---

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

3273....संधिकाल आया ऋतुओं का

शुक्रवारीय अंक में 
मैं श्वेता आप सभी का 
स्नेहिल अभिवादन करती हूँ।
आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा।

प्रकृति और मनुष्य का शाश्वत संबंध सृष्टि में जीवन का आधार है। प्रकृति का ऋतु परिवर्तन मनुष्य के जीवन शैली में उत्साह और उमंग का वाहक है जिसे मनुष्य लोक परंपराओं के माध्यम से त्योहारों के रूप में अभिव्यक्त करता है। मकर संक्रांति संपूर्ण भारत में 
विभिन्न नामों से मनाया जाता है-

मकर संक्रान्ति - छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, और जम्मू
ताइ पोंगल, उझवर  - तमिलनाडु
उत्तरायण - गुजरात, उत्तराखण्ड
माघी - हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
भोगाली बिहु - असम
शिशुर सेंक्रात - कश्मीर 
खिचड़ी - उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति - पश्चिम बंगाल
मकर संक्रमण – कर्नाटक

--------
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

-------//////-----

सूर्य की गति पर प्रकृति का स्वरूप निर्भर है-

सूर्य देव राशि बदलेंगे

संधिकाल आया ऋतुओं का 

रुत शीत विदा लेने को है,  

खेतों में सरसों फूलेगी 

कुसुमाकर अब दूर नहीं है !



-----//////-----


क्या सचमुच तट तटस्थ होते है?

तटस्थ तट

सूख जाने पर भी तटिनी के,
स्थावर है, जड़वत है।
बहने-रहने की वृथा व्यथा,
चिर तटस्थ-सा रहता तट है।


-----///////-----

अलौकिक प्रेम का स्पर्श जीवन का सबसे पवित्र संगीत है-

सब गीत तुम्हारे हैं


सराबोर हैं आत्मरस से ,
ये जो छंद अनोखे हैं ।
तुमसे ही जीवनसार मिला,
शेष दावे सब थोथे है!
वही पल बस लगते अपने,
जो साथ गुजारे हैं!



------////-----


स्वभाव में बड़प्पन होना चारित्रिक गुण है जो शायद हर किसी

में सहज नहीं-

केंचुए

केंचुआ बना देना होता है अपने स्वर को
 इतना भी आसान नहीं होता बड़ा होना
 इसलिए अक्सर बड़े हो चुके लोगों को 
 नहीं सुहाती खुद्दारी भरी ज़बान, 
आत्मविश्वास से उठा हुआ सिर
 अपनी ही धुन में कुछ नया करने की चाह

------////-----

और चलते-चलते पढ़िए त्योहार के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करती एक रचना-



   
सूर्य के उत्तरायण होने के अलावा और भी कई कारणों से यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान कृष्ण ने गीता में भी सूर्य के उत्तरायण में आने का महत्व बताते हुए कहा है कि इस काल में देह त्याग करने से पुर्नजन्म नहीं लेना पड़ता और इसीलिए महाभारत काल में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण में आने पर ही देह त्याग किया था। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के उत्तरायण में आने पर सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पूरी तरह से पड़ती है और यह धरा प्रकाशमय हो जाती है। इस दिन लोग सागर, पवित्र नदियों व सरोवरों में सूर्योदय से पहले स्नान  करते हैं और दान इत्यादि कर पुण्य-लाभ प्राप्त करते हैं। 

------
आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर आ रही
प्रिय विभा दी।

-----


18 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात🙏
    सभी को मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं व ढेर सारी बधाइयाँ 🎉🎊
    सभी का दिन मंगलमय हो!
    हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति!
    सादर.. 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. शानदार अंक
    केंचुआ बना देना होता है अपने स्वर को
    इतना भी आसान नहीं होता बड़ा होना
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. 🙏🙏🌷🙏🙏🎈🎈🎈🎈🎈🎈
    सुप्रभात और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आप सब को।। सभी के लिए ये पवित्र पर्व सूख और शुभता लेकर आए यही कामना है। इस मंच पर यूं ही सा साहित्य की गोष्ठियाँ होती रहें। इस कुनबे का विस्तार होता रहे। विस्तार से दिन में लिखती हूं। आजकेसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और नमन 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
    मकरसंक्रांति पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात शानदार प्रस्तुति बेहतरीन अंक

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभकामनाओं के संग साधुवाद
    सभी रचनाएँ सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  7. शानदार अंक। सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाए...

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्‍छी हलचल प्रस्‍तुति

    सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  9. सार्थक प्रस्तुति ।
    प्रेम के अनेक रूप पढ़ने को मिले । विश्व मोहन जी के ब्लॉग पर एक ही रचना पर अनेक मनीषियों की रचनाओं का रसास्वादन मिला ।
    मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर लिंको का समन्वय। मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. रायपुर में अभी पश्चात सूर्यास्त
    मकरसंक्रान्ति का आगाज हुआ
    इस पवित्र संक्रमण काल आपके
    उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  12. रायपुर में अभी पश्चात सूर्यास्त
    मकरसंक्रान्ति का आगाज हुआ
    इस पवित्र संक्रमण काल पर्व पर आपके
    उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    आप सबको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  14. सुंदर और सम्मोहित करती भूमिका के साथ मकर संक्रांति पर बहुत ही शानदार अंक । कुछ रचनाएँ पढ़ी कुछ पढ़ना हैं,हर रचना बेहतरीन ।
    आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी 🙏
    आप सभी को लोहड़ी और मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  15. बढ़िया संकलन
    आप सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  16. बेहतरीन प्रस्तुति।आप सभी को मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  17. प्रिय श्वेता, संक्रांति का नाम देश के सभी हिस्सों में भले अलगअलग हो पर इसका सांस्कृतिक महत्व समान है। समस्त भारतवर्ष को एकता की डोर में बांधता है ये त्यौहार इस प्रस्तुति में सम्मिलित सभी लिंक बढ़िया लगे। सभी रचनाकाराें को बधाई और मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं बहुत बहुत आभार और शुभकामनाएं तुम्हारे लिए।❤️💐💐❤️🌹

    जवाब देंहटाएं
  18. विलंबित प्रतिक्रिया के लिए क्षमा प्रार्थी हूं

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।