत रचनाएँ साँझा करने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  5. जहाँ तक मैं अनुभव करती हूँ कि अज्ञानी बने रहना ज्यादा सुख कर है । और मैं स्वयं को इसी श्रेणी में पाती हूँ ।
    आज की सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक हैं । सर्वेश्वर जी की कविताएँ बाद इन सुनूँगी ।
    एक नए ब्लॉग से परिचय हुआ इसलिए यह प्रस्तुति मेरे लिए सार्थक है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रेरक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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