---

सोमवार, 18 अक्टूबर 2021

3185 ...कई दिनों से जीभ खुजा रही थी ,खुजलाने से कुछ अच्छा ही होता है

सादर अभिवादन..
कुछ भी कहिए नशा तो नशा ही होता है
तमाखू - पान पर कोई कार्यवाई नहीं होती
पर गांजा, भांग, अफीम ,चरस और हेराइन का नशा
आनन्द तो देता है पर पेपर में नाम छपवाने के साथ
मुफ्त का कमरा भी देता है हे रहने के लिए(कृष्ण-कोठरी)

रचनाएँ देखिए...

निदा जी तो चले गए पर गए कहां
वे तो यहीं हैं


धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो


कई दिनों से जीभ खुजा रही थी सुशील भैय्या की
खुजलाने से कुछ अच्छा ही होता है


कुछ नहीं लिखने का गम ठीक है
कुछ भी नहीं लिखने से

कोशिश करते करते
जमाना गुजर जाता है

कुछ नहीं से कुछ हो लेने के ख्वाब
सबसे अच्छे होते हैं
हवाई जहाज सोच कर
मक्खियाँ और मच्छर उड़ाने की


श्राप व वर विधि के द्वारा ही निहित किए जाते है


“अधर्मप्रवृत्त दुर्बुद्धि कैकेयी, तू कैकेयराज के कुल का कलङ्क है। राजा से छल कर अब पुनः अपनी सीमा लाँघ रही है। सीता राम की अर्धाङ्गिनी हैं। राम के पश्चात उनका इस सिहांसन पर अधिकार है। वह अब राम को प्रस्तुत हुये सिंहासन पर बैठेंगी। देवी सीता वन नहीं जायेंगी।”


इश्क और मोहब्बत अंतिम परिणीति निकाह ही है
उसके बाद ग़ज़ल ही ग़ज़ल है


इबादत में मेरे कहीं कुछ कमी थी
वगरना वो क्या थे कि होते न हासिल

अलग बात है वो न आए उतर कर
दुआओं में मेरे रहे वो भी शामिल

कभी दिल की बातें भी ’आनन’ सुना कर
यही तेरा रहबर, यही तेरा आदिल ।

दर्द होता ही है हराने के लिए
हारे और दर्द शुरू सुबह होगी और ज़रूर होगी


बादलों से भीगा
गीला सा एक विचार
थपकियों के साथ देता है
स्नेहिल धैर्य…,कि
इस रात की भी
कभी तो सुबह  होगी


सही है--फर्क  पड़ता  है ,लेकिन  फर्क  को इतना ही वजन मिले कि, 
जिन्दगी  की  रफ़्तार  जिन्दगी  से  आगे ना  निकल जाए , 
बाकी  तो  सफरनामे  हैं ---चलें,


जिंदगियों  के-- 
फर्क, फर्क हलफनामें  हैं
कोइ  लिख रहा--    
इबारत-ए-जिन्दगी
किसी  के  नसीब में आईं हैं
दो  लाइनें--फ़क्त,पढ़ने  के  लिए.
क्या,  फर्क  पड़ता  है.

इति शुभम..

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत आभार आपका, रचना का सम्मान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. मन के मनके से ली गयी रचना की रचनाकारा उर्मिला जी ही है क्या?

    आभार उलूक को जगह देने लिए यशोदा जी |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संकलन । मुझे संकलन में सम्मिलित करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।