---

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

3313 ..संत कहते हैं, मानव के मन के भीतर आश्चर्यों का खजाना है,

सादर अभिवादन

अगले बुधवार को शायद मैं न मिलूँ
पम्मी जी आएंगी
अब आज की रचनाएँ......



संत कहते हैं,
मानव के मन के भीतर
आश्चर्यों का खजाना है,
हजारों रहस्य छुपे हैं आत्मा में.
जो कुछ बाहर है वह सब भीतर भी है.
मानव यदि परमात्मा को भूल भी जाये तो
वह किसी न किसी उपाय से याद दिला देता है.




पुलक रहा मन
अभीभूत हूँ देख पंखुड़ी
पत्र लिए पढ़ती
खो जाती खड़ी खड़ी
कभी सजाई थी पंखुड़ियाँ
ज्यूँ मेहताब ।।




आदमी क्या है
बनावटी साँचा...?
जो अपने गुस्से या प्रेम को
बिना जाहिर किए हुए
हर उम्मीद पे खरा उतरे




अश्क़ आँखें बहाती रही रातभर
याद तेरी सताती रही रातभर

प्यार से लग गले ओस कचनार के
साथ में खिलखिलाती रही रातभर

है लगे आज जुगनू भी महताब सा
ये अमावस बताती रही रातभर




कुछ आग लगाते हैं, कुछ लोग हवा देते
इनसान ज़रा ढूँढों, इनसान बहुत होंगे

ताक़त वो मुहब्बत की पत्थर को ज़ुबाँ दे दे
जिनको न यकीं होगा, हैरान बहुत होंगे

हर मोड़ कसौटी है इस राह-ए-तलब ’आनन’
जो सूद-ओ-ज़ियाँ देखे, नादान बहुत होंगे


आज बस
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार Mam 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. पठनीय और सराहनीय रचनाओं के सूत्रों से सुसज्जित है 'पांच लिंको का आनंद' का आज का अंक, बहुत बहुत आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सराहनीय सूत्रों से सज्जित अंक ।
    सभी रचनाओं पर गई । सार्थक और पठनीय ।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
    आपको मेरा सादर अभिवादन 👏💐

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।