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सोमवार, 16 अगस्त 2021

3122 ---- पंद्रह अगस्त की पुकार ...

  आज की भूमिका में   हमारे  पूर्व  प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी  की रचना -----

पंद्रह अगस्त की पुकार ...

पंद्रह अगस्त का दिन कहता:
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है,
रावी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर
आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥

हिंदू के नाते उनका दु:ख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को
हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है
ग़मगीन गुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक
आज़ादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥



इस रचना के बाद भूमिका के लिए कुछ कहने को रह नहीं जाता ..... कल सबने स्वतंत्रता दिवस के 75 वें वर्ष का जश्न मनाया  .... बहुत से लेखकों ने अपने भावों को अपने शब्दों में ढाला  .   सबका अपना अपना तरीका आज़ादी का जश्न मनाने का ....... किसी ने संकल्प लिया  कि हम देश के अच्छे नागरिक बनेंगे ,  किसी  के  मन में देश के हालात देख व्यथा के भाव भी आये तो , किसी ने देश कि आज़ादी के लिए अपने प्राण उत्सर्ग करने वाले वीरों को याद करते हुए नमन किया   तो किसी ने आह्वान किया कि ज़रूरी नहीं है हर समय अच्छा  बना रहा  जाय .  यदि देश के लिए बुरा बनना भी पड़े तो बनों .... आज ऐसे ही अलग -अलग भावों से सजी है ये प्रस्तुति  ------


सबसे पहले हम अपने देश  की आज़ादी के लिए  अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीरों और देश की रक्षा में होने वाले सभी शहीदों को याद करते हुए नमन करते हैं ..... इन्हीं भावों को बहुत सुन्दर शब्दों में  गढ़ा है श्वेता सिन्हा ने .... 



करती हूँ प्रणाम उनको,शीश नत सम्मान में है,
प्राण दे,इतिहास के पृष्ठों में अंकित हो गये
जिनकी लहू की बूँद से माँ धरा पावन हुई
माटी बिछौना ओढ़ जो तारों में टंकित हो गये।


शहीदों को याद करते हुए आज हम जिस मुकाम पर हैं वहां हमें सोचना है कि देश को कैसे  आगे ले जाना  है ? ... कहा भी गया है कि -  यदि सीधी उंगली से घी न निकले तो टेढ़ी करनी पड़ती है ... तो यदि हमें टेढा बनाना भी पड़े तो कोई बात नहीं ..... इसी का आह्वान किया है जानी मानी कवयित्री  सुश्री रश्मिप्रभा जी ने ..... 



इति यानि बीती........हास यानि कहानी...
बीती कहानी बंद करो!
नहीं जानना -
वंदे मातरम् की लहर के बारे में,
नहीं सुनना -
'साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल....'
नहीं सुनना-
'फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल....'
नहीं जानना-



रश्मि जी ने आज के लोगों  की सोच को देखते हुए बेबाक कहा है कि जैसा भी चाहो करो लेकिन देश को मत भूलो .....  दूसरी तरफ मीना भरद्वाज जी शहीदों को नमन करते हुए अच्छे संस्कारों से वसुदेव   कुटुम्बकम  की बात कर रही हैं  ----


आओ सब मिल कर आज ,स्वन्तत्रता दिवस मनायें ।


     शहीदों को याद करें ,

     मान से शीश झुकायें ।।

     फहरायें तिरंगा शान से ,

     गर्व से जन गण मन गायें ।।


     आओ सब मिल कर आज ,स्वन्तत्रता दिवस मनायें ।



यूँ हम देश कीआज़ादी के समय के क्रांतिकारियों के कुछ गिने -चुने नाम ही जानते हैं .... बाकी सब के नाम तो इतिहास में भी दर्ज नहीं हो पाए ...... आज हम उन सभी को याद कर नमन करते हैं जिनके नामों से हम परिचित भी नहीं हैं .. ऐसे ही एक क्रांतिकारी से मिलवा रहे हैं चौथा खम्भा के अरुण साथी ....



अनसुनी कहानी: गरम दल के क्रांतिकारी राजेंद्र प्रसाद का कटा हाथ कोर्ट लेकर आते थे अंग्रेज



राजेंद्र प्रसाद के पुत्र विजय सिन्हा कहते हैं कि उनके पिता दसवीं की पढ़ाई करने के लिए अपने ननिहाल कदम कुआं पटना चले गए। उनके मामा वकील और मुख्तार थे। उनकी पढ़ाई लिखाई पटना में शुरू हुई । इसी बीच में भगत सिंह के गरम दल से जुड़े और क्रांतिकारी बन गए।


आज इतनी बड़ी - बड़ी बातों के बाद कुछ बच्चों  की भी बात कर ली जाय .... ये है बाल झरोखा  सत्यम   की दुनिया ........



लिए तिरंगा हम निकले हैं


गाओ बच्चों मेरे संग में !
मिल जाओ सब मेरे दल में !!
घर-घर से आवाज उठी है 
बन्दे मातरम -बन्दे मातरम !
लिए तिरंगा मै निकला हूँ 
कदम ताल कर -छम्मक छम !

आज हम इस बाल ब्लॉग की रचना से ही चर्चा का समापन  करते हैं ....... अभी  स्वतंत्रता दिवस का  जुनून कम नहीं हुआ है ..... बस  पूरे  वर्ष हर दिन इसे महसूस करें  और एक अच्छा नागरिक बनने का प्रयास करें |  यदि हर नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करे तो देश तो स्वयं ही अनुशासित और  विकसित हो जायेगा .....


जय हिन्द ....

संगीता स्वरुप  

27 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन...
    दिन दूर नहीं खंडित भारत को
    पुन: अखंड बनाएँगे।
    आमीन..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आज अटलजी को याद करते हुए काश हम सब ये संकल्प ले सकेन्की अखंड भारत बनाएंगे ।
      आभार यशोदा ।

      हटाएं
  2. यदि हर नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करे तो देश तो स्वयं ही अनुशासित और विकसित हो जायेगा .....

    –सहमत हूँ

    उम्दा प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी की रचना के साथ चिन्तनपरक भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं से सजा सुन्दर संकलन । अपने पसन्द के सूत्रों में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार आ.संगीता स्वरूप(गीत) जी 🙏

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  4. बहुत ही सुन्दर सूत्र संजोये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  5. खुद को विशेष लिंक में पाना एक अद्भुत खुशी की बात है और इस माध्यम से और लोगों के लिंक तक पहुंचने का सुगम रास्ता

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रश्मि जी ,
      यूँ तो आपको पहचान की दरकार नहीं , लेकिन आपकी रचनाएँ अन्य लोगों तक पहुंच सकें बस यही प्रयास है । आभार ।

      हटाएं
  6. कवि हृदय संवेदनशील एवं प्रबुद्ध व्यक्तित्व वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।
    सभी पठनीय रचनाओं ने प्रभावित किया।
    देशभक्ति के विभिन्न विचार कविता,लेख और बाल-कविता रचनाकारों की भावनाएँ भारतीय संस्कृति की अनेका में एकता वाले कथन का प्रतिबिंब प्रतीत हो रही है।
    बेहतरीन संकलन के लिए आभार दी।

    सप्रेम प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आज यदि अटल जी को याद न करते तो अंक लगाने की सार्थकता ही न रह जाती । संकलन पसंद करने के लिए आभार ।

      हटाएं
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  8. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय बाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धाँजलि स्वरूप उनकी स्वतंत्रता दिवस को समर्पित कविता पढ़वाने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आ.संगीता जी!...हमेशा की तरह शानदार प्रस्तुति एवं बेहद उम्दा पठनीय लिंक्स...।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

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    उत्तर
    1. सुधा जी ,
      प्रस्तुति पसंद करने के लिए अत्यंत आभार ।

      हटाएं

  9. उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
    कमर कसें बलिदान करें।
    जो पाया उसमें खो न जाएँ,
    जो खोया उसका ध्यान करें॥
    वाह…बहुत खूब !
    बाकी सारीी रचनाएं भी बेहद उत्साहित करने वाली व देशप्रेम को जाग्रत करतीं👌👌
    स्सुवतन्न्दत्ररता दिवस की प्रस्तुति👏👏

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  10. बहुत सुंदर सराहनीय तथा पठनीय अंक,आदरणीय अटल बिहारी बाजपेई जी की रचना के साथ साथ सभी रचनाएँ एक नया संदेश दे रहीं,अति व्यस्तता में अभी सुचारू रूप से पढ़ नहीं पाई हूं,आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा तहेदिल से नमन,आदरणीय दीदी।

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  11. आदणीय मैम,
    मानों फुलबगीया जैसी है यह संग्रह विभिन्‍न रंंग और खुशवू से भरपुर ।
    धन्‍यवाद !

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