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मंगलवार, 9 मार्च 2021

2062...शाम का भूला, आखिर घर आ ही गया

सादर अभिवादन
आदत नहीं है भूलना
पर जो विधि ने लिखा हो
होकर ही रहता है
प्रस्तुत है ताबड़-तोड़ प्रस्तुति

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अंक दी।
    ताबड़-तोड़ प्रस्तुति भी बेजोड है।

    सादर।

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति मुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार।
    सादर

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  3. बहुत बढ़िया चयन । हो आये सब लिंक्स पर । दृष्टिकोण और युगपरिवर्तन विशेष पसंद आईं

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  4. सुप्रभात । आज के आनंद में प्रतिभागी बनाने के लिए सविनय हार्दिक आभार ।

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  5. बहुत सुंदर संकलन, बङी सखी ।
    जैसे कभी-कभी जल्दी में बनाया भोजन भी और दिनों से ज़्यादा अच्छा बन जाता है !
    प्रत्येक रचना थोङे में कह गई पते की बात ।
    साधुवाद । नमस्ते ।

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  6. आज ब्लॉग पर न जाने क्यों मेरे कमेंट नहीं हो रहे ।समझ नहीं आ रहा क्यों । नूपरं के ब्लॉग पर बहती नदी से संबंधित कमेंट किया था 😥😥 चलो फिर देखूँगी ।

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