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रविवार, 11 अगस्त 2019

1486...हर भारतीय के लिए गौरव का पल, ब्रिटिश संसद में विराजमान होगी गीता, गूंजेंगे पावन श्लोक


जय मां हाटेशवरी.....
ऐ  मेरे वतन के लोगो जरा आंख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो कुर्बानी..।
मिट गए ,जो खुशी से वतन के नाम पर, आओ सच्चे दिल से उन्हें हम याद करें,
दे गए जो हमें खुली हवा आजादी की, आओ ऐसे शहीदों को सर झुका कर प्रणाम  करें।
आज से 111 वर्ष पहले.....
आज ही के दिन.....
11 अगस्त 1908 को.....
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महा-नायक....
खुदी राम बोस को फांसी दी गयी थी.....
भारत मां के इस लाड़ले बेटे.....
फांसी के वक्त जिसकी आयु मात्र 18 वर्ष  ती.....
उनको पांच लिंकों का आनंद परिवार की ओर से.....
शत शत नमन व श्रद्धांजली
बस इस बार जाने दो माँ, मैं फिर लौटकर आऊंगा,
मुल्क़ देखेगा पूरा, जब हंसकर फांसी चढ़ जाऊँगा
उसकी मौत की राह गढ़ी मैंने, जूनून सवार था देश का,
बस इतना मलाल है जो मरा, वह कोई और ही अंग्रेज़ था
शहीद ही हो जाता उस वक़्त, जो हाथ में तब छुरा होता,
अंग्रेज़ों के हाथों मरने का ऐसा अंजाम तो ना बुरा होता
शनिवार सुबह दस बजे, गूंजा था देश अदालत में,
अभिराम के काला पानी में, खुदीराम की शहादत में
तेतीस करोड़ बारह लाख, होंगे सब तेरे घर के,
उनको ही परिवार समझना, साया रखना उनके सर पे
दस महीने और दस दिन में, फिर जन्म देगी मुझको मासी,

पहचान  देख लेना मेरी, गर्दन पर होगी तब भी फांसी
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 ई. को बंगाल में मिदनापुर ज़िले के हबीबपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम त्रैलोक्य नाथ बोस और माता का नाम लक्ष्मीप्रिय
देवी था। बालक खुदीराम के सिर से माता-पिता का साया बहुत जल्दी ही उतर गया था इसलिए उनका लालन-पालन उनकी बड़ी बहन ने किया। उनके मन में देशभक्ति की भावना इतनी
प्रबल थी कि उन्होंने स्कूल के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था। सन 1902 और 1903 के दौरान अरविंदो घोष और भगिनी निवेदिता ने
    मेदिनीपुर में कई जन सभाएं की और क्रांतिकारी समूहों के साथ भी गोपनीय बैठकें आयोजित की। खुदीराम भी अपने शहर के उस युवा वर्ग में शामिल थे जो अंग्रेजी हुकुमत
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कलकत्ता (अब कोलकाता) में किंग्सफर्ड चीफ प्रेजिडेंसी मैजिस्ट्रेट को बहुत सख्त और क्रूर अधिकारी माना जाता था। क्रांतिकारियों का मानना था कि वह अधिकारी देशभक्तों
खासतौर पर क्रांतिकारियों को तंग करता था। क्रांतिकारियों ने उसकी हत्या का फैसला किया। युगांतर क्रांतिकारी दल के नेता वीरेंद्र कुमार घोष ने घोषणा की कि किंग्सफोर्ड
को मुजफ्फरपुर (बिहार) में ही मारा जाएगा। इस काम के लिए खुदीराम बोस तथा प्रफुल्ल चंद को चुना गया।
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 खुदीराम  इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे उनके नाम की एक खास किस्म की धोती बुनने लगे। खुदीराम बोस को भारत की स्वतंत्रता के लिए संगठित क्रांतिकारी आंदोलन
का प्रथम शहीद माना जाता है।
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मन हर्षित है......
धारा 370 जिसे ढाल बनाकर.....
पाकिस्तान देश में हिंसा व आतंकी गतिविधियां कर पा रहा थ.....
उसे समाप्त करना ही.....
इन महान शहीदों को सच्ची श्धांजली है.....
अब हमे विश्वास है कि.....
अयोध्या विवाद में भी.....
करोड़ों भारतीयों की आस्था  को देखते हुए.....
माननीय सर्वोच न्यालय अपना  निर्णय देगा.....
अब पेश है....
आज के लिये मेरी पसंद.....

मुझको ही ढूँढा करोगे..
इतनी सी बात पे जो गये
उसे आवाज क्यों देना
कर लो किसी से भी मोहब्बत
उसमें मुझको ही ढूँढा करोगे...।

8 नवम्बर 2019, रात 8 बजे - प्रधानमंत्री जी का भाषण / विजय शंकर सिंह
अब सरकार को चाहिये कि 371 से जुड़े राज्यों को भी विकास की जद में लाया जाय। एक बात और सरकार को जहां जहां लगे कि विकास रुका है और नहीं हो रहा है, वहां वहां उतना हिस्सा काट कर यूनियन टेरिटरी बनाते चले, ताकि विकास न रुके। और हां, किसी से पूछने और राय लेने की भी ज़रूरत नहीं है, सरकार कभी कोई निर्णय गलत लेती ही नहीं, यह तो जनता समझ नहीं पाती है तो कुछ न कुछ बोलती, लिखती पढ़ती रहती है। अब जो हो चुका है, वह हो चुका है, अब सरकार अपने विकास के एजेंडे पर चले।

लघुकथा : उड़ान
सच जीवन भी कितना संघर्ष करवाता है अपनों के सुकून के लिये । बच्चे भी तो बड़ी कक्षाओं में आ गए हैं । हर दो - तीन साल बाद होनेवाले स्थानांतरण पर स्कूल बदलने से पढ़ाई पर भी असर पड़ने लगा था ,तभी तो अपनों के हिस्से में सारे सुख और सुकून संजोने की चाहत में अनिरुद्ध ने सारे संघर्ष अपने हिस्से कर लिए थे । उनके हर दिन की भागदौड़ देख लगता है कि रोज वो एक तिनका लाते हैं और हम सब के घोंसले को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की मजबूती से बाँधे रहते हैं । हर दिन का संघर्ष एक तिनका ही तो है ।


केसर क्यारी में
बारुद नहीं महके लोबान
गूँजे अल्लाह और अजान
हर हर महादेव जयकारा
सौहार्द्र गाये मानवता गान
रक्त में बहते विष चंदन होगे
समय की पहरेदारी में
एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में

धरा 370 के पैरोकारों से ....
क्या कहना कुछ शेष है,
धारा 370 के पैरोकारों से-
वो बदनसीब ही होगा जो,
रूठेगा मधुर बहारों से-


मां
संघर्ष के पलों में
पीठ सहलाती हुई तुम
अनगिनत रूपों में
मेरे पास ही रहती हो मां
समय के हर फ्रेम में
तुम्हीं रहती हो


आज बस इतना ही......
अंत में अमर-उजाला से......
हर भारतीय के लिए गौरव का पल, ब्रिटिश संसद में विराजमान होगी गीता, गूंजेंगे पावन श्लोक
इस अवसर पर सांसद पोल्स स्कोली ने कहा कि गीता विश्व शांति और सद्भावना के लिये एक प्रेरणा स्रोत है। आज के भौतिकवादी दौर में जिस तरह का अवसाद का वातावरण बना है, उससे निजात पाकर आनंदमय जीवन निर्वहन का संदेश एवं मार्गदर्शन गीता के माध्यम से मिलता है।
ब्रिटिश सांसद वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि यह ऐतिहासिक पल है, जब इस हाल में गीता को लेकर कार्यक्रम हो रहा है। कार्यक्रम का संचालन गुरुग्राम ग्राम यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. मार्कण्डेय आहुजा ने किया। कार्यक्रम में इंग्लैंड, स्काटलैंड, आईलैंड, रसिया, बंग्लादेश, मारीशस, इटली, कनाडा, नेपाल आदि कई देशों के राजदूत
शामिल हुए।


धन्यवाद।

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बेमिसाल प्रस्तुति..
    आभार...
    सादर..

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  2. खुदी राम बोस को शत-शत नमन व श्रद्धांजली

    बहुत सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. खुदी याम बोस को शत शत नमन ।
    अनुपम संग्रहणीय संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  4. अमर शहीद खुदीराम बोस को शत शत नमन! इस सार्थक संकलन का आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रथम शहीद खुदीराम बोस को सादर श्रद्धांजलि...
    शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक्स।

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय कुलदीप जी ,बहुत प्यारा अंक रहा
    अमर शहीद खुदीराम बोस के नाम। शत शत नमन इस वीर को जिसने अल्पायू में भी अपने प्रानो को मातृ भूमि हित समर्पित कर दि या ! इस सार्थक संकलन का आभार।कल prikriya ना दे पाई खेद है।

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  7. वाह बहुत खूब। बहुत सुंदर प्रस्तुति।भारत माँ के वीर सपूत
    अमर सहीद खुदीराम बोस को शत शत नमन।

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