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मंगलवार, 31 अगस्त 2021

3137 ... मुझे अपने वतन से बे-पनाह मोहब्बत है। इस देश की मिट्टी से प्यार है

सादर अभिवादन...
आज कुलदीप जी नही हैं
आज की प्रस्तुति में मेरी पसंद

रात भर अंतःकरण के साथ
चलता रहा मीमांसा रहित
कथोपकथन,
कुछ नोक झोंक,
निशांत पलों का मान मनौवल,
आख़िर रात ढले,
झर गए हरसिंगार,

" मुझे अपने वतन से बे-पनाह मोहब्बत है। इस देश की मिट्टी से प्यार है "
" क्या समझते हो मैं इस बुढापे में अपनी सफेद दाढ़ी में स्याही लगवा लूंगा ?"
हरगिज़ नहीं।


उसने मुझे अपना कहा
और कहती रही कहती रही
कहती रही कहती रही
कहती रही रात कब
सुबह हो गई पता ही
नहीं चला सब मुझे बेसुरा कहते हैं
और वह मेरे गीत सुनने को
लालायित रहती है
प्रेम करती है प्रेम में अंधी नहीं है
वो अच्छे-बुरे की समझ है
उसे न जाने क्या पसन्द है उसे मेरे बोल?
मेरे भाव?
मेरा दिल?

पत्तियां फूल पे बारिश की कहानी बुनती
रात चुपचाप कोई नज़्म पुरानी सुनती
आँखों तक फैली कोई चौड़ी हंसी बात -
शुरुआत किसी ख्वाब के माँनिंद लगे



देने वाले देते जाते
नोटे जी बहुत इतराते
मोटी तोंद के नाटे नट
नोटे जी तुम हो बस ठग!


खून से रंगी सड़कों पर
अपने कदमों के निशान बनाते हुए
निकल पड़े हैं
हजारों लाखों बच्चे
पूरी दुनिया के घरों से।
बच्चों के हाथों में हैं मशालें
चेहरे हैं आंसुओं से तर बतर
मन में समाया है एक खौफ

आज के लिए बस
सादर


7 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक्स चयन
    आज अमृता प्रीतम की जयन्ती की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहद सुन्दर !!
    आभार मुझे सम्मिलित करने के लिए यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना को इस बहुत सुंदर सूची में सम्मिलित करने के लिए बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर शानदार सूत्रों का संकलन ।

    जवाब देंहटाएं

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