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सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

1557.. हम-क़दम तिरानबेवाँ अंक...दिवाली

स्नेहिल अभिवादन
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त्योहार का अर्थ होता है 
उमंग,उल्लास, खुशी,रंग,खुशबू,प्रेम,स्नेह 
अपनों का साथ और नियमित, 
एक ढर्रे से बंधी दिनचर्या में बदलाव, 
बदलाव जो नवीन ऊर्जा का संचरण 
करके मन मस्तिष्क और जीवन के प्रति 
अनुराग उत्पन्न करता है।
दीपावली ज्योति,रोशनी, सकारात्मकता,शुचिता
और ऊर्जा से जुड़ा त्योहार है।
दीवाली के अवसर पर जलाये जाने वाले पटाखों पर
हर साल विवाद होना पिछले कुछ वर्षों से आम हो गया है।

हाँ, सही है तमाम विरोधों  के बाद भी लोग पटाखे जलाते हैं,
प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान भी देते हैं,किंतु इसमें धर्म को दोष देना और कोसना अनुचित है,लोग सुविधानुसार धर्म का प्रयोग करते है, 
धर्म में निहित संदेश का अपनी समझ और दृष्टिकोण के आधार पर विश्लेषण करते हैं।
किसी भी वेद,पुराण,उपनिषद् या धर्म ग्रंथ में नहीं वर्णित की पटाखा चलाकर 
दीवाली मनाइये ये परंपरा संभवतः बारुद के आविष्कार के 
बाद प्रारंभ हुआ है।जो कि मेरी जानकारी में मुगलकाल में हुआ था।खैर,वजह चाहे कुछ भी हो सदियों से जिन परंपराओं का निर्वहन हो रहा है वो  अचानक से समाप्त होना नामुमकिन ही है। जरुरत है हमें
(आम जन को)जागरूक होने की,सुधार आम 
जनमानस के द्वारा ही संभव।
इस दीवाली खुशियाँ मुस्कुराहट बाँटियें।
मन में प्रेम और सद्भभावना का दीप जलाकर
समाज और देश को दीवाली का 
अनुपम उपहार दीजिए।

★★★★★

तो चलिए आज हम शाब्दिक फुलझड़ियों और
प्रेम सद्भाव युक्त शुभ्र लेखन दीप से
मन के तम को हरती 
झिलमिलाती दीवाली का आनंद लेते हैं
★★★★★

उदाहरण की रचना

आदरणीय मीना शर्मा
My photo

आई, दिवाली आई !
कभी धमाके से आती थी,
खूब पटाखों में छाती थी,
मीठा मन था मीठी बोली,
अब कैसी दीवाली, होली !!!

बेबस चेहरों की मायूसी,
मजदूरों की देख उदासी,
सारी खुशियाँ आँख चुरातीं,
त्योहारों की खानापूर्ती,
करती है महँगाई !
आई दिवाली आई !
और एक रचना
आदरणीय मीना शर्मा
दीपावली .....

दीपावली की रात
कितनी अनोखी है,
आसमाँ और धरती
दोनों मुस्कुराए हैं ।

नन्हें - नन्हें माटी के
दीप हुए रोशन,
मानो प्रकाशदूत
धरती पर आए हैं 

★★★★★★★


आदरणीय विश्वमोहन जी
की दो रचनाएँ
अकेले ही जले दीए! ...
उधर उम्मीदों के दीयों को
आंसूओं का तेल पिलाती
'व्हाट्सअप कॉल '
में खिलखिलाती
पोते- पोती सी आकृति
अपने पल्लुओं से
पोंछती, पोसती
बारबार बाती उकसाती!
पुलकित दीया लीलता रहा
अमावस को।



आदरणीय विश्वमोहन जी
अंधेरे में दीया जलाओ
प्रिय, प्रीत के गीत सुनाओ,
अंधियारे मे दीया जलाओ.
शब्द मेरे और सुर हो तेरे,
जीवन से हो दूर अंधेरे.

विपदा की बदली जब घेरे,
सजनी मेघ राग तुम छेड़े.
छंटे घन हो सुख के उजियाले,

बांध समा कुछ ऐसा गा ले.

★★★★★★

आदरणीया  कविता रावत
आई दिवाली आई ...
सबकी अपनी-अपनी दिवाली
सबके अपने-अपने ढँग हैं
धूम-धड़ाका देख तमाशा
जाने छिपे कितने रंग हैं
सबका अपना हिसाब-किताब यहाँ
सीधा हो या जुआड़ी-नशेड़ी भाई
आई दिवाली आई

खुशियों की सौगात लाई

★★★★★★

आदरणीया साधना वैद
आज खुशियों भरी दीवाली है

हर घर के स्वागत द्वार पर
छोटे-छोटे दीपों का हार है
प्रभु की स्नेहिल अनुकम्पा का
यह अनुपम उपहार है !
उर अंतर का हर कोना
आज खुशियों के उजास से
जगमगा रहा है
दीप मालिकाओं का
उज्जवल प्रकाश

★★★★★★

आदरणीया कुसुम कोठारी
दीवाली

प्रज्वलित करने मन प्रकाश को
दीपशिखा लहरायी
पुलकित गात,मुदित उर बीच
ज्यों स्नेह धारा बह आयी
अमावस के अंधियारे पर
दीप  चांदनी  छायी
मन तारों ने झंकृत हो
गीत  बधाई  गयी

★★★★★

आदरणीया सुजाता प्रिय
दिवाली के संकल्प ..
संकल्प करें अब दिवाली में,
विदेशी दीप नहीं जलाएँगे।
माटी से बना देशी तेल का
दीया हम सभी जलाएँगे।

★★★★★★


आदरणीय शुभा मेहता
दीवाली ...

आओ हम सब 
इस दीवाली 
अपने मन का 
दीप  जलाएं
भेदभाव छोडकर सारे 
दीप से दीप जलाएं 
कर दें उजियारा चहुँ ओर 
दीपमाल से गुँथ जाएं
जैसे इक माला के फूल 

★★★★★★

आदरणीय सुबोध सिन्हा

माना कि ... बिना दिवाली ही
जलाई थी कई मोमबत्तियाँ
भरी दुपहरी में भीड़ ने तुम्हारी 
और कुछ ने ढलती शाम की गोधूली बेला में
शहर के उस मशहूर चौक पर खड़ी मूक
एक महापुरुष की प्रस्तर-प्रतिमा के समक्ष
चमके थे उस शाम ढेर सारे फ़्लैश कैमरे के
कुछ अपनों के .. कुछ प्रेस-मिडिया वालों के

★★★★★★★

हमक़दम का यह अंक
आपको कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियाओं की सदैव
प्रतीक्षा रहती है।

#श्वेता सिन्हा

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मनभावन सरस रचनाओं का संगम । सभी रचनाएँ बेहतरीन।बिलकुल दिवाली-सी जगमगाती हुई ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। मेरी रचना को भी इस विशेषांक में साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहह..
    दीपावली के पूर्व
    दीपावली की शुभकामनाएं..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. सभीको दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं 🙏
    बहुत खूबसूरत ,जगमगाता संकलन । मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद श्वेता ।

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  4. लाजवाब प्रस्तुति। दीवाली की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह..बेहतरीन रचनाओं का संकलन के साथ लाजवाब प्रस्तुति..
    धन्यवाद

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  6. बहुत सुंदर रचनाओं का संगम

    दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. सार्थक भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति ! मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. आपने बहुत सरल ढंग से दीपावली की महत्ता को समझाया। आपके इस प्रस्तुति का आरंभ ही बेहतरीन है।
    यहाँ प्रस्तुत प्रत्येक रचना लाजवाब है। मानों सभी रचनाएँ अपने विचारों को हम तक पहुंचाने में सफल रही।
    आपको दीपावली की अग्रिम बधाई,श्वेता दी।

    जवाब देंहटाएं
  10. आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,व्यस्तता के कारण रचना नहीं लिख पाए।
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. हमक़दम के इस 93वाँ अंक के इस प्रकाशमय संकलन में मेरी रचना साझा करने के लिए हार्दिक आभार आपका ...

    जवाब देंहटाएं
  12. अत्यंत व्यस्तता भरे दिन में मैं संकलन की अधिकतर रचनाएँ पढ़ नहीं पाई हूँ। पढ़ने का समय ना मिल पाने पर खलता है। मेरी रचनाओं को साझा करने के लिए हृदय से आभारी हूँ। हमकदम के नए विषय का उत्सुकता से इंतजार रहता है। पटाखों के विषय में सखी श्वेता ने भूमिका में जो विचार व्यक्त किए हैं, उनसे सहमत हूँ। मुझे लगता है कि पटाखों के धुएँ और शोर से नन्हें पक्षियों को तो बहुत ही कष्ट होता होगा।

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  13. घर हुए जगमग
    रोशन हुए गलियारे,
    मन भी उमंगों की
    रांगोली सजाए है ।

    मीठे बोलों से मीठा
    कोई उपहार नहीं,
    पर्व यह प्रकाश का
    हमको सिखाए है ।
    सच में यही सिखाता है दीवाली का पर्व | सुंदर अंक और बेहतरीन रचनाएँ प्रिय श्वेता भूमिका सारगर्भित और विचारणीय विषय उठाती हुई | सभी ने दीवाली पर जमकर मौलिकता का परिचय दिया है | सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं
  14. रचनाओं की सुंदर दिवाली। शुभ दीपावली। बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं

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