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रविवार, 27 अक्टूबर 2019

1563.....दीपक बिना दिवाली कैसी.....


जय मां हाटेशवरी.....
सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
स्वागत है आप सभी का....
झिलमिलाते दीपों की, रोशनी से प्रकाशित, ये दीपावली.....
 आपके घर में, सुख-समृद्धि और, आशीर्वाद ले कर आए...
पांच लिंकों का आनंद परिवार की ओर से......
आप सभी पाठकों  व चर्चाकारों को....
दीपावली 2019 की ढेरों शुभकामनाएं....
कह दो अँधेरों से कहीं और घर बना लें अपना,....
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है|....



नीरज जी ने भी  क्या खूब लिखा है.....
रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,
वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,
वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,
जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,
उग रही लौ को न टोको,
ज्योति के रथ को न रोको,
यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।
दीप कैसा हो, कहीं हो, सूर्य का अवतार है वह,
धूप में कुछ भी न, तम में किन्तु पहरेदार है वह,
दूर से तो एक ही बस फूंक का वह है तमाशा,
देह से छू जाय तो फिर विप्लवी अंगार है वह,
व्यर्थ है दीवार गढना,
लाख लाख किवाड़ जड़ना,
मृतिका के हांथ में अमरित मचलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।
इन चंद पंखतियों के साथ पेश है....
आज के लिये मेरी पसंद.....
आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम
कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम
रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले
दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम

दीप और इंसान!
मेरी फ़ोटो
यह माटी की काया भी
जो रौशन हो सत्कर्मों से
तो दीप सा जगमगाएगी!
जले जो सद्भावों की लौ
तो खिल जायेगा चमन
रौशनी दूर तक जाएगी!

कैसे दीप जलाऊं मैं

ममता की आँखें पथराई
कैसे दीप जलाऊं मैं
बेटा दंगों की भेंट चढ़ा
सद्भाव कहाँ से लाऊं मैं

निरक्षरता है पाँव पसारे
कैसे दीप जलाऊं मैं
भुखमरी गरीबी करती बातें
रोटी, कपड़ा दे पाऊं मैं
बिन ब्याही बेटी के सपने
कैसे दीप जलाऊं मैं
लाल जोड़े की आस जगाये
दहेज़ कहाँ से लाऊं मैं

मुहब्बत का दिया जला कर तो देखो .

ऐसे दीयों की जब
सजी हो दीपमाला
हर दीप होगा अमर
नहीं चाहिए होगी हाला
इसमें  तुम खुद को
डुबा कर तो देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो ..

नर्क चतुर्दशी (रूप चौदस) की कथा और महत्व इस दिन यमराज के लिए करें दीपदान*



दिवाली

मिठाई पकवान बनाने की
भाई चारा निभाने की
यही मकसद होता इस पर्व का
गिले शिकवे भूल कर
तभी बड़े उत्साह से
मनाई जाती दीपावली |

दीप पर्व की शुभकामनाएँ

बसेरा हो जहाँ भी प्यार की दौलत लुटा डालो
मकां कहती जिसे दुनिया वो ढाँचे घर नहीं होते।
"अरुण" संदेश देता है जगत को "अप्प दीपो भव"
उजाले दिल में होते हैं सुनो बाहर नहीं होते।

मन के दीप .....

धवल रश्मियाँ उज्वल पथ,सद सम्मान लिखेगा -
मन के दीप जलेंगे . तमस ,मनस का हारेगा
चक्षु अंतस के जाग्रत होंगे जाग्रत होंगे तंतु तंतु
बांचेंगे दीप निष्पक्ष मर्म,नेह ऊँचा प्रतिमान लिखेगा -

लघुकथा :उलझे तार
मेरी फ़ोटो
"जानती हैं सबके दिल - दिमाग में आपको तथाकथित रूप से जाले लगे ही दिखते हैं परन्तु आप उस को साफ कर कैसे पायेंगी । अपने जिस दिमाग को आप वैक्यूम क्लीनर समझ
रही हैं ,उसके तारों को अहंकार ने उलझा रखा है । अहंकार के उलझे तारों को सुलझाने के लिये इसका रुख आपको खुद अपनी तरफ भी मोड़ना होगा न । विचित्र लग रहा है समस्या
और समाधान दोनों को इस तरह उलझा लिया है कि अब ऊपरवाला ही कुछ करे तो करे ... ॐ शांति शांति ...  "मैसेज भेज कर उसने फोन स्विच - ऑफ कर दिया ।

उलझे तारों को सुलझाना कह लो या दिल - दिमाग के तथाकथित जालों की सफाई ऊपरवाले से बड़ा कलाकार कोई नहीं है ।

आज बस इतना ही.....
अंत में आप को पुनः दिवाली की असंख्य शुभकामनाएं.....
आप सभी से एक निवेदन है.....

लाखों का सामान खरीदा,
कुलदीप ठाकुर...
हर बार की तरह दिवाली पर,
नहीं खरीदा एक भी दीपक,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....
जगमग है घर आंगन,
रंगीन लड़ियों-लाइटों से,
दीपक नहीं जलाओगे तो,
दीपक बिना दिवाली कैसी.....

धन्यवाद।


8 टिप्‍पणियां:

  1. पर्व त्योहार पर यदि किस असमर्थ पड़ोसी के घर हम एक भी दीपक जलाने का सामर्थ्य रखते हैं, तो वह हमारे भवन पर जगमगा रहे सैकड़ों बल्ब से लाख गुना बेहतर है..।
    एक निवेदन--
    कच्ची मिट्टी के ये पक्के दिए , भूल न जाना लेना तुम...।
    सदैव की भाँति आपकी सुंदर भूमिका एवं दीपावली की जगमग से भरी रचानाएँ,प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ । आपसभी के सुख,समृद्धि और यश में वृद्धि हो--।
    परमात्मा से मेरी एक और प्रार्थना है..
    इक दीप जले मेरे मन में प्रभु
    जहाँ तम न हो,कोई ग़म न हो
    जग से मेरा कोई अनुबंध न हो
    जो बंधन हो , तेरे संग अब हो..

    जवाब देंहटाएं
  2. वाकई..
    बेहद खूबसूरत रचनाएँ..
    आभार आपका...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    विशेषांंक अति सुंदर है कुलदीप जी।
    सभी सूत्र सराहनीय।

    जवाब देंहटाएं
  4. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं संग शुभ दिवस🌹

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति। दीपावली शुभ हो।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति।सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंक संयोजन।
    दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर रचना संकलन
    शुभ दीपावली 🙏🌷

    जवाब देंहटाएं

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