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सोमवार, 6 जुलाई 2020

1815 हम-क़दम का एक सौ पच्चीसवाँ अंक सरहद

श्रीमान जी ने पहली बार
रात 3.30 बजे मंगल की प्रस्तुति बनाई

उनकी पीछे पन्ने पलटने की आदत नहीं है
जैसी भी बनाई बढ़िया बनाई
चलिए चलें
सिंहनाद हो चुका है
आज का अंक वीररस से सजा
संगीत से भरा...
......
 आदरणीय श्वेता सिन्हा
सोचती हूँ अक्सर 
सरहदों की
बंजर,बर्फीली,रेतीली,
उबड़-खाबड़,
निर्जन ज़मीनों पर
जहाँ साँसें कठिनाई से
ली जाती हैं वहाँ कैसे
रोपी जा सकती हैं नफ़रत?


आदरणीय कुसुम कोठारी
आओ साथियों दो घड़ी विश्राम कर लें ‌
ठंडा गरम रोटी चावल जो मिले पेट भर लें ।।

मंजिल दूर राह प्रस्तर हौसला बुलंद कर लें ।
मां का श्रृंगार न उजड़े ऐसा दृढ़ निश्चय करलें।।


आदरणीय सुजाता प्रिय
सरहद के इस पार।
भूले-से भी कदम बढ़ाये,
खाओगे बड़ी मार।
सरहद के.......
हम सरहद के रखवाले हैं,
हम से पंगा मत लेना।
मुफ्त में जान गवाओगे तुम,
हम से दंगा मत लेना।

आदरणीय उर्मिला सिंह
सरहद .......
देश की सरहद...पावन धाम है
उसके कण कण में 
भासितशहीदों की सांस है।।
देश प्रेम के अमृत का 
जब योद्धाओं ने पान किया



अब संगीत में 'सरहद'
आदरणीय विश्वमोहन कुमार 
उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगेहबान है आँखें


आदरणीय भाई रवीन्द्र जी
 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी 
फ़िल्म हक़ीक़त का अमर गाना-
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा



आदरणीय कुसुम कोठारी
वतन पे जो फिदा होगा
अमर वो नौजवां होगा


आदरणीय रेणु
पंछी नदिया पवन
पिल्म रिफ्यूजी



आदरणीयसखी श्वेेेता सिन्हा
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू
तेरी नदियों में बह जावां
तेरे खेतों में लहरावां
इतनी सी है दिल की आरजू



अन्य... संदेशे आते हैं


आदरणीय सुबोध सिन्हा
रचना एवं स्वर 
 पीयूष मिश्रा 
मैं तो हूँ बैठा 
ओ हुसना मेरी 
यादों पुरानी में खोया 
पल-पल को गिनता 
पल-पल को चुनता

इति शुभम् 

लहू में उबाल तो आ ही गया होगा
कल भाई रवीन्द्र जी आ रहे हैं
नया विषय लेकर
सादर

10 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार प्रस्तुति।सरहद की रक्षा के लिए जान गवाँने बालों की सुंदर गीतों से सजा।

    जवाब देंहटाएं
  2. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना

    रोमांचक संग्रहनीय प्रस्तुतीकरण
    साधुवाद

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  3. वीर रस से ओतप्रोत रचनाएँ आज के समय की मांग भी है बहुत सुन्दर शानदार प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति।
    इस ओजमय अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    सभी रचनाकारों को बधाई इतने हृदय स्पर्शी काव्य सृजन के लिए ।
    चलचित्रों के सभी देश भक्ति गीत सुनकर दिल में नया ओज संचार।
    हमारे सैनिकों,सरहद ही नहीं देश के रक्षकों सलाम आप सभी को अंत:स्थल से ।
    शानदार प्रस्तुति के लिए साधुवाद।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर ओज़, सोज़ से सजी प्रस्तुति।सभी चयनित रचनाकारों को बधाइयाँँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सरहद विषय पर शानदार प्रस्तुति आदरणीय दीदी 👌👌👌👌। सरहदें मानव की अतिमहत्वकांक्षाओं की प्रतीक हैं। विस्तार की प्रबल इच्छा से ये सरहदें प्रायः रक्तरंजित हो जाती है जो बहुत दुखद हैं। साहिर की ये पंक्तियाँ कितनी सही हैं ------
    मालिक ने हर इंसान को इन्सान बनाया
    हमने उसे हिंदू या मुसलमना बनाया
    कुदरत ने तो बख़्शी थी हमें एक ही धरती
    हमने कहीं भारत कहीं ईरान बनाया--
    दुआ करें फिर से बटवारे की राजनीति ना हो, सरहदें न बटे, ना खून से लाल हों । सभी को शुभकामनायें और आभार। सादर 🙏🙏🌹🙏🙏

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  7. बहुत बहुत आभारी हूँ दी।
    विषय पर शानदार प्रस्तुति।
    सभी गाने लाजवाब हैं।
    मेरी रचना एवं मेरी पसंद के गीत शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया प्रस्तुति. आभार और बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं

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