---

रविवार, 20 फ़रवरी 2022

3310...जिसकी वर्णमाला से शांति और अहिंसा के नारों का निर्माण होगा...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीय अरुण चंद्र रॉय जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

रविवारीय अंक में पाँच पसंदीदा सूत्रों के साथ हाज़िर हूँ।

मधु - सिंचन (कविता) शृंगार के छंद


तब  नाव तट से खोलने से पूर्व ही

अर्थ ढूँढने में क्यों  भटक  जाता है?

क्यों उत्ताल तरंगों पर बढ़ने से पूर्व ही,

अविचारित से प्रश्न में उलझ जाता है?

समय की सीख

सीखा है यह भी कि 

जब चारो ओर हो 

धुप्प अंधेरा 

तो अपने अंदर

 को रौशन करना

जिस दिन

जिस दिन समाज का

छोटा तबका बंदूक

और तलवार की भाषा को

अघोषित करार देगा।

 उस दिन एक नई भाषा

का जन्म होगा

जिसकी वर्णमाला से

शांति और अहिंसा के

नारों का निर्माण होगा।

 कभी सोचा है

दिन में परछाई क्यों ढूँढ़ते हो ?

जब रात में साया भी घूम है

पुराने रास्तो के साथ -साथ

चलना ही क्यों है ?

जब पता है की वोपुराने

मंज़िल तक ही लेकर जाते है।

तेरे बिन अधूरी मैं सी

तुम्हारे द्वारा मेरा हौसला बढ़ाना

रब़ी की फसलों पर हुई

बारिश की मोती-सी बूदों-सा था।

वो नयनों का लजाना,

बिना कहे बहुत कुछ कह जाना।

जो शब्दों में बयां हो सकें

वो एहसास दे जाना।

चलते-चलते व्यंग्य-बाण का तीखा प्रहार-

बंदर के हाथ में उस्तरा

मर्कटस्य सुरापानं, मध्ये वृश्चिकदंशनम्।

तन्मध्ये भूतसंचारो, यद्वा तद्वा भविष्यति। (हितोपदेश)

स्वभाव से नटखट और चपल बंदर यदि मदिरापान करे; उसी बीच उसे बिच्छू डस ले, और ऊपर से उस पर भूत भी सवार हो जाए: तो फिर वह कैसे-कैसे उत्पात करेगा, इसकी कल्पना कीजिए !

*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


9 टिप्‍पणियां:

  1. तब नाव तट से खोलने से पूर्व ही
    अर्थ ढूँढने में क्यों भटक जाता है?
    क्यों उत्ताल तरंगों पर बढ़ने से पूर्व ही,
    अविचारित से प्रश्न में उलझ जाता है?
    बहुत सुंदर
    बेहतरीन अंक
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी पढ़ लिए । गजब की लेखनी और गजब का उनका संकलन। इस संकलन के लिए बहुत-बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही शानदार प्रस्तुति
    सभी अंक बहुत ही उम्दा और सराहनीय हैं
    मेरी रचना को 5 लिंकों में जगह देने के लिए आपका तहे दिल से बहुत-बहुत आभार व धन्यवाद आदरणीय सर🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही उम्दा अंक । सराहनीय प्रस्तुति के लिए आपका आभार आदरणीय 👏💐

    जवाब देंहटाएं
  5. इस अंक की सारी रचनाएँ उत्कृष्ठ है। सारी रचनाएँ पढ़ीं। ब्लॉग को जीवित रखने का आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है। सादर!--ब्रजेंद्रनाथ

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए बढ़िया संकलन

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर सूत्र संयोजन के लिए
    आपको साधुवाद
    सभी रचनाकारों को बधाई
    सादर

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।