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गुरुवार, 28 नवंबर 2019

1594...क्या तेरे पुराने साथियों ने तेरा साथ छोड़ दिया...

सादर अभिवादन। 

सृजन में 
स्वच्छंदतावाद
की हुई भरमार, 
वाद-पंथ पर होती  
बार-बार तकरार।
-रवीन्द्र 
  
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-


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बालक
क्या तेरे पुराने साथियों ने तेरा साथ छोड़ दिया 
जो तू अब अपनी प्यारी सी दुल्हनिया के साथ 
निहत्थे राहगीरों को लूटने लगा है?’


दुनिया के रस्मो-रिवाजों से अनजान हूँ 
मैं नाकाम हूँ तो इसलिए कि नादान हूँ। 
मैंने ख़ुद खरीदा है अपना चिड़चिड़ापन 
बेवफ़ाओं के बीच वफ़ा का क़द्रदान हूँ। 
बिकते ही
 मालिक के प्रति
वफ़ादारी का पट्टा पहने
मालिक की आज्ञा ही
ओढ़ना-बिछौना जिनका
अपने जीवन को ढोते  ग़ुलाम।


सुर मेरे ! उपहार बन जा
जिसे पा सका जीवन में
सुन , मेरा वो प्यार बन जा
फिर पुकारे हमें कोई
तू ही वह दुलार बन जा
खो गये हैं स्वप्न हमारे
दर्द की पहचान बन जा

फ़क़ीर हूँ - FAKIR HUNH - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY -  www.prkshsah2011.blogspot.in
मेरे लिए
  आरंभ क्या! अंत क्या!
 अंत ही आरंभ है,
   आरंभ का ही अंत है।
  मैं ही आरंभ करूँमैं ही अंत करूँ।
  एकल सत्य है – मैं एक फ़क़ीर’ हूँ।

 मेरा ये शहर
   कभी गुलजा़र हुआ करता था 
  हर तरफ हुआ करती थी 
   ताजा हवा ...

 
कितना बेसब्र है , भागा भागा जाता है। 
रखा है पूरा , मगर ले कर आधा जाता है 
बच्चे ! लूट अजनबी गलियों में 
तेरे छत ही से पतंगों का धागा जाता है


दिलों पर हुकूमत तलाशता है
ख़्वाहिशों का पहला निवाला
भूल जिगर पर राज वफ़ा का होता है
बरगद की छाँव बन पालने होते हैं,   
 अनगिनत सपनों  से  सजे संसार
तभी दुआ में प्रेम मुकम्मल होता है |
*****

हम-क़दम का नया विषय



आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

12 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना को शामिल करने के लिये आपका बहुत- बहुत आभार,धन्यवाद ..
    आपकी निष्पक्ष चयन शक्ति को नमन।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहह..
    बेहतरीन अंक..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! रविन्द्र जी ,शानदार प्रस्तुति । मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. स्वच्छंदतावाद तो बिना ब्रेक की और बिना स्टीयरिंग की गतिशील गाड़ी जैसा होता है. इसका उपयोग सृजन के लिए नहीं, बल्कि केवल विध्वंस के लिए ही हो सकता है.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर सूत्रों के बीच मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार आपका सादर शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  6. इस प्रस्तुति में मेरी रचना को आपने स्थान दिया इसके लिए बहुत-बहुत आभार आपका। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति.
    शानदार रचनाएँ. मुझे स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया सर
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. अत्यंत संतुलित , सार्थक प्रस्तुती आदरणीय रवीन्द्र भाई | भूमिका में लिखी चार पंक्तियाँ अभिव्यक्ति
    के अधिकार की विद्रूपता को जाहिर करती हैं | आजकल किसी के बारे में सांकेतिक भाषा इस्तेमाल करना एक चलन सा बन गया है | रचनाकार ये नहीं सोचते कि किसी के सम्मान को ठेस पंहुचा कर वे अपना सम्मान उससे कहीं अधिक घटा लेते हैं भले उनकी लेखनी कितनी भी प्रखर क्यों ना हो | सो सम्मान करें सम्मान पायें , यही विद्वानों का आभूषण हैं | वाचालता एक विकार है फेसबुक पर तो स्थिति बहुत शोचनीय है | सुंदर अंक के लिए हार्दिक शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं

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