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शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

3338....होली

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी को श्वेता का हार्दिक अभिनंदन।
 पाँच लिंक परिवार की ओर से रंग,खुशी,उमंग मिठास,सकारात्मता और स्नेह की
 पिचकारी भर-भर के शुभमंगलकामनाएँ।
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रंगों के बिना संसार की कल्पना संभव नहीं
रंगों से इतर जीवन की अल्पना संभव नहीं,
यूँ तो असंभव इस सृष्टि में कुछ भी नहीं हो शायद,
रंगों के स्पर्श बिना चेतना की संकल्पना संभव नहीं। 

जीवन में समय के अनुरूप
एक से दूसरे पल में 
परिवर्तित होते रंग प्रमाण है 
जीवन की क्रियाशीलता का...।

उत्सव का इंद्रधनुषी रंग 
हाइलाइट कर देता है जीवन के
कुछ लटों को
खुशियों के रंगों से ...।

रस में तैरते मालपुए,दही भल्लों की चटखारे
रंगों की बरसात हो रही,उल्लास में डूबे सारे हैं ,
होली बहाने, मिटे फासले, खन-खन खुशियों की झोली
हमजोली की हँसी-ठिठोली, टोली की मस्ती हो ली।


अब आइये पढ़ते है उत्सव में डूबी आज की रचनाएँ









और चलते-चलते गुनगुना लीजिए।




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आज के लिए बस इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।
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