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रविवार, 17 अक्तूबर 2021

3184..बना देते हो चंदन अपने शब्दों को

सादर अभिवादन..
निपट गया दशहरा भी
सारे ब्लॉग अब
भूला - बिसरा दशहरा याद कर रहे है..
रावण के मरने की बात कर रहे है
रावण तो बस मरा एक ही बार
उसी को याद उस मरे हुए रावण को
मारने की नाकाम कोशिशे कर रहे हैं



हार होंगे हृदय के खुलकर तभी गाने नये
हाथ में आ जायेगा, वह राज जो महफिल में है

तरस है ये देर से आँखे गड़ी श्रृंगार में
और दिखलाई पड़ेगी जो गुराई तिल में है




सत्य छिपाएँ
करके उपक्रम
फैलाएँ।

रिश्ते हैं कम
उनमें भी तनाव
घटा लगाव।





एक दो लोगों को मैंने मदद की प्रत्याशा में देखा भी ,पर सब जल्दी में निकले । इसी बीच ठीक मेरे पीछे एक कार आकर रुकी । उसमे से एक नवयुवती उतर कर मेरे पास आई और बोली "मैं अंदर बैठ कर स्टीयरिंग संभाल रही हूँ ,आप दरवाजा बंद कर पुश करिये ,मैं धीरे धीरे किनारे कर देती हूँ ,आप अकेले दरवाजा खुला रख कर कार को धकेल रहे हैं ,कोई रुक नहीं रहा है ,आपको चोट भी लग सकती है । "  मैंने उसकी बात मान ली और मेरी कार किनारे आ गई ।



? हर बार रावण को मारना पड़ता है। इस ज्वलंत प्रश्न पर हम कभी विचार नहीं करते। हम कभी यह नहीं सोचते कि कपड़े अथवा कागज के बने रावण को तो हम अग्नि में फुकते हैं किन्तु मन में पल रहे बुराई रुपी रावण को  तो हम कभी फूंक नहीं पाते।मन में उठे दुर्विचारों को, दुर्व्यवहारों को, दुराचारों को हम कभी मार नहीं पाते।तो भला हर साल मारने पर भी रावण क्यों मरेगा ?





वही तो करते हो तुम जो अब तक करते आये
बना देते हो चंदन अपने शब्दों को
यही है मेरी औषधि, ये शब्द
डाल देते हैं मेरे चिन्मय मन पर डाह की फूँक
शाँत करने को मेरे मन के सारे भाव...
तत्क्षण मेरा मन वात्सल्य में डूब जाता है




मैंने पूछा कौन है
उसने कहा मैं हूँ बीता हुआ लम्हा
क्या मैं अंदर आ जाऊँ..
मैंने कहा आओ
ये किस बच्चे को साथ ले आए
उसने कहा ये तुम्हारा बचपन है

इति शुभम.. 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति । उत्कृष्ट रचनाओं से भरपूर बहुत ही बढ़िया ❤️ हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  2. बहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को स्थान देने पर तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं

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