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शनिवार, 28 नवंबर 2020

1959.. कृतज्ञता

सभी को यथायोग्य प्रणामाशीष

गुरुवार, 26 नवंबर 2020 को -थैंक्सगिविंग डे 2020 (यूनाइटेड स्टेट्‍स) था। नवम्बर माह के आखरी गुरुवार को पूरे अमेरिकन का एक दूसरे को धन्यवाद कहने का दिन है। और शुक्रवार को 'ब्लैक फ्राइडे' । आखरी सोमवार से सभी छुट्टी का मन बना लेते हैं। गुरुवार-शुक्रवार दो दिन पूरी तरह से सभी कार्यालय-विद्यालय बन्द रहता है। शनिवार-रविवार छुट्टी का दिन होता ही है। अपनों-रिश्तेदारों से मिलना.. धन्यवाद पार्टी करना।

टर्की में बेबी कॉर्न का भरावन मुख्य रूप से बना होता है।

इन दो दिनों की प्रतीक्षा पूरे साल किया जाता है–ख़रीदारी' के लिए..। प्रत्येक वस्तुओं पर 60-70% छूट रहती है ताकि गरीब जनता भी अपनी आवश्यकतानुसार सामान खरीद सकें और खुश रह सकें।

  कृतज्ञता

यदि अहंकार या अज्ञान के कारण आपको यह प्रतीत होता है कि वह तो आप का अधिकार था तो आप आभारी महसूस करने में सफल ही नहीं हो पाएंगे। इस के फलस्वरूप आप को ना तो प्रसन्नता मिलेगी ना आप को शांति और आनंद का अनुभव होगा।

कृतज्ञता

वह किसी प्रकार की संवेदना और दया का पात्र नहीं है 

संसार में बहुत से ऐसे लोग है 

जो किसी भी व्यक्ति के द्वारा किये  

उपकार को भूल जाते है 

और उसी व्यक्ति की आलोचना करने लगते है 

जिन्होंने बहुत सारे उपकार किये है 

कृतज्ञता

इन सैद्धातिक अवधारणाओं को व्यावहारिक अमल में लाने केे लिए पूरी इच्छा शक्ति और सोच विचार के साथ की गयी कोशिश की जरूरत होती है। ऐसे सामाजिक टीकाकारों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनका मानना है कि आधुनिक युग में लोगों में कृतज्ञता जैसे गुणों की कमी होती जा रही है

कृतज्ञता

कुछ ऐसी ही स्थिति आज मेरी है. मुझे संयुक्त राज्य अमेरिका में आये हुए एक सौ दिन हो गए है और यहाँ आकर ही मैंने इंटरनेट पर अपना ब्लाग ‘जाले’ लिखना शुरू किया. जिसमे अपनी कल्पनाओं के आधार पर अनेक आंचलिक कहानियाँ व दृष्टान्त लिख डाले. अपने जीवन के द्वितीय प्रहर में लिखी हुई कई कविताओं को भी इसमें प्रकाशित किया. समसामयिक विषयों पर भी लिखा तथा ब्लॉग को रोचक बनाये रखने के लिए इधर उधर के मसाले व चुटकुले भी इसमें डाले हैं आज मैं संतुष्ट हूँ कि मैंने इस अवधि में पूरे एक सौ रचनाएं प्रकाशित करके अपनी सेंचुरी मार दी है.

कृतज्ञता

समय आ गया है कि!!

जितना न हुआ तो तेरा,

आज फिर से हो जा उतना ही मेरा।

और मैं एक साधारण, सभ्य और पारदर्शी,

 आत्मा बोल रही हूँ।


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पुनः भेंट होगी...

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8 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद दीदी..
    हम तो आज तक यही समझते थे कि
    इस दिन कोई हादसा हुआ होगा,..
    आपकी इस प्रस्तुति के लिए मैं कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमन..
    आभार...
    ब्लॉग जाले का लिंक दीजिये
    आपके संस्मरणों का लाभ हमें भी मिलेगा
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. सांस्कृतिक विविधता को जीना रोचक है न दी...
    नयी जानकारी के साथ सुंदर रचनाओं का समन्वय हमेशा की तरह अनूठी प्रस्तुति।
    प्रणाम दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक जानकारी, यशोदा दी। उम्दा संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह कृतज्ञता के अनेक भावों को दर्शाती हुई आज की प्रस्तुति,बेहद सुंदर लगा

    जवाब देंहटाएं

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