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सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

2040 ....बाहर दुनिया पल दो पल की, एक सदी है भीतर

सादर अभिवादन...

एक सदी है भीतर ....डॉ. वर्षा सिंह
एक नदी बाहर बहती है, एक नदी है भीतर
बाहर दुनिया पल दो पल की, एक सदी है भीतर

साथ गया कब कौन किसी के, रिश्तों की माया है
बाहर आंखें पानी-पानी, आग दबी है भीतर

मुट्ठी भर सपनों की ख़ातिर, जाने क्या-क्या झेला
बाहर हर दिन मेला लगता, पीर बसी है भीतर

अपनी-अपनी मंज़िल सबकी, अपनी-अपनी दुनिया
बाहर लंबी-चौड़ी राहें, बंद गली है भीतर

रोज़ बदलता मौसम "वर्षा", सावन- फागुन लाए
बाहर हरी-भरी फुलवारी, फांस लगी है भीतर 
.....
आज स्वास्थ में कुछ गड़बड़ी है
आज एक ग़ज़ल ही पढ़िए

सादर 

13 टिप्‍पणियां:

  1. अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें चिन्ता लगी रहती है

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  2. अपना ध्यान रखिए दीदी !
    आप जो ग़ज़ल चुनकर लाई हैं ना, वह अकेली ही पाँच नहीं, पचास रचनाओं के बराबर है।
    एक नदी बाहर बहती है, एक नदी है भीतर
    बाहर दुनिया पल दो पल की, एक सदी है भीतर।
    मुट्ठी भर सपनों की ख़ातिर, जाने क्या-क्या झेला
    बाहर हर दिन मेला लगता, पीर बसी है भीतर !
    उफ्फ ! कितनी गहराई है अभिव्यक्ति में। बधाई डॉ वर्षा सिंह जी।


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    उत्तर
    1. प्रिय मीना शर्मा जी,
      मेरी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे रचना कर्म के लिए किसी पारितोषिक से कम नहीं है। मेरी लेखनी मुझे सार्थक लग रही है, आपकी इस अमूल्य टिप्पणी ने मुझे भावविभोर कर दिया है।
      हृदयतल की गहराइयों से आपके प्रति हार्दिक आभार 🙏
      शुभकामनाओं सहित,
      डॉ. वर्षा सिंह

      हटाएं
  3. सही कहा मीना जी ने, गहरा मर्म समेटे हुए लाजबाव ग़ज़ल, आप शीघ्र स्वस्थ हो जायेगी, परमात्मा की कृपा आप पर बनी रहे,सादर नमस्कार दी

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार आप सभी को
    ऋतु-संधि का असर था
    अब चुस्त-दुरुस्त हूँ
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय यशोदा अग्रवाल जी,
    जितनी प्रसन्नता मुझे इस बात से हुई कि आपने मेरी ग़ज़ल को शीर्षक पंक्ति में स्थान दे कर सम्मान दिया है साथ ही एकल लिंक के रूप में मेरी ग़ज़ल का चयन किया है, उतना दुख इस सूचना से हुआ कि आप अस्वस्थ हैं। चिंतित हूं और आशा करती हूं कि अब इस समय आपके स्वास्थ्य में सुधार हुआ होगा।
    कृपया अपना ख़्याल रखिए...अक्सर बदलता मौसम स्वास्थ्य पर हावी हो जाता है। समय पर दवा आदि लेती रहें... नसीहतें कुछ ज़्यादा लगें तो चूंकि आयु में निश्चय ही मैं आपसे बड़ी हूं इसलिए नसीहतों को कृपया अन्यथा न लें।

    पुनः हार्दिक आभार 🙏
    आपके लिए शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
    सस्नेह,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  6. Bahut hi badiya umda saranchna.....!!

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  7. क्या बात है, ek ग़ज़ल से सुसज्जित अनमोल अंक। वर्षा जी की सुदक्ष लेखनी से कलकल बहते भाव कमाल हैं----
    एक नदी बाहर बहती है, एक नदी है भीतर
    बाहर दुनिया पल दो पल की, एक सदी है भीतर
    आपको और वर्षा जी को बधाई और शुभकामनाएँ। अपना ख्याल रखिये। समय के संधिकाल में भीतर की सबसे उग्र समस्या ही सामने आती हैहै। 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय रेणु जी
      वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

      हटाएं
    2. आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई वर्षा जी🙏🙏

      हटाएं

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