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गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

1922 ...धोबी होने की कोशिश मत कर बाज आ

सादर अभिनन्दन
दशहरा की अग्रिम शुभकामनाएँ
पहले टोकरी खोलते हैं....

तुम क्यूँ भूले 
वे बचपन की यादें 
जब साथ मिलकर 
खेलते खाते थे |
लंबित गृह कार्य
किया करते थे
जब तक पूर्ण ना हो 



उन दिनों के दर्द को
कोई नहीं समझता
क्यों छुपा छुपा कर 
क्यों बचा बचा कर
इस तस्वीर में रंग भरते है
क्यों नहीं कहते
ये दाग बहुत ही अच्छे है


नीम बेहोशी से, फिर किसी ने कहा है 
बहुत कुछ, वक़्त को रोक कर, बेहर्फ़, 
ख़मोशी से,अजीब सा इक गहरा सुकून
है किसी की गर्म सांसों में, रूह बोझिल
लौट आती है बारहा, बेजान जिस्म को -  



छोटी-सी नाव
तैरा निंदा का सिन्धु
डुबाने वाले लाखों,
फिर भी बचे
प्रिय आओ ! यों करें
कुछ दर्द बुहारें।

नया लिबास


धोबी की इच्छा आकाँक्षाओं को 
अपने सपने में भूल कर भी मत ला 

याद रख 
धोबी होने की कोशिश करेगा 
गधा भी नहीं रहेगा 
बस
सादर
समझ जा ।




9 टिप्‍पणियां:

  1. अब नवरात्र में मंदिर दर्शन आवश्यक है
    मातारानी के दर्शन तो घर पर ही हो जाते हैं
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ कामनाएँ
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. हार्दिक शुभकामनाओं के संग सुन्दर प्रस्तुति की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    उम्दा अंक |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. नवरात्रि की शुभकामना।..
    सुंदर लिंकों का संकलन

    जवाब देंहटाएं
  6. आकर्षक अंक सुन्दर रचनाओं से सजा हुआ - - मेरी रचना शामिल करने हेतु आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं

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