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सोमवार, 8 जुलाई 2019

1452...हम-क़दम का अठहत्तरवाँ अंक... ....किताब..

स्नेहिल नमस्कार
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सोमवारीय विशेषांक में 
आप सबका हार्दिक अभिनंदन है।
आज सबसे पहले बात करते हैं ब्लॉग संपर्क फॉर्म की,
जिसपर आपको अपनी रचनाएँ सोमवारीय विशेषांक के लिए प्रेषित करनी है।
आप सभी से विनम्र अनुरोध है कृपया 
 अगली बार ब्लॉग सम्पर्क फार्म में
रचनाएँ भेजिए,ब्लॉग संपर्क फॉर्म में 
आई हुई रचनाएँ ही सोमवारीय विशेषांक में प्रकाशित की जायेगी।
आशा है आप सहयोग अवश्य करेंगे।
पाँच लिंक के बेव पेज पर जाकर निम्नलिखित फॉर्म आवश्यकतानुसार भरकर भेंज दें।


चलिए अब विषय पर आते हैं-
किताब
मनुष्य के ज्ञान का सबसे मुख्य और महत्त्वपूर्ण स्रोत है किताब।
अपनी बुद्धि विवेक के क्षमतानुसार अर्जित ज्ञान 
का लिपिबद्ध संकलन,जिसे समयानुसार हम उपयोग कर सकते है।
सृष्टि के सृजन का रहस्य से लेकर जीवन की सूक्ष्म बारीकियों का लिखित प्रमाण,जिसे आवश्यकतानुसार हम आत्मसात कर 
जीवन की जटिलताओं से जूझने के लिए मार्गदर्शन पा सकते हैं।
किताबों का संसार अत्यंत विस्तृत और रोचक होता है जिसमें कल्पना के साथ यथार्थ का अद्भुत तालमेल होता है। 
मुझे किताबें पढ़ना बहुत पसंद है आपने किताबों से दोस्ती की है क्या?
आपकी पसंदीदा किताब कौन सी है ?
★★★★★★

शुरूआत कालजयी रचनाओं से...
किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से / गुलज़ार

किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से 
बड़ी हसरत से तकती हैं
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती
जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं
अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर
बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें
उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है
-*-*-*-*-*-
सफ़दर हाश्मी
किताबें करती हैं बातें
बीते ज़मानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की, कल की
एक-एक पल की
ख़ुशियों की, ग़मों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की
क्या तुम नहीं सुनोगे
इन किताबों की बातें?
★★★★

आइये पढ़ते हैं हमारे प्रिय रचनाकारों की नियमित रचनाएँ...
आदरणीया साधना वैद जी
किताब और किनारे ....
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वह एक किताब थी , 
किताब में एक पन्ना था , 
पन्ने में हृदय को छू लेने वाले 
भीगे भीगे से, बहुत कोमल, 
बहुत अंतरंग, बहुत खूबसूरत से अहसास थे ।

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पन्नों में दबी एक रुमानी कहानी

 तुम्हारी बातें
जब आती हैं याद
जगातींं रातें 

भीगी सड़क
रिमझिम फुहार

हाथों में हाथ

★★★
आदरणीय आशा सक्सेना जी 
किताब ....

किताब में छिपी है
गहरे अहसासों की छुअन  
हर पन्ना सजा है
अनुभवों के मोतियों से
कभी सत्यपरक
कभी सत्य के करीब कथानक
या पूरी काल्पनिक
ऊंची उड़ाने भरती हुई कहानियां
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आदरणीया अभिलाषा चौहान जी
(दो रचना)
अनुपम किताबें ...

विद्या की देवी
अनुपम किताबें
सदा देती हैं सीख
दिखाती राह
मिटाती हैं अज्ञान
बनकर वरदान।


सच्ची मित्र ये किताबें

किताबें हैं सच्ची मित्र,
इनका संसार है विचित्र।
ये संजोए जीवन का सार,
ज्ञान का ये भंडार अपार।
देती हैं ये दिल खोल,
सब कुछ ये देती हैं बोल।



-*-*-*-*-*-
आदरणीया शुभा मेहता जी
किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं  ....
इक सुंदर से कवर वाली किताब 
जैसे ही पढने को खोली 
मैं तो उसमें खो ही गई ...
शायद ही कोई ढूँढ पाएगा मुझे 
मेरी कुर्सी , मेरा घर 
मेरा गाँव .......
सब कुछ पीछे छूट गया

-*-*-*-*-*-
आदरणीय अनुराधा चौहान जी
( दो रचना)
किताब जैसी ज़िंदगी ...

रोज नयी इबारतें लिखते
रोज नया ख्व़ाब गढ़ते
सुख के पन्ने बार-बार सहेजते
पर दुःख के पन्ने पलट नहीं पाते
अनेकों तस्वीरें सहेजे
किताब जैसी है ज़िंदगी

संस्कारों का दहन ....

युग बदला रीत बदली
इस दुनिया में प्रीत बदली
संस्कारों की झोली खाली
बंद अलमारी किताबों वाली
रीति-रिवाज दकियानूसी

-*-*-*-*-*-
आदरणीय डॉ. सुशील सर जी
एक किताब क्या जरूरी है ऐसा हो जाये
कुछ 
अच्छे पर 
कुछ 
अच्छा कभी 
कहा जाये 
और एक 
किताब हो जाये 

दिखे 
रखी हुई 
सामने से कहीं 
किताबों की बीच 

किताबों की भी 
किताब हो जाये 

-*-*-*-*-*-

आदरणीया सुजाता प्रिय जी
पुकार किताब की ...
आओ बच्चों!मेरे कुछ,
पन्नों को तुम भी पढ़ लो।
ग्यान के स्वर्णिम भूषण से,
जीवन को तुम मढ़ लो।
मुझको पढ़कर सारे प्राणि,
हो जाते हैं पंडित ग्यानी।
मुझमें देखो रची हुई है,
संतों की सब मीठी वाणी।

-*-*-*-*-*-

आदरणीया अनीता सैनी जी 
ज़िंदगी की किताब .....

वक़्त  ने   लिखे  अल्फ़ाज़,
ज़िंदगी  की नज़्म  बन  गयी, 
सीने में दबा, साँसों ने लिया संभाल, 
अनुभवों  की  किताब  बन गयी  |
-*-*-*-*-*-

आज का यह संकलन आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की
प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।

#श्वेता सिन्हा











17 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बहुत सुंदर निर्णय...
    आपकी परेशानियां बढ़ जाती है संकलन में
    हम समझते हैं महसूस भी करते हैं..
    किताब.. खरीदने वाले कम हो गए..
    उससे ज्यादा कम पढ़ने वाले हो गए...
    सारे मोबाईल पर ही पढ़ते हैं और
    चश्मे का नया नम्बर लेने डॉक्टर के पास
    जाते हैं.....
    सादर..

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  2. शुभ प्रभात ।
    किताबों का अपना ही संसार है जो खींचता है अपनी ओर...
    बेहतरीन भूमिका और बेहतरीन संकलन ।

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  3. नीतिगत फैसला..
    अब तलाश कर रचना लाने का दर्द खल्लास..
    आज के रचनाकारों को नमन..
    सादर..

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  4. सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
    उम्दा प्रस्तुतीकरण के लिए सस्नेहाशीष छूटकी

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  5. किताब ग्यान का आलोक है ।विद्या का अनुपम भंडार है।किताब के नमन में बंदन में जो कलमें चली वे अति सुंदर, शोभायुक्त और सराहनीय है।किताब ही है जो हमें जीवन पथ पर बढ़ने का सही राह दिखाती है।किताबो का सम्मान हम इसी प्रकार करते रहें ।बहुत ही सुंदर प्रस्तुति श्वेता ।सप्रेम धन्यबाद।

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  6. वाह किताबें ही किताबें। आभार 'उलूक' की किताब को भी जगह देने के लिये। सम्पर्क फॉर्म के जरिये ही सोमवारीय हमकदम की रचनाएं प्रस्तुत करने का निर्णय सही है। पुन: आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह!!बहुत सुंदर संकलन श्वेता । मेरी किताब को स्थान देने हेतु धन्यवाद ।

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  8. बहुत शानदार संकलन प्रिय श्वेता।"सारे मोबाइल पर ही पढतें हैं,चश्में का न. लेने डॉक्टर के पास जातें हैं"यसोदा जी आपका कहना सत्य है।धन्यवाद

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  9. अनूठे विषय पर अनुपम रचनाएं ! मेरी रचनाओं को आज के संकलन में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! शनिवार को दिन भर इन्टरनेट बाधित रहा और शाम को लाईट चली गयी इसलिए दूसरी रचना भेजने में कुछ विलम्ब हुआ ! लेकिन आपने उसे सम्मिलित किया इसके लिए पुन: आपका हृदय से आभार ! सभी रचनाएं बहुत सुन्दर हैं ! सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ! गुलज़ार की यह रचना मेरी अत्यंत प्रिय रचना है ! आज फिर से उसे पढ़ कर हृदय तृप्त हुआ ! मेरा सप्रेम अभिवादन स्वीकार करें !

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  10. लौकिक को आलौकिक से जोड़ती हैं किताबें ¡¡¡
    शानदार विषय
    लाजवाब भुमिका
    मोहक रचनाएं, सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार विषय पर शानदार रचना।
    सुंदर भूमिका के लिए बधाई एवम् धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी

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  13. बहुत ही सुन्दर हमक़दम प्रस्तुति 👌,मुझे स्थान देने के लिए सस्नेह आभार प्रिय श्वेता बहन
    सादर

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  14. शानदार प्रस्तुतिकरण...लाजवाब रचनाएं..
    सभी रचनाकारों को सुन्दर सृजन के लिए शुभकामनाएं।

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  15. गुलजार साहब और सफदर हाशमी जी की रचनाएँ यहाँ नौंवी की पुस्तक में है। कितनी ही बार पढ़ीं, पढ़ाईं हैं।
    जब वे कहते हैं -
    "किताबें झाँकती हैं बंद आलमारियों के शीशे से"
    तो मन में एक टीस सी उठती है। अब इंटरनेट पर ही इतना कुछ है पढ़ने के लिए कि किताबें पढ़ने का समय ही नहीं बचता। ई किताबों का जमाना आ गया। किताबी कीड़े मोबाइल या कंप्यूटर के कीड़े हो गए लेकिन लाइब्रेरी में पसंदीदा किताबें खोजने का मजा ही कुछ और था।
    इतना अच्छा विषय था तो रचनाएँ भी बहुत ही सुंदर आई हैं। बधाई बेहतरीन प्रस्तुति के लिए।

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  16. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति, किताबें
    इनसे बढ़कर मानव का कोई मित्र नहीं,सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सहृदय आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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