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रविवार, 4 अप्रैल 2021

2088..दबे पाँव आई अनहोनी बड़ी ख़ामोशी से, हुआ हादसा

सादर अभिवादन

टाईम-टेबल नया आ गया है
अब से हर रविवार मैं या दिव्या
या फिर वे इन तीनों से कोई रहेगा
भाई कुलदीप जी
100 प्रतिशत मंगलवार को रहेंगे

उड़ा देती है नींदे भी
कुछ ज़िम्मेदारियां घर की
देर रात तक जागने वाला
हर शख्स
आशिक़ नही होता !
आइए रचनाएँ देखें....

चाहा तो बहुत मनमुताबिक न जी सके
जरूरत की चादर की पैबंद भी न सी सके
साकी हम भरते रहे प्यालियाँ तमाम उम्र
ज़िंदगी को घूँटभर सुकून से न पी सके


कुछ लोगों को सही मायनों में जान की कीमत नहीं पता ! बीमारी की चपेट में आने पर पहले की बंदिशें नहीं सहीं ! नाहीं ऐसे  लोगों को अपनों को खोने के दर्द का एहसास है! इन्हें सिर्फ अपनी मौज-मस्ती और तफरीह से मतलब है ! लेकिन यह सारा अनुभव तभी संभव है, जब तक इंसान जिंदा है, जिंदगी कायम है ! तमाम सावधानियों और दवा के भी पहले ऐसे लोगों पर लगाम कसना जरुरी है ! कहने में अच्छा नहीं लगता, शब्द भी कटु हैं, पर ऐसे लोग एक तरह से अपने परिवार के अलावा समाज और देश के भी दुश्मन कहे जा सकते हैं.......!!    


दबे पाँव आई अनहोनी
बड़ी ख़ामोशी से,
हुआ हादसा ..
कुछ ज़ख्म, कुछ खरोचें
कुछ मुंदी चोटें
गहरे काले निशानों के साथ
रक्तरंजित कर गईं चेहरे को


मुफ्त की दावत में उनने देखे इतने आइटम ,
भर लिया उनने लबालब खाना इतना प्लेट में
और जब खाने लगे तो इतना ज्यादा खा लिया
पानी पीने की भी गुंजाइश बची ना पेट में

निशाँ नहीं है, निशा मगर है
सदा रही है, सदा रहेगी
जो राज़ सबके छुपा रही है
सदा रही है, सदा रहेगी

चलते-चलते पढ़िए एक गढ़वाली रचना
एक बार टोपलि अर,
जुत्ता मा तकरार ह्वै।
माभारत छिड़ि बीच,
बाण्याँ बाणू प्रहार ह्वै।

देणु-बयुँ मिलि जुली,
घौ छा कना गैरा-गैरा,
कळ्दरू फ़ौज तैयार,
तब चौतर्फ्या वार ह्वै।

आज बस..
कल मिलिएगा दीदी से
सादर


5 टिप्‍पणियां:

  1. बिना जाने-सोचे उंगलियाँ उठा देते हैं लोग
    बातों से बात की चिंगारियाँ उड़ा देते हैं लोग
    अख़बार कोई पढ़ता नहीं चाय में डालकर
    किसी के दर्द को सुर्खियाँ बना देते हैं लोग
    सतरंगी मुक्तकों कविताओं और उम्दा लेखके साथ सुंदर प्रस्तुति आदरणीय दीदी। सभी लिंक सराहनीय और पठनीय। लगता है जिनके ब्लॉग लिंक हुए हैं रविवार को व्यस्त हैं। अन्य पाठक भी आयेंगे तो सही पर जरा देर से। सभी को प्रणाम, अभिवादन। सबका दिन शुभ हो 🙏🙏

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  2. अत्यंत सुंदर व विविधतापूर्ण प्रस्तुति पढ़ कर मन आनंदित हुआ। इस सुंदर हलचल के लिए हृदय से आभार व आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रशंसनीय प्रस्तुति दी।
    सभी रचनाएँ पढ़ ली है इत्मीनान से प्रतिक्रिया लिखूँगी।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुति, बहुत ही प्यारी रचनाएँ, सभी को ढेरों बधाई हो, यशोदा जी को सादर नमन 💐🙏🙏👏👏

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  5. बहुत ही बेहतरीन लिंक्स ...
    आभार

    जवाब देंहटाएं

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