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शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

3007... एक दिन तुम देखना

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।

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ज़िंदगी और मौत के बीच का फ़ासला घटते देखना
अपनों-परायों को चंद साँसों के लिए तड़पते देखना
दुःख-अवसाद-बेचैनी-हताशा के अंतहीन समुंदर में
डूबती नब्ज़,टूटती साँसोंं के बीच इक उम्मीद-सी जगाती हैं 
किनारे की आस लिए पतवारों को लहरों से लड़ते देखना।
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

जीत होगी ज़िंदगी की



जीतता अब तक रहा है मुश्किलों से आदमी । जीत होगी फिर उसी की एक दिन तुम देखना । है जहां में आदमी का हौसला सबसे बड़ा । सर झुकाएगी वबा भी एक दिन तुम देखना ।

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आधुनिकता


गुण ग्राही संस्कार तालिका
आज टँगी है खूटी पर
औषध के व्यापार बढे हैं
ताले जड़ते बूटी पर
सूरज डूबा क्षीर निधी में
साँझ घिरी कलझाई में।।
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एक यथार्थ

यकायक जीवन चक्र शिथिल होता सा
एक अदृश्य शक्ति पैर फैलाने को आतुर 
समय की परिधि से फिसलती परछाइयाँ 
पाँवों को  जकड़े तटस्थ लाचारी 
याचनाओं को परे धकेलती-सी दिखी।

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हम बाज़ारू पानीदार हैं

बाज़ार को जब लगा कि पानी अब ब्रैंड होकर बिक रहा है तब नया किया जाए, अब आक्सीजन पर बाज़ार सक्रिय हो गया। अब मर्ज जो हो रहे हैं उनमें दम घुटने की पीड़ा को आपके सामने पेश किया जा रहा है, पीड़ा के बाद इसी बाज़ार ने प्रचारित किया कि हवा दूषित है, अब आपको जीना है तो आक्सीजन सिलेंडर पीठ पर लटकाने होंगे, बस क्या था अब बाज़ार हमारी पीठ पर भी लद गया, हमारी समझ का शिकार करने के बाद बाज़ार अब हमें पूरी तरह पंगु बनाना चाहता है, देखिए स्वस्थ जीवन और खुली हवा में जीने वाली दुनिया में आक्सीजन को लेकर कैसा हाहाकार मचा है।

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अभिसार का आसव



और विश्व के नस-नस में,
धधके पौरुष की ज्वाला।
अधराधर कर्षण-घर्षण में,
बहे मदिरा का नाला।

रम्य रमण रमणी का रण में,
आलिंगन अंतिम क्षण में।
उत्कर्ष के चरम चरण,
आरोहण अवरोहण में।
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पढ़ना न भूलें
कल का अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।
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#श्वेता


10 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीया मैम,सदा की तरह अत्यंत सुंदर और अनंदकर प्रस्तुति। जीत होगी ज़िंदगी की आशा का संचार कर मन में उल्लास जगती है। आधुनिकता गिरते जीवन मूल्यों पर एक सशक्त प्रहार है। एक यथार्थ आज की परिस्थिति का मार्मिक चित्रण खेती है और हम बाज़ारू पानीदार हैं एक बहुत ही सुंदर वैचारिक लेख है जो पर्यावरण के प्रति हमें सचेत करता है।अभिसार का आसव आदरणीय वश्वमोहन सर की दिनकर जी को एक सुंदर श्रद्धाजंलि है । हार्दिक आभार इस सुंदर विविधतापूर्ण प्रस्तुति के लिए जो मन में नव-विचार और नई प्रेरणाओं को जगाता है व आप सबों को प्रणाम।

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  2. सुंदर, सार्थक और सामयिक लिंक संयोजन। बधाई और आभार!!!

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  3. खूबसूरत रचनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति।

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  4. श्वेता जी बहुत सुंदर संयोजन हैं...। सभी लिंक अच्छे हैं, मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आभारी हूं। एक निवेदन आपके इस अंक के माध्यम से करना चाहता हूं कि यदि संभव हो तो सभी ब्लॉगर साथी अपने आलेख या रचना के आखिर में कोरोना से बचाव के संबंध में जिसे जो भी जानकारी मिलती हो उसे अपडेट अवश्य कर दें ताकि अधिक से अधिक लोगों तक उसे हम पहुंचा सकते हैं, क्योंकि बचाव ही सुरक्षा है। आभार आपका।

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  5. बहुत ही सारगर्भित सामयिक तथा यथार्थपूर्ण लिंकों का संयोजन मन मोह गया प्रिय श्वेता जी,आज के दौर में,जब हर तरफ हताशा और निराशा ही दिखाई देती है,आपका श्रमसाध्य कार्य एक प्रेरणा है,आप को अच्छे स्वास्थ्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं, जिज्ञासा सिंह ।

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  6. प्रिय श्वेता ...

    आज के पाँच लिंक और हर लिंक पर हर रचना शानदार .... इन ब्लोग्स पर जाना तो पहले भी हुआ लेकिन आज तीन ब्लॉग्स फ़ॉलो कर के आई हूँ ....असल में इन ब्लॉग्स पर फोलोअर्स का गेजेट काफी नीचे लगा मिला ... अभी तक ये ब्लोग्स मेरी पहुँच में नहीं थे ... इन तक पहुँचाने का शुक्रिया ... यूँ तो हर रचना बेहद अच्छी लगी लेकिन अभिसार का आसव और हम बाजारू पानीदार हैं ... ज्यादा पसंद आयीं ... सुन्दर संकलन के लिए बधाई .

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  7. सभी रचनाएँ सराहनीय है आधुनिकता और हम बाज़ारू पानीदार हैं विशेष पसंद आई। मेरे सृजन को स्थान देने हेतु विशेष आभार।
    सादर

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  8. यथार्थ और कल्पना, सामायिक और सरस साहित्य का अद्भुत संगम आज की प्रस्तुति।
    साधुवाद प्रिय श्वेता!
    आपकी भूमिका तो सदा ही शानदार और सार्थक होती है।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    सस्नेह।

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  9. प्रिय श्वेता, भूमिका की पंक्तियाँ आज के भयावह समय की कहानी कह रही हैं! ना जाने कितने भुक्त भोगी इन पंक्तियों का सच जी रहे होंगे! एक भावपूर्ण अंक जिसमें सभी रचनाएँ पठनीय और विचारणीय हैं! सभी रचनाकारों को नमन! तुम्हें बधाई और शुभकामनाएं 🌹❤❤💐💐❤

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  10. लाजवाब प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन...
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

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