सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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मंगलवार, 29 मार्च 2022
3347..पाने की ज़न्नत में बहत्तर हूरों के हो दीवाना,
7 टिप्पणियां:
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सुप्रभात! बड़े श्रम से संकलित किए छह सराहनीय और पठनीय रचनाओं के लिंक्स से सजा है आज का अंक, शुभकामनाएँ और आभार!
जवाब देंहटाएंजी ! नमन संग आभार आपका .. आज की अपनी बहुरंगी प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान देने के लिए ..
जवाब देंहटाएंपर इन सारी विशिष्ट रचनाओं के बाद भी आपकी आज की भूमिका की कमी खल रही है .. बस यूँ ही ...
भूमिका ठहरे पानी पर लिक्खी जाती है
हटाएंमार्च रूपी जल बह-बह कर खत्म होने
की कगार पर है..
आभार..
सादर..
प्रकृति में कब .. कुछ भी ठहरा है भला !! .. अलग-अलग कालखंडों के दायरे में सभी कुछ चलायमान और परिवर्तनशील ही तो है .. शायद ...
हटाएंसराहनीय लिंक्स
जवाब देंहटाएंआभार आपका❤️
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय सूत्रों का चयन ।
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