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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

2028...कलेंडर पत्र-पत्रिकाओं में सिमट गया बसंत...

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है।


जीवन के 

रीते 

तिरेपन बसंत

मेरे बीते 

तिरेपन बसंत  

बसंत की प्रतीक्षा का 

हो न कभी अंत

प्रकृति की सुकुमारता का 

क्रम 

चलता रहे अनंत 

नई पीढ़ी से पूछो-

कब आया बसंत? 

कब गया बसंत...?  

कलेंडर पत्र-पत्रिकाओं में 

सिमट गया बसंत!

#रवीन्द्र_सिंह_यादव 


आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

वसन्तोत्सव...सोच का सृजन 

कुहू का शोर

दराज में अटके

चिट-पुरजे

मेघ गर्जन

पन्ने की नाव पर

चींटी सवार

*****

बसंत तुम लौट आये हो...

दिनभर इतराती

धूप

चबा चबा कर 

खाएगी 

गुड़ की पट्टी

राजगिर की लैय्या  

और तिलि के लड्डू

*****

कैसे कह दूँ की अब घात होगी नही...स्वप्न मेरे 


धूप ने है बनाया अँधेरों में घर,
देखना अब कभी रात होगी नही.

दिल में नफरत के दीपक जो जलते रहे,  
मीठे पानी की बरसात होगी नही.
*****



नीरवता में धड़कनों की धमक ..

खाली बर्तन सी बजती  है

तुम्हारी अनुपस्थिति बहुत खलती है

*****

कुम्हार का फ़लसफ़ा - -अग्निशिखा 


धूप थी कोई मुंडेरों से

जाने कब उतर
गई, बेवजह
ही
तितलियों के रेशमी लम्स - - -
सीने से लगाए रखा,
*****

और चलते-चलते पढ़िए 'उलूक टाइम्स' का तीखा कटाक्ष

घर के कुत्ते ने शहर के कुत्ते के ऊपर भौंक कर आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है बधाई हैउलूकबधाई है...उलूक टाइम्स 

 
उलूक

कुत्ते पाला कर
शहर में भी भेजा कर
अखबारों की जरूरत आज बदल कर
नई सोच उभर कर आई है

अच्छा करना
ठीक नहीं
कुत्ते ने कुत्ते के ऊपर भौंक कर
आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है

***** 

 आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

प्रस्तुति: रवीन्द्र सिंह यादव 

 

8 टिप्‍पणियां:

  1. आभार..
    इतनी बढ़िया वजनदार प्रस्तुति हेतु
    आभार..
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर संकलन । संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. बसंत की सुंदर भूमिका के साथ
    बेहतरीन सूत्र संयोजन
    मेरी रचना को सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह, बसंती बहार की तरह सुखद रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी रचनाएं बहुत गहरी हैं... बधाई

    जवाब देंहटाएं

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