तुम विचार कर रहे हो, तो तुम क्या विचार कर सकते हो? तुम अज्ञात पर कैसे विचार कर सकते हो? तुम केवल ज्ञात पर विचार कर सकते हो। तुम इसे बार-बार चबा सकते हो, लेकिन यह ज्ञात है। यदि तुम जीसस के बारे में कुछ जानते हो, तो तुम इस पर बार-बार चिंतन कर सकते हो; अगर तुम कृष्णा के बारे में कुछ जानते हो, तो तुम इस पर बार-बार चिंतन कर सकते हो; तुम संशोधन, बदलाहट, सजावट किए जा सकते हो - लेकिन यह तुम्हें अज्ञात की ओर ले जाने वाला नहीं है। और "ईश्वर" अज्ञात है।
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गुरुवार, 16 दिसंबर 2021
3234 ..तिलिस्म टूटते ही, टूट जाता है सब मायाजाल
तुम विचार कर रहे हो, तो तुम क्या विचार कर सकते हो? तुम अज्ञात पर कैसे विचार कर सकते हो? तुम केवल ज्ञात पर विचार कर सकते हो। तुम इसे बार-बार चबा सकते हो, लेकिन यह ज्ञात है। यदि तुम जीसस के बारे में कुछ जानते हो, तो तुम इस पर बार-बार चिंतन कर सकते हो; अगर तुम कृष्णा के बारे में कुछ जानते हो, तो तुम इस पर बार-बार चिंतन कर सकते हो; तुम संशोधन, बदलाहट, सजावट किए जा सकते हो - लेकिन यह तुम्हें अज्ञात की ओर ले जाने वाला नहीं है। और "ईश्वर" अज्ञात है।
7 टिप्पणियां:
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सभी को सुप्रभात और प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक है प्रिय दीदी! आपकी तुरत फुरत रेसिपी बढ़िया जम जाती है। अच्छी रचनाएँ हैं सभी। और प्रेम पर ओशो के विचार जगजाहिर है। वे प्रेम के लिए ज्यादा जाने गए। उनकी विलक्षण प्रतिभा ने उन्हें विश्व में अनूठी पहचान दिलाई और एक अनजाने गांव के चंद्रमोहन जैन, ओशो बन विख्यात हुए। हर विषय पर उनका चिन्तन हैरान करता है। बाकि सब ठीक है पर उनके स्वच्छंद दैहिकता। के नितांत नए प्रयोग से वे बड़े वर्ग द्वारा अमान्य घोषित किए गए। क्योंकि भारतवर्ष की संस्कृति की मान्यताएं मर्यादाओं और कर्त्तव्यों में बंधी है। यहां अपने लिए सोचने वाला व्यक्ति स्वार्थी है। सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों से बाहर व्यक्ति का कैसा अस्तित्व पर ओशो ने व्यक्तिवाद को प्राथमिकता दी। विवादित होने के बावजूद वे सबसे ज्यादा पढ़े और सुने गए। पर मुझे लगता है यदि उन्होंने अपनी विचारधारा को भोगविलास की तरफ न मोड़ा होता तो वे सदी के बुद्ध अथवा महावीर भले न होते पर उनका रूतबा बहुत ऊंचा होता। क्योंकि सन्यास नाम है सभी प्रकार के विकारों और लालसाओं का त्याग। एक विलासी व्यक्ति खुद को भगवान घोषित करे तो वह काल और समाज से नहीं खुद से छल करता है। और उसका हश्र ओशो सरीखा होना निश्चित है। जल्द ही ओशो पर एक विस्तृत लेख लिखने की इच्छुक हुं। आज के सभी शामिल रचनाकारों को बधाई और आपको आभार भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए 🙏🙏
आमीन
हटाएंसादर
🙏🙏🌷🌷
हटाएंसभी रचनाओ का संगम सुंदर है... ओशो को समझना मानों आत्म साक्षात्कार की ओर बढ़ना है। रेनू दी की टिप्पणी अत्यंत खास है। उनके लेख का ििइंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने जे लिए सादर आभार
आभार प्रिय अपर्णा 🙏🌷🌷💐💐
हटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक । हर रचना अर्थपूर्ण । बहुत बहुत शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना संकलन
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