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सोमवार, 21 सितंबर 2020

1893... आज एक ही ब्लॉग से *हिन्दी आभा भारत*

 सादर नमस्कार
आज आपका परिचय
एक छुपे रुस्तम से करवा रही हूँ
भाई रवीन्द्र सिंह यादव

पूरी परिचय उन्हीं की कलम से

हिन्दी कविता,कहानी,आलेख,हाइकु आदि लेखन 1988 से जारी. आकाशवाणी ग्वालियर से 1992-2003 के बीच कविताओं, कहानियों एवं वार्ताओं,विशेष कार्यक्रमों का नियमित प्रसारण. वेबसाइट: हिन्दी आभा भारत, ब्लॉग: हमारा आकाश:शेष विशेष, मेरे शब्द-स्वर चैनल (YouTube.com). गृह ज़िला: इटावा (उत्तर प्रदेश ) 

कृतियाँ:1.प्रिज़्म से निकले रंग (काव्य संग्रह-2018 ) 

2. पंखुड़ियाँ (24 लेखक एवं 24 कहानियाँ-2018) 

3. प्यारी बेटियाँ / माँ (साहित्यपीडिया द्वारा प्रकाशित सामूहिक काव्य संग्रह-2018/2019) 

4.सबरंग क्षितिज:विधा संगम 2019,अयन प्रकाशन 

 सम्मान: साहित्यपीडिया काव्य सम्मान 2018 

संपादन:अक्षय गौरव पत्रिका (त्रैमासिक) 

अन्य: नव भारत टाइम्स, अमर उजाला काव्य आदि वेबसाइट पर रचनाओं का प्रकाशन। 

संप्रति: निजी चिकित्सा संस्थान में नई दिल्ली में कार्यरत।

उनके कलम से प्रसवित रचनाएँ...


माँ (वर्ण पिरामिड) ...

माँ  

सृष्टि 

स्पंदन  

अनुभूति 

सप्त स्वर में 

गूँजता संगीत 

वट वृक्ष की छाँव।  


कोई रहगुज़र तो होगी ज़रूर ....

चलते-चलते 

आज यकायक 

दिल में 

धक्क-सा हुआ 

शायद आज फिर 

बज़्म में आपकी 

बयां मेरा अफ़साना हुआ


सत्ता ...

जनतंत्र  में  अब 

कोई  राजा  नहीं

कोई  मसीहा  नहीं

कोई  महाराजा  नहीं

बताने  आ  रहा  हूँ  मैं,

सुख-चैन  से  सो  रही  सत्ता

जगाने  आ रहा  हूँ  मैं ।  


वो शाम अब तक याद है .....

वो शाम अब तक याद है 

दर-ओ-दीवार पर 

गुनगुनी सिंदूरी धूप खिल रही थी 

नीम के उस पेड़ पर 

सुनहरी  हरी पत्तियों पर 

एक चिड़िया इत्मीनान से 

अपने प्यारे चिरौटा से मिल रही थी 


अश्क का रुपहला धुआँ ....

बीते वक़्त की

एक मौज लौट आयी, 

आपकी हथेलियों पर रची

हिना फिर खिलखिलायी। 

मेरे हाथ पर 

अपनी हथेली रखकर 

दिखाये थे 

हिना  के  ख़ूबसूरत  रंग, 

बज उठा था 

हृदय में 

अरमानों का जलतरंग।

...
इति शुभम्
सादर


13 टिप्‍पणियां:

  1. जौहरी हीरा ढूँढ़ न ले ऐसा कैसे हो सकता है
    हमसे परिचय करवाने के लिए हार्दिक धन्यवाद
    नायाब प्रस्तुतीकरण के लिए साधुवाद..

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहहह
    आल-इन-वन..
    हमारे रवीन्द्र भाई...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाकई
    छुपा रुस्तम ही है
    लवली लेखन..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. सही कहा.. विविध आयामों को लेकर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति वाकई काबिलेतारीफ है।
    धन्यवाद..शुभकामनाएँँ

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  5. छुपे कहां हैं रवीन्द्र जी तो रुस्तमे-ए-चिट्ठे हैं । शुभकामनाएं।

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  6. रविन्द्र जी की रचनाओं में विचारों का दावानल दहकता रहता है। आभार और शुभकामनाएं!!!

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  7. बेहतरीन रचनाएं.. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह !बेहतरीन संकलन। सराहना से परे रचनाएँ।आदरणीय रविंद्र जी सर को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

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  9. अत्यंत सुंदर प्रस्तुति आज की। आदरणीय रविंद्र सर की सभी रचनाएँ सदैव ही नए विचारों से भरी हुई बहुत सशक्त और पोरेरणादायी होती हैं। उनकी सभी कविताएं बहुत ही शिक्षाप्रद और आनंदकर होती हैं।
    वे मेरे ब्लॉग पर आ कर सदैव ही मेरा उत्साह बढ़ते हैं और अपनी विस्तृत टिप्पणियों से मेरा मार्गदर्शन भी करते हैं और ज्ञान बढ़ाते हैं, साथ ही साथ रचना को और सुंदर और शुद्ध बनाने के सुझाव भी देते हैं जिसके लिए मैं सदैव आभारी रहूंगी।
    प्रस्तुति बहुत आनंदकर है। आप सबों को सादर प्रणाम।

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  10. भाई रवींद्र जी की रचनाओं से सजा आज का अंक अपने आप में बहुत विशेष है।बहुमुखी प्रतिभा के धनी और अनन्य साहित्य साधक रवींद्र जी ब्लॉग जगत में अपनी शालीनता और मार्गदर्शन के लिए जाने जाते हैं। मेरा उनसे परिचय शब्दनगरी के दौरान हुआ तबसे उनका प्रोत्साहन और जरूरत पड़ने पर मार्गदर्शन भी मिला है। उनके ब्लॉग की चुनिंदा रचनाएँ पढ़कर गूगल प्लस वाले दिन स्मरण हो आये। सभी रचनाएँ बहुत प्रभावी हैं और अलग अलग रंगो से सजी हैं। यशोदा दीदी को आभार🙏🙏 और रवींद्र जी को हार्दिक शुभकामनाएं। वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सृजन के पथ पर यूँ ही चलते रहें, यही कामना है। 🙏🙏💐🙏🙏

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  12. सचमुच बहुमुखी प्रतिभा के धनी है आदरणीय रविन्द्र जी!समसामयिक विद्रुपताओं पर अपनी लेखनी के माध्यम से अपने विचारों की स्पष्टवादिता आपकी लेखनी की खासियत है...।हम आपके प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के हमेशा अभिलाषी हैं।सादर नमन एवं हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह!अनुज रविन्द्र जी की खूबसूरत रचनाओं से सजा ,बेहतरीन अंक । वैचारिक स्पष्टता उनकी रचनाओं की खासियत है ।

    जवाब देंहटाएं

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