दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सोमवार, 8 मार्च 2021
2061...दुनियावी शोर से बेख़बर रात-दिन, उनकी आहट की इन्तज़ारी है
33 टिप्पणियां:
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जी दी आपके इस स्नेह के लिए क्या कहें...निःशब्द कर देती हैं आप।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और आशीष सदा बना रहे।
सस्नेह शुक्रिया
सादर।
मेरी पगली बहना..
हटाएंअच्छाइयों कर उजागर
कमियों को छुपाकर बता
आदत है मेरी..
सादर..
ज़रूर ही आज कुछ खास होगा इन लिंक्स में । अभी बस उपस्थिति दर्ज की है । जाते हैं सभी लिंक्स पर , एक ब्रेक के बाद 😄😄 ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ।
प्रणाम दी,
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी:)
सादर।
श्वेता ,
हटाएंहर रचना पर पहुँचें , खूब गहनता से पढ़ा , प्रकृति के सौंदर्य से अच्छा परिचय हुआ । हर कविता बहुत कुछ कहती हुई । बाकी कमेंट आपके ब्लॉग पर कर आई हूँ ।
शुभकामनाएँ
जी दी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रियाएँ उल्लासित कर गयीं।
हटाएंखासकर 'इन खामोशियों में---'
आपने हर बंध को लेकर सुंदर और सकारात्मक पंक्तियाँ लिखकर अपने भाव दिए और एक खूबसूरत रचना मिली मुझे उपहारस्वरूप..
सकारात्मक ऊर्जा से मन सींचने के लिए आपका धन्यवाद कैसे दूँ दी स्नेह मिलता रहे आपका:)
प्रतिक्रियास्वरूप लिखी आपकी पंक्तियाँ --
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बड़ी मुश्किल से दिल की बेकरारी को करार आया
जब हमने गुज़रते लम्हों के साथ गम को भगाया
ये शेर कुछ यूं कह रहा
रहते थे कभी उनके दिल में ...... आज गुहगारों की तरह
भले ही धुंधला गयी हो तस्वीर जो दिल में सजाई थी
तेरी बेरूखी ने जैसे दिल पर आरी चलाई थी ।
हर आहट पर लगा कि वो है
पर चारों ओर बस मौन है ।
चाहत की खुमारी किस कदर चढ़ी है
ये भी भूल गए कि ये विरह की घड़ी है ।
हादसों का क्या वो तो होते रहते हैं
सफर जारी रहे बस यही तम्मना करते हैं
अभी कहाँ मौत तुम्हारी बारी
अभी तो शुरू ही हुई है ज़िन्दगी बेचारी ।
खैर ! हो गया खूब इस ग़ज़ल का चिथडफिकेशन । ये शब्द मेरा ही ईजाद किया हुआ है । अभी तक जो कुछ लिखा उसे दिल पर मत लेना । यूँ ही गंभीरता में हास्य का तड़का है ।
यूँ ये ग़ज़ल बहुत खूबसूरत । मन तक पहुंची हर बात ।
अरे , इनको यहाँ क्यों छाप दिया । इज़्ज़त खाक में मिल जाएगी भाई । सब कहेंगे कि बहुत ही खुराफाती हैं । चलो कोई नहीं ,अब जो किया है तो भुगत भी लेंगे ।
हटाएंतुम खुश हुईं बस यही काफी है ।सस्नेह
अशेष शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाओं क समंदर..
खुश रहिए..
आपका आशीष है सर।
हटाएंप्रणाम
सादर।
सभी सखियों को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँँ💐💐💐💐श्वेता की रचनाएँँ तो हमेशा लाजवाब ही होती हैं , चलते हैं पढनें उनके ब्लॉग पर .....।
जवाब देंहटाएंजी दी,
हटाएंआपकी सहृदयता के लिए आभारी हूँ आपने प्रत्येक मेरी रचना पढ़कर प्रतिक्रिया लिखकर, उदारता से उत्साहवर्धन किया आपका.बड़प्पन है।
बहुत बहुत आभारी हूँ।
सादर शुक्रिया।
स्नेहिल शुभकामनाएं दी आपको भी।
श्वेता जी की रचनाएँ निःसंदेह लाज़बाब होती है और आज उनका एक साथ लुफ़्त उठाना...... दिलचस्प है
जवाब देंहटाएंआप सभी सखियों को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रिय कामिनी जी,
हटाएंआपका स्नेह है आपने हर रचना पढ़ी और अपने अनमोल विचार लिखे बहुत आभारी हूँ।
आपसबों की स्नेह की ऊर्जा से ही लेखनी चल पाती है।
सस्नेह शुक्रिया।
असीम शुभकामनाएं आपको भी।
व्वाहहहह
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया मे मुशायरे बाजी
बडी दीदी के ब्लॉग में अक्सर रहती है
या शब्द मिला
चिथड़ीफिकेशन
सादर नमन
सभी दीदियों को
आभारी हूँ दिव्या बहुत शुक्रिया।
हटाएंबहुत अच्छी हलचल लिंक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ दीदी।
हटाएंसादर।
शानदार रचनाओं का लिंक्स चयन एवम खूबसूरत प्रस्तुतीकरण के लिए आपका आदर एवम आभार यशोदा दीदी, अप सभी को महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई..
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा जी,
हटाएंहर रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर लेखनी को सकारात्मक ऊर्जा मिली।
बहुत आभारी हूँ आपने इतधा समय दिया।
स्नेह बना रहे।
शुक्रिया आपका।
सस्नेह।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण और आत्मीयता भरी प्रस्तुति के लिए सादर आभार प्रिय यशोदा दीदी | प्रिय श्वेता किसी परिचय की मोहताज नहीं | उनका लेखन बहुआयामी है और सहजता से मन में प्रवेश करता है |प्रिय श्वेता को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं| आपको पुनः आभार ब्लॉग से अनमोल मोती चुनने के लिए | सादर
जवाब देंहटाएंप्रिय दी,
हटाएंआपने निरंतर मेरा उत्साह बढ़ाया है मेरी लेखनी के अच्छे बुरे सारे अनुभवों को आपने सराहा और समय-समय पर सही मार्गदर्शन किया है आपके निश्छल स्नेह के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
बस आपका स्नेहिल आशीष की कामना है।
प्रणाम दी।
सादर।
पर्व से मुक्ति ही पर्व है।
जवाब देंहटाएंपर हो सकता है ये पहला पायदान हो इस ओर...
श्वेता जी की रचनाएं मतलब
प्रकृति प्रेम, प्रेम में पागलपन, पागलपन का नशा।
रोहित जी,बहुत आभारी हूँ आपने समय दिया सभी रचनाओं को पढ़ा और प्रतिक्रिया लिखी उत्साह बढ़ाया है।
हटाएंबहुत शुक्रिया
सादर।
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत आभारी हूँ अनुराधा जी।
हटाएंसादर।
शानदार रचनाओं का लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंबहुत आभारी हूँ संजय जी।
हटाएंसादर।
वाह !
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता आपकी कुछ पढ़ी कुछ अनपढ़ी रचनाएं एक साथ पढ़ कर मन मंत्र-मुग्ध हो गया।
हमेशा ही आपका सृजन मेरे आकर्षण का केंद्र रहा हैं,दूर से बजते मधुर गीतों सा।
सस्नेह! सदा नव प्रतिमान स्थापित करते रहो।
यशोदा जी बहुत बहुत आभार आपका एक अद्भुत संकलन को अपने पेश किया।
सादर।
जी दी,
हटाएंआपका सहयोग और आशीष सदा मिला है आपने सदैव उत्साह बढ़ाया है आपका आशीष मेरे लिए अमूल्य और विशेष है सदैव।
बहुत आभारी हूँ दी आपने रचनाओं को पढ़ा और
सराहा समय दिया।
अनुगृहीत हुई।
सस्नेह शुक्रिया
सादर प्रणाम दी।
एक विशेष दिन पर अत्यंत विशेष प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंमैं उस दिन भी आयी थी पर लिख नहीं पायी क्यूंकि मोबाइल पर बहुत अच्छा लिख नहीं पाती।
देरी से प्रतिक्रिया देने के लिए क्षमा चाहती हूँ।
आदरणीया श्वेता मैम की रचना पढ़ना सदैव ही एक आनंदकर अनुभव होता है। मैं समय -समय पर उनके ब्लॉग पर जा कर कोई न कोई रचना पढ़ती ही हूँ।
आज उनकी इतनी साड़ी न पढ़ी हुई रचनाएँ पढ़ कर आनंद आ गया। हर एक रचना सुकोमल भावों से बड़ी हुई प्रकृति के प्रति स्नेह और एक आनंदित एवं शांत मन की अभिव्यक्ति।
सभी रचनाएँ होठों पर मुस्कान ले आतीं हैं। इस अति आनंदकर प्रस्तुति के लिए पुनः आभार व आप सबों को प्रणाम।
प्रिय अनंता,
हटाएंस्नेह आभार।
तुम्हारा स्नेह और प्रत्येक रचना पर उत्साह वर्धक
विश्लेषित प्रतिक्रियाएं सचमुच एक रचनाकार की उपलब्धि है।
तुम्हारे इस स्नेह के लिए क्या कहूँ बस साथ बनाये रखना।
बहुत बहुत आभारी हूँ।
शुक्रिया
बहुत खुश रहो।
सस्नेह
bahot ache lafja me likha hai
जवाब देंहटाएं