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शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

1958 ..वक्त, इतना वक्त, देता है कभी - कभी

शुक्रवारीय अंक 

तट पर है तरुवर एकाकी,
नौका है, सागर में,
अंतरिक्ष में खग एकाकी,
तारा है, अंबर में,
भू पर वन, वारिधि पर बेड़े,
नभ में उडु खग मेला,
नर नारी से भरे जगत में
कवि का हृदय अकेला!

-हरिवंशराय बच्चन

आज है 



आपसभी का स्नेहिल अभिवादन

आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

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हाथ



उसके हाथों में

आश्वस्ति की गंध थी 

जिसे महसूस किया जा सकता था

अपने देह में किसी कस्तूरी मृग की तरह 


 एक मुद्दत बाद


वक्त, इतना वक्त, देता है कभी - कभी
इक ग़ज़ल भूली हुई हम गुनगुना बैठे।


लौटकर हम अपनी दुनिया में, बड़े खुश हैं
काँच के टुकड़ों से, गुलदस्ता बना बैठे ।



एक साया

काल के क़दमों से तेज़  
तीव्र  वेग से दौड़ता कुंठित मन-सा 
सूखे पात-सा लिप्सा में लीन 
 तृष्णा  की टहनी पर बैठा 
 काया को कलुषित करता।


क्या तुलना चींटी और हाथी में



अनुसरण करना 
कोई उनसे सीखे 
प्रेम-सौहार्द 
कोई उनसे सीखे 
यह चींटी ही है जो 
पात पर लगे भोजन को 
ना अकेले भोग लगाती है 
'वसुधैव कुटुम्बकम् ' का पाठ 
यह जाति ...
अकेले सिद्ध कर जाती है ।


देवता

हर जगह मौज़ूद पर सुनते कहाँ हो इसलिए,
लिख रखी है एक अर्ज़ी कुछ पता दे देवता।

शौक से तुमने गढ़े हैं आदमी जिस ख़ाक से,
और थोड़ी-सी नमी उसमें मिला दे देवता।


कूड़ा बीनते बच्चे


पीठ पे बोरा फटा, हाथ में थामे बलछी 
फटी शर्ट पतलून, पैर में चप्पल टूटी 
दौड़ दौड़ कर कूड़ा माँगें घर घर बच्चे 
दिल को देते दर्द कबाड़ में डूबे बच्चे 





आते जो खुले आसमान तले तुम भी ,
करने कुछ चमत्कार बस यूँ ही ... ताकि ..
होती मानव नस्लों की फसलों की रक्षा ,
होता हरेक दुराचारी का दुष्कर्म दुष्कर।
प्रभु ! तभी तो कहला पाते तुम .. शायद ...
मौन कागभगोड़े से भी बेहतर मौन ईश्वर ...

और.चलते-चलते सुनिये एक 

कविता





आज बस यहीं तक
कल मिलिए विभा दीदी से
पिछले एक वर्ष से कैलेफोर्निया में हैंं।
-श्वेता


9 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमन बच्चन जी को
    शानदार चयन
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. दिनभर में एक दो बार जरूर बोल देता है , –"माँ केवल शरीर से कैलिफोर्निया आ पायी।"
    गुरुवार हैप्पी थैंक्सगिविंग
    शुक्रवार ब्लैक फ्राइडे

    उम्दा लिंक्स चयन..

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चयन और उम्दा प्रस्तुतीकरण के लिए आप बधाई की पात्र हैं,श्वेता जी ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार..।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय श्वेता दी।मेरी रचना को स्थान देने हेतु दिल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. नर नारी से भरे जगत में
    कवि का हृदय अकेला....
    बहुत बार महसूस किया है इस अकेलेपन को ! भीड़ में भी, सभा समारोह में भी, भरे परिवार के बीच भी !
    प्रिय श्वेता, देखकर खुशी हुई कि मेरी रचना की पंक्ति आपको अच्छी लगी और आपने उसे शीर्षपंक्ति बनाया है।
    हर सहयोग व प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार।
    सुंदर अंक की प्रस्तुति के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर रचनाओं का संकलन ।
    मेरी रचना को 5 लिंकों का आनंद में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार।

    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय श्वेता दी CareerAlert

    जवाब देंहटाएं

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