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मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

1565 ...अबकी बार लौटा तो मनुष्यतर लौटूंगा

सादर अभिवादन
गई दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
आज भैय्यादूज है..
सभी को शुभकामनाएँ

कुछ रचनाएँ हैं..पर पहले एक कालजयी रचना
अबकी बार लौटा तो ... कुंवर नारायण
अबकी बार लौटा तो
बृहत्तर लौटूंगा
चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं
कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं
जगह दूंगा साथ चल रहे लोगों को
तरेर कर न देखूंगा उन्हें
भूखी शेर-आँखों से

अबकी बार लौटा तो
मनुष्यतर लौटूंगा
घर से निकलते
सड़को पर चलते
बसों पर चढ़ते
ट्रेनें पकड़ते
जगह बेजगह कुचला पड़ा
पिद्दी-सा जानवर नहीं

अगर बचा रहा तो
कृतज्ञतर लौटूंगा

अबकी बार लौटा तो
हताहत नहीं
सबके हिताहित को सोचता
पूर्णतर लौटूंगा

अब कुछ नियमित रचना ...



पत्नी की रहनुमाई में, 
दिवाली की सफाई में, 
दृश्य एक दिखलाता हूँ 
क्या पाया, बतलाता हूँ।

एक पुराना बक्सा था 
जिसमें मेरा कब्जा था 
जब बक्सा मैने खोला 
धक से मेरा दिल डोला 


देख तो रघु की बेटी कितना सुंदर घरौंदा बनाई है।राजमहलों के नमूना ही पेश कर दिया।खिड़कियों की तो बात ना करो।महारानी पद्मिणी का झरोखा लगता है ।नक्काशी में बादशाहत झलकता है।
एक तू है जो जो साधारण घरों जैसा भी नहीं बना पाती ।घरौंदा क्या,वयाओं का घोंसला बनाई है।दरवाजे चूहे का बील है और खिड़कियाँ छछुंदर के।


पैक हुई लाॅकर मे, खुशियाँ अनलॉक करो।
पैक हुई लाॅकर मे, खुशियाँ अनलॉक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो रॉक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो रॉक करो।


करोड़ों दीप, कर उठे, एक प्रण, 
करोड़ों प्राण, जग उठे, आशा के क्षण, 
जल उठे, मन के छल, प्रपंच, 
लुप्त हुए द्वेष, क्लेश के सारे दंश, 
अब ये रात क्या सताएगी? 
तम की ये रात, ढ़ल ही जाएगी!
....
आज बस
कल आएँगी सखी पम्मी जी
सादर



10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचनाएँ हैंं।
    निश्चित ही इस संकल्प पर हमें दृढ़ रहना होगा कि हम मानव बने और मानवता के संदेश को अपनी लेखनी से शब्द दें।
    यशोदी आप सहित सभी को दीपोत्सव पर्व की शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन अंक।सभी रचनाएँ अत्यंत सुंदर और सराहनीय हैं ।दीदी सहित सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।दीपोत्सव पर्व,भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा की ढेर सारी शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. भाई दूज की शुभकामनाएँ...
    बढ़िया प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस

    भैया के बाढ़ो सिर पगिया,भउजी के बाढ़ो सिर सिंदूर

    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर अंक, बहुत अच्छी रचनाएँ। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय यशोदा दीदी , आज का सुंदर अंक देखकर बहुत ख़ुशी हुई | कल भी सुंदर प्रस्तुति थी , पर उपस्थित होना मुमकिन ना हुआ |आज हमकदम का विषय ना पाकर निराशा हुई | मैं तो बहुत दिनों से लिख नहीं पा रही , लेकिन मंच पर निर्धारित विषयों पर सुंदर रचनाएँ आ रहीं थी | अच्छा ही चल रहा था सब , पर अचानक क्यों व्यवधान आया समझ नहीं आया | पता नहीं स्थायी है या अस्थायी | आज के सभी रचनाकारों के साथ आपको भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं | सादर

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