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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

2044... न आओ अब साथ मेरे

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।

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जीवन की 
सूखी लकड़ी की नोंक में
 सोयी नन्हीं-सी आशा
जब अंधेरी परिस्तिथियों की
ख़ुरदरी ज़मीं से रगड़ाती हैं
 पलभर जीने की चाह में 
 संघर्षरत 
 दामिनी-सी चमककर 
उजालों की दुनिया से
साक्षात्कार करवाती है।
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आइये आज की रचनाएँ  पढ़ते हैं-
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न आओ अब साथ मेरे 

बहुत दूर तक  ना तुम 
आ सकोगे  साथ  मेरे 
शून्य मैं ,शिखर हो तुम
कब आ पाओगे हाथ मेरे ;
मरीचिका  में व्यर्थ की 
 ना खुद को  छलने दो मुझे 
  न  आओ  अब साथ मेरे   
अकेले ही चलने दो मुझे !

चुप से आँसू  हँसी में क्यों छलके,
मुसकराहट ये खोखली ना हो.
 
नींद कमबख्त दूर है बैठी,
रात पहलू में जागती ना हो.
 
खुशबुओं से महक उठा मौसम,
तू कहीं पास ही खड़ी ना हो.


बालू पर लिखा एक नाम

बालू पर पसरने का मन हुआ 
भुरभुरी बालू पर 
दाहिने हाथ की 
तर्जनी से 
एक नाम लिखा 
सिंधु की दहाडतीं लहरें 
अपनी ओर आते देख 
तत्परता से लौट आया 



अगली सुबह 
अब उसी शाख पर 
नई सृजन देख रही हूँ 
छोटी-छोटी कोमल पत्तियां  
नन्हे शिशु के कोमल तन सा 
जन्म देकर नई रचना को 
 प्रकृति हमें समझाती है 


अनमनेपन का
प्रकृति से अथाह प्रेम
झलकता है 
उसकी आँखों से 
प्रेम में उठतीं  
ज्वार-भाटे की लहरें 

दीवारों सी फ़ितरत मिली है मुझे भी
कि रह कर भी घर में न रहता हुआ मैं 

धुआँ है या शोला, जो दिखता ग़ज़ल में
सुलगती कहानी है...कहता हुआ मैं




अंतराल के
नीरव
रौरव को
नयन नीर से
अंतस ही में
धीरे धीरे
पाट रही हूँ 

उस सोख्ता कागज पर अगर स्याही वाली पेन की निब हल्के से टच कराते थे तो स्याही की एक बूंद उस पर बन जाती थी ,फिर वह बूंद धीरे धीरे चारों ओर वृत्ताकार शेप में फैलने लगती थी। उस वृत्त की न कोई सीमा न कोई परिधि न कोई अंत होता था।

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विभा दी के द्वारा संयोजित 
कल का अंक पढ़ना न भूले।
-श्वेता

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    शानदार अंक
    सुन्दर पंक्तियों से आगाजं
    जीवन की
    सूखी लकड़ी की नोंक में
    सोयी नन्हीं-सी आशा
    जब अंधेरी परिस्तिथियों की
    ख़ुरदरी ज़मीं से रगड़ाती हैं
    पलभर जीने की चाह में
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. इस शानदार सी प्रस्तुति के बीच मेरी इस तुक्ष्छ सी रचना का "पाँच लिंको के आनंद" पर स्थान पाना मेरे लिए बहुत ही सुखद अनुभूति है,आपका तहे दिल से शुक्रिया श्वेता जी ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  3. सराहनीय संकलन।
    मेरे सृजन को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर अंक प्रिय श्वेता! सखी कामिनी के काव्य लेखन के प्रथम प्रयास के साथ सभी रचनाकारों की अभिनव रचनाओं से सजा अंक लाजवाब है। सखी कामिनी को कविता की दुनिया में अभिनंदन और स्वागत के साथ ढेरों शुभकामनाएं! तुम्हें सस्नेह आभार मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए। बहुत दिन बाद मंच पर अपनी रचना को पाकर बहुत अच्छा लग रहा है। सभी रचनाकारों को बधाई और मेरे स्नेही पाठकों को सस्नेह आभार जिन्होंने ब्लॉग पर आकर मेरी रचना पढ़ी। सस्नेह

    जवाब देंहटाएं

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