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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

3139 ...ॐ की प्रतिध्वनि शाश्वत होती है , दसों दिशाओं से उच्चरित होती है

सादर अभिवादन
आज भाई रवीन्द्र जी नहीं हैं
रक्षा बिटिया का पहला तीज है
मोह कहाँ छूटता है

आज की रचनाओं का सिलसिला
आज एक ही ब्लॉग से
क्षितिज तक जाने का अथक प्रयास किया
उसके आगे ध्यानावस्थित हुए
सत्य और झूठ दोनों से काल्पनिक रिश्ता जोड़ा तब कहीं जाकर
"जीवन की एक मुट्ठी धूप मिली" और यही हकीकत है ...
रश्मि दीदी की भूली-बिसरी रचनाएँ


ॐ की प्रतिध्वनि शाश्वत होती है ,
दसों दिशाओं से उच्चरित होती है ,
करोड़ों शरीर का स्पर्श करती है ,
सुरक्षा घेरे का निर्माण करती है .........
शक्ति का आधार बन ,प्रकाशमान होती है



सुना तुमने ?
गणपति ने महीनों से मोदक को हाथ नहीं लगाया है
माँ सरस्वती ने वीणा के तार झंकृत नहीं किये
भोग से विमुख हर देवी देवता
शिव का त्रिनेत्र बन
माँ दुर्गा की हुंकार बन
दसों दिशाओं में विचर रहे   ...
फिर नीलकंठ बनने को तत्पर शिव
देव दानव के मध्य
एक मंथन देख रहे



छनाआआक...........
हर पल गिरने टूटने की आवाज़
क्या टूटता है?
शीशे-सा दिल या दिमाग???
झूठे होते शब्दों का शोर
थरथराते पाँव -.........
बेमानी खुददारी का गौरव ढोती हूँ -
'बैसाखी नहीं लूंगी गिरूंगी तो उठूँगी भी.....



आदि,अनादि,अनंत,अखंड!
इस रिश्ते को क्या नाम दूँ?
हस्ताक्षर के नाम
समर्पित है ज़िन्दगी
विश्वास,सच,प्यार से परिपूर्ण
कोई चाहे,
खत्म नहीं होगा
खामोशी में भी मेरी धड़कनें जिंदा रहेंगी


हर रोज़ शक्ल ले नज्मों की
कोई प्यार का गीत सुनाती है
गिर कर सुर कोई न भटके
बढ़ती हूँ हथेली में भरने
छन से गिरते हर साज़ को मैं
अपनी आँखों से लगाती हूँ


अखबार के पन्नों पर
अपना खून नहीं होता
तो, स्थिति उतनी भयावह नहीं लगती,
सरगर्मी भरी बातचीत हो जाती है !
अपना खून !
विस्फोट मस्तिष्क में होता है
फिर-
निस्तेज आँखें !
मौन दर्द !
शब्दहीन शून्य रह जाता है !!!!!


सच है ,
क्षमताओं को बढाने के लिए
आँधी तूफ़ान का होना ज़रूरी होता है...
प्रतिभाएं तभी स्वरूप लेती हैं
जब वक़्त की ललकार होती है....
जो ज़मीन बंज़र दिखाई देती हैं
उससे उदासीन मत हो....
ज़रा नमी तो दो
फिर देखो वह क्या देती है
...
इति शुभम्
सादर नमन


 

9 टिप्‍पणियां:

  1. रश्मि प्रभा जी की रचनाएँ ढ़ाढ़स देती हैं
    उम्दा चयन...

    जवाब देंहटाएं
  2. यशोदाजी, आज का अंक निराला है, सुन्दर संग्रहणीय सूत्र।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी,रश्मि प्रभा जी की अनमोल रचनाओं को साझा करने के लिए दिल से शुक्रिया एवं नमन

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया रश्मिप्रभा जी का लेखन हमेशा मुझे प्रभावित करता रहा है। इतनी अच्छी रचनाओं को चुनकर लाने हेतु आदरणीया यशोदा दी का आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. रश्मिप्रभा जी का लेखन प्रभावशाली है, शानदार रचनाओं को एक साथ पढना आनंद दायक रहा।
    शानदार प्रस्तुति, शानदार रचनाएं।
    रश्मि प्रभा जी को अनंत शुभकामनाएं।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. आज पढ़ा इसे,
    खोने की उद्विग्नता के आगे और कर्तव्यों के मध्य बहुत कुछ नहीं देख पाती ... धन्यवाद क्या कहूं, बस बहुत स्नेह इन रचनाओं की प्रस्तुति के लिए

    जवाब देंहटाएं
  8. आज पढ़ा इसे,
    खोने की उद्विग्नता के आगे और कर्तव्यों के मध्य बहुत कुछ नहीं देख पाती ... धन्यवाद क्या कहूं, बस बहुत स्नेह इन रचनाओं की प्रस्तुति के लिए

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