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शुक्रवार, 26 मार्च 2021

2079....सखि रे!!

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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हमारी प्रिय कवयित्री
महादेवी वर्मा का आज जन्मदिन है।

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कचनारी रतनारी डाली 
 लचक मटक इतरायो
 सारंग सुगंध सुधहीन भ्रमर
 बाट बटोही बिसरायो
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो !!

श्वेता

रंगोत्सव की इंद्रधनुषी सुगंध और
मौसम के बदलाव का एहसास करते हुये आज की विविधापूर्ण 
रचनाओं का आनंद लेते हैं। 

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चाय पर चर्चा तो बहुत सुनी होगी आपने, 
चित्र-आधारित
 यहाँ जो चाय परोसी गयी है 
उसके पात्र पति-पत्नी को
 भले ही बाघ और बकरी के बिंबात्मक संदर्भ में
चित्रित किया गया है किंतु यकीन मानिये मैंने इस रचना को जितनी बार पढ़ा हर बार एक नया अर्थ मिला आप पढ़कर अपना मतंव्य जरूर बताइयेगा-

बाघ-बकरी चाय



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प्रेम एहसास है, मन का अलौकिक स्पंदन, जिसे भौतिक रूप से प्राप्त करने की लालसा वेदना का कारण बनती है, 
प्रेम और रिश्तों का संबंध स्पष्ट करती
बेहद गहन भावों से गूँथी गयी रचना -



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 जीवन में खुशियों के 
इंद्रधनुषी रंग और दिलों में मिठास भरती,
 रंगोत्सव पर अपने मनमीत को
प्रेम पगी पत्र लिखती नायिका की खूबसूरत अभिव्यक्ति


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समसामयिकी परिस्थितियों पर
लिखी बेहतरीन गज़ल,जिसके हर शेर पर आप दाद दिये बिना
नहीं रह पायेंगे- 

अच्छी नहीं लगती 


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 फलों के राजा आम की आत्मकथा,आम पर अनगिनत रचनाएँ पढ़ी होंगी आपने,परंतु इस आम की गुठली की 
मासूमियत,आप पथिक को कुछ क्षण रूककर विचार मंथन के लिए आमंत्रित कर रही पढिए एक 
 अद्भुत रचना-



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आज बस इतना ही
कल आयेंगी विभा दी अनूठे संकलन के साथ।

#श्वेता सिन्हा

20 टिप्‍पणियां:

  1. शत शत नमन..
    सादर शुभकामनाएं.
    कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
    है अतीत तम घोर ;
    कौन बता देगा जाता यह
    किस असीम की ओर?
    बहुत ही अच्छा अंक
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका स्नेह और सहयोग है दी।
      आभारी हूँ।
      सादर।

      हटाएं
  2. सर्व प्रथम हिन्दीसाहित्य की मीरा और अमर कवियत्री स्वर्गीय महादेवी वर्मा की के पावन जन्मदिवस पर उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन

    🙏🙏🌹🙏🙏
    महादेवी वर्मा की विरह वेदना में पगी रचनाएँ साहित्य में मील का पत्थर हैं जिनकी आभा युगों तक साहित्य प्रेमियों के मन में उजास भरती रहेंगी। उनकी कुछ अमर पंक्तियाँ, जो मेरे मन के सदैव करीब हैं, के साथ उन्हें पुनः नमन 🙏🙏


    भूलती थी मैं सीखे राग
    बिछलते थे कर बारम्बार,
    तुम्हें तब आता था करुणेश!
    उन्हीं मेरी भूलों पर प्यार!

    नहीं अब गाया जाता देव!
    थकी अँगुली हैं ढी़ले तार
    विश्ववीणा में अपनी आज
    मिला लो यह अस्फुट झंकार!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय दी,
      मेरी प्रस्तुति के भूमिका के अधूरापन को पूरा कर रही बहुत सुंदर पंक्तियाँ चुनी है आपने।
      सहृदयता है आपकी दी।
      सस्नेह शुक्रिया
      बहुत आभार दी।

      हटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक अंक प्रिय श्वेता। संदीप जी की भावपूर्ण रचना और सखी कामिनी की मार्मिक प्रस्तुति के साथ हिमकर जी की सुंदर ग़ज़ल मन को छू गयी।सभी रचनाओं के पर तुम्हारी
    समीक्षात्मक दृष्टि बहुत विशेष है जिसमें भली भाँति रचनाओं के मर्म को पकड़ा गया है। जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ हमारे कवि भाई रवींद्र जी पहुँच गए। एक गुठली का मानवीकरण कर आत्म बोध जगाती रचना रच डाली। सभी पाठकों को ये विशेष रचनाएँ जरूर पढ़नी चाहिए। और रही बात बाघ -बकरी चाय की तो कवि मन की अभिव्यक्ति की थाह कोई कैसे पा सकता है कि किस को चाय पिलाई गयी है और व्यंगबाण का लक्ष्य कौन है 🤗🤗। बहरहाल, आजके आकर्षक अंक के सभी स्टार रचनाकारों को ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएं। तुम्हें भी रचनाओं की सुंदर समीक्षा और श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए ढेरों बधाई और प्यार ❤❤🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सारी रचनाओं को स्पर्श कर सुंदर विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया लिखकर रचनाकारों का उत्साह बढ़ाना आपकी विशेषता है दी।
      बेहद आभारी हूँ दी।
      सादर।

      हटाएं
  5. बहुत आभारी हूं श्वेता जी...शानदार चयन और शानदार प्रस्तुतिकरण। वाह...साहित्य को नया शीर्ष दे रहा है ये मंच। हम सब मिलकर शब्दों को जी रहे हैं कितना खरा और सच्चा दौर है। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए बहुत आभारी हूं। सभी रचनाओं की रचनाएं श्रेष्ठ हैं सभी को खूब बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी आदरणीय सर,
      आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया पाकर अच्छा लगा।
      आप सभी की प्रतिक्रिया ही हम चर्चा कारों को और अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है।
      सादर आभार।

      हटाएं
  6. रेणु जी बहुत सुंदर टिप्पणी है आपकी सारगर्भित...। एक आनंददायी माहौल है इस मंच पर। खूब आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. विस्तृत नभ का कोई कोना
    मेरा न कभी अपना होना।
    परिचय इतना इतिहास यहीं,
    उमड़ी कल थी मिट आज चली।

    मैं नीर भरी दुख की बदली
    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
    चिर स्मरणीय महादेवी को शत शत नमन
    और श्वेता जी-सी उनकी साहित्य संततियों
    को अशेष शुभकामनायें🌹🌹🌹🌹🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी विश्वमोहन जी,
      सादर प्रणाम।
      महादेवी के खजाने से चुनी गयी
      बेहतरीन पंक्तियाँ लिखी है आपने।
      आपसे सकारात्मक और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का आशीष पाकर अच्छा लगा।
      बहुत आभारी हूँ।
      सादर।

      हटाएं
  8. शुक्रवारीय अंक , महान कवयित्री महादेवी जी का जन्मदिन , और एक से बढ़ कर एक लिंक । इस सुंदर आनंद के लिए सराहना के शब्द कम पड़ रहे ।

    कचनारी रतनारी डाली
    लचक मटक इतरायो
    सारंग सुगंध सुधहीन भ्रमर
    बाट बटोही बिसरायो
    सखि रे! गंध मतायो भीनी
    राग फाग का छायो !!
    पूरी तरह फाग में मस्ती छा रही है । अनुप्रास अलंकार का खूबसूरती से प्रयोग किया गया है ... हर पंक्ति अनुप्रासांगिक हो रही है इसके लिए श्वेता तुमको बधाई ।
    बढ़िया व्यंग्य का लिंक बाघ बकरी , अच्छी नहीं लगती में ग़ज़लकार का पूरा मन ही उतर आया है , आम की गुठली भी दे रही है सार्थक संदेश होली के फूल थोड़ा सा मुरझाए हुए हैं ...लेकिन एक प्रश्न कि तुम प्रेम क्यों खोजते हो ? सोचने पर मजबूर कर गया ...
    हर लिंक तक पहुंचाने के लिए दिल से शुक्रिया ।

    अंत में महादेवी जी की एक प्रसिद्ध रचना


    जो तुम आ जाते एक बार

    कितनी करूणा कितने संदेश
    पथ में बिछ जाते बन पराग
    गाता प्राणों का तार तार
    अनुराग भरा उन्माद राग

    आँसू लेते वे पथ पखार
    जो तुम आ जाते एक बार

    हँस उठते पल में आर्द्र नयन
    धुल जाता होठों से विषाद
    छा जाता जीवन में बसंत
    लुट जाता चिर संचित विराग

    आँखें देतीं सर्वस्व वार
    जो तुम आ जाते एक बार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय दी,
      आपने मेरी लिखी पंक्तियों पर ध्यान दिया आपके स्नेहमयी शब्द मन को ऊर्जा से भर गये।
      जी दी आपका शुभ आगमन मेरे लिए नयी प्रेरणा है आपका जितना आभार कहें हम कम होगा।
      महादेवी का लोकप्रिय गीत साझा करने किया बेहद आभार आपका।
      सभी रचनाओं का सारयुक्त विश्लेषण और.विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ दी।
      सादर प्रणाम।

      हटाएं

  9. महान कवयित्री महादेवी जी के जन्मदिन शत शत नमन।
    शानदार चयन सभी लिंक एक से बढ़कर एक ..बस आनंद ले रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत आभारी हूँ प्रिय दी।
      स्नेह मिलता रहे आपका।
      प्रणाम दी
      सादर।

      हटाएं
  10. कवयित्री महादेवी वर्मा को सत सत नमन, इस मंच पर मेरी भी एक छोटी सी प्रयास को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी, आप सभी को होली की अग्रिम शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी जी,
      आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ।
      स्नेहिल शुक्रिया।
      सादर।

      हटाएं
  11. हमें नहीं बताया आपने
    कि कविता भी लिखती थी
    हमें तो लगा वे
    अमृत बरसाती थी
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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