शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनीता सुधीर जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पाँच ताज़ातरीन रचनाओं की झलक लेकर हाज़िर हूँ-
शिव...
आँखें मुध्ने लगती हैं, हाथ खुद-ब-खुद
उठ जाते हैं
उसे इबादत ... या जो चाहे नाम दे देना
खुशबू में तब्दील हो कर शब्द, उड़ते हैं कायनात
में
बिसारिए ना
धुंधली, हो रही तस्वीर इक,
खिच रही हर घड़ी, उस पर लकीर इक,
सन्निकट, इक अन्त वो,
जश्न, ये बसन्त के,
संग मनाईए!
जनसंख्या -पर्यावरण
इसी भाँति
कटते रहे जो विटप सब
मनुज भूल की
फिर सजा भी बड़ी है।।
प्रभावित हुआ
जैव मंडल हमारा
बढ़ी जीव की
अब अपेक्षा अड़ी है।।
दिल किसी का न टूटे
एडिसन ने सर्वथा विपरीत परिस्थितियों
में कभी भी हार नहीं मानी, क्योंकि
वे निरंतर प्रयास करने में विश्वास करते थे। वे विद्युत बल्व का आविष्कार करने से
पहले एक हजार बार असफल हुए। उनके वैज्ञानिक होने और आविष्कार को कई प्रसिद्ध
वैज्ञानिकों ने सिरे से नकार दिया था।
चिड़िया का
हमारे आँगन में आना :)
जब से खेती में नई-नई तकनीकें प्रयोग
में आई हैं, खेतों में उठने-बैठने वाली घरेलू चिड़ियों पर
भी बुरा असर पड़ा है। जिस तेजी से इधर कुछ सालों में घरेलू चिड़ियों की संख्या में
कमी आई है, वह चिंताजनक है। प्राय: यह चिड़िया गावों में
ज्यादा पाई जाती थीं। लेकिन आजकल गावों में भी घरेलू चिड़िया कम ही नजर आती हैं जो
की चिंताजनक है अगर हम सचेत होंगे तो शायद गौरेया को एकदम
लुप्त होने से अभी भी बचा पाएंगे. अगर हम प्रयास करेंगे तो आने वाले सालों में
शायद दूसरे पंछियों को भी लुप्त होने से बचा पाएंगे..!!
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रवीन्द्र सिंह यादव
फिर मिलेंगे।
बेहतरीन अंक...
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
आभार, शुभ प्रभात।।।।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स चयन ।
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन मेरी रचना शामिल करने हेतु आभार !!
जवाब देंहटाएंजवाब दें
बहुत ही उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! विविधता पूर्ण विषयों पर आधारित रचनाओं के सूत्रों का सुंदर संयोजन, आभार!
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