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सोमवार, 3 जून 2019

1417 ...हम-क़दम का तिहत्तरवाँ अंक.... प्रदूषण...

स्नेहिल नमस्कार
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पर्यावरण में दूषित पदार्थों के प्रवेश से प्रकृति
में पैदा होने असंतुलित दोष को प्रदूषण कहते है।
मिट्टी, हवा,पानी,वातावरण में अवांछनीय द्रव्यों के द्वारा
दूषित होना जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव सजीवों पर
पड़ता है, पारिस्थितिकी असंतुलन से
जीव-जन्तु,मानव,पशु प्रकृति को दुष्परिणाम
भुगतना पड़ता है।

आज प्रदूषण की सूची में
भूमि,जल,वायु,ध्वनि,प्रकाश जैसे
महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोतों का शामिल
होना समूची सृष्टि के लिए
चिंता का विषय है।

तो आइये हम इस गहन विषय पर लिखी अपने
प्रतिभासंपन्न रचनाकारों की
अत्यंत विचारणीय और सराहनीय रचनाएँ
पढ़ते हैं-
★★★★★★★★
प्रदूषण
.......
धरती स्वर्ग दिखाई दे / संतोष कुमार सिंह
कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे।
सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे। 
वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना,
दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो...

आदरणीया कुसुम कोठारी जी
प्रदूषण और हम

पापा वर्मा अंकल का पुरा घर सेंट्रली ए सी है हमारे तो बस तीन कमरों में ही है पापा अपने भी पुरे ए सी लगवा लो मेरी भी फ्रेंड'स में आखिर कुछ तो धाक हो आपकी और मेरी ।

पिकनिक मनाई बड़ी हंसी खुशी और आते वक्त सारा कूड़ा 
ड़ाल आये नदी में समुद्र में तालाब में ।

फैक्ट्रियों का कूड़ा नदी तालाबों और जल निकासी के नालों में 
डालना हमारा नैतिक कार्य हैं।

फैक्ट्रियां धुंवा उगल रही है तो  क्या फैक्ट्रियां अमृत निकालेगी...
.......
आदरणीया साधना वैद जी
प्रदूषण घटायें - पर्यावरण बचायें

कारें ही कारें 
दिखतीं सड़क पे 
हवा में धुआँ 

थोड़ी सी दूरी 
पैदल तय करें 
धुएँँ से बचें 

कोई और क्यों 
प्रदूषण का दोषी 
खुद को देखें 

चन्दा सूरज 
धुएँँ की चादर में 
धुँधले दिखें 

★★★★★★
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी
प्रकृति और इन्सान .....

हम इंसानो ने ही ये सारा प्रदूषण फैलाया है अपने अपने स्वार्थ में लिप्त हो कर, अपनी अपनी जिमेदारियो से मुँह मोड़ कर ,अपना कर्त्वय सच्चे दिल से पूरा न करके . हम इंसान से जानवर ही नहीं बल्कि वहशी दरिंदे बन गए हैं।  अब भी वक़्त है,प्रकृति हमे बार बार चेतावनी दे रही है .अगर हम अभी भी नहीं सभलें तो अगली पीढ़ी का हाथ हमारे गेरबान पर होगा .वो हमसे सवाल करेंगे कि हमने क्या उनके लिए यही धरोहर छोड़ा है और हम मुँह दिखने के लायक नहीं रहेंगे। मेरा 5 साल का भतीजा जब अपनी माँ को ज्यादा पानी बिखेरते देखा तो बोल पड़ा " सारा पानी आप सब ही खत्मकर दो जब हम बड़े होंगे तो हमारे लिए पानी ही नहीं बचेगा " उस बच्चे के सवाल ने हमे लज्जित किया। अगर अब भी हम अपने दायित्यो का निर्वाह अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार भी कर लेगे तो अगली पीढ़ी को मुँह दिखने लायक रहेंगे। 

★★★★★★

आदरणीय व्याकुल पथिक जी
प्रदूषण करता अट्टहास

प्रदूषण दशानन सा करता अट्टहास
दसों दिशाओं में हैं जिसका प्रताप
है कोई मर्यादापुरुषोत्तम ?
रण में दे उसे ललकार ।

रक्तबीज सा गगन  में करता प्रलाप
भूमंडल पर निरंतर  जिसका विस्तार
है   कोई   महाकाली ?
करे उसका रूधिरपान ।

★★★★★★ 

आदरणीया सुजाता प्रिया जी
मौलिक कर्त्तव्य निभाएँ हम...
प्रदूषण   दूर  भगाएँ   हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

स्वचछ बनाएँ अपनी धरती।
गोद बैठा जो पालन करती।
कूड़े-कचरे ना फैलाएँ हम।
मौलिक कर्तव्य निभाएँ हम।

★★★★★★ 

आदरणीया आशा सक्सेना जी
अभाव हरियाली का
लालची मानव को कोसते
जिसने अपने हित के लिए
पर्यावरण से की छेड़छाड़
अब कोई उपाय न सूझता
फिर से कैसे हरियाली आए
पथिकों का संताप मिटाए

★★★★★★★

आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा जी
चल रे मन उस गाँव ....

जहाँ क्लेश-रहित, था वातावरण, 
स्वच्छ पवन, जहाँ हर सुबह छू जाती थी तन, 
तनिक न था, जहाँ हवाओं में प्रदूषण, 
जहाँ सुमन, करते थे अभिवादन! 
चल रे मन, चल उस गाँव चल....

★★★★★★

 आदरणीया अनुराधा चौहान जी
प्रदूषण का दानव

प्रदूषण बना दानव
लील रहा है शुद्ध हवा
घोल रहा उसमें जहर
नदियों की निर्मल धारा छीन
धकेल रहा दलदल की ओर
प्रदूषण के भय से हो रहा
पर्यावरण असंतुलित 

★★★★★

आदरणीया अनुराधा चौहान जी
पत्थरों के शहर में
सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां
बीमारी को जन्म देती
प्रदूषण की बढ़ती मात्रा
शहर की जिंदगी ने
दिए जितने ऐशो-आराम
बदले में हमसे छीनी
सुकून की सांसें है

★★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान जी की
( तीन रचनाएँ)

बढ़ता औद्योगिकीकरण


उगलते जहरीला धुआं
कटते वन संकट में जीवन
होती जा रही हवा जहरीली
लीलती जा रही जीवन।।
निकलता कारखानों से
अपशिष्ट और कचरा
मिलता नदियों में
करता जल प्रदूषित
★★

मानव जनित प्रदूषण ...


बंजर होती धरती
बढ़ रहा असंतुलन।
वैज्ञानिक संसाधनों का
अनुचित प्रयोग
प्रदूषण का बना वाहक।
पड़ रहा असर
स्वास्थ्य पर
धरा के जीवन पर
छाया है घोर संकट

★★★

सांस्कृतिक प्रदूषण

प्रदूषण वाणी का
बढ़ाता द्वेष
जीवन में मचता क्लेश
टूटते रिश्ते-नाते
घुल जाता घृणा का विष
संयम वाणी पर
है अति आवश्यक
ईर्ष्या,निंदा,घृणा की भेंट

★★★★★
 आदरणीया अनीता सैनी जी
अति स्नेह  ने   किया  जऱ -जऱ    
प्राणों  का   दिया  उपहार 
कृत्रिमता   से  गहन  प्रेम  
 प्रकृति  का  बर- बस  उपहास 
मोह  में  बना   निठला   मानव 
 प्रदूषण   का   हुआ  शिकार 
★★★★★★

आदरणीया अनुष्का सूरी जी
प्रदूषण का हाल....
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मत पूछो भाई प्रदूषण का हाल
दमें से हैं कई बीमार
दूषित वायु की है मार
पेड़ बेचारे हैं मददगार
उनको काट कर हम बेकार
★★★★★
आपकी बहुमूल्य रचनाओं से सजा आज का यह अंक
आपको कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियाओं की सदैव
प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले।

#श्वेता सिन्हा

17 टिप्‍पणियां:

  1. आज अल सुबह से
    बारिश हो रही है...
    उड़ने वाली धूल बैठ गई..
    पत्तों पर जमी धूल बह गई..
    इस प्रस्तुति का कमाल है ये....
    कामयाब प्रस्तुति....
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. एक से बढ़कर एक रचनाए। सुन्दर संकलन हमकदम का।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रदूषण हमारे लिए और समस्त प्राणियों के लिए दिन प्रतिदिन बहुत ही घातक होता जा रहा है ! इसका निवारण यदि समय रहते ना किया गया तो सबका जीवन संकट में आ जाएगा ! बहुत ही सुन्दर, प्रासंगिक एवं ज्ञानवर्धक सूत्रों से सुसज्जित आज का अंक ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  5. बेहतरीन और लाजवाब.... हमकदम का अंक भी सदैव की तरह अत्यंत सुन्दर ।

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  6. लाजबाव अंक , सुंदर प्रस्तुति

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  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति स्वेता।ऐसा लग रहा है कि सभी लोग एकजुट होकर प्रदूषण की समस्या के समाधान में लगे हैं। अब प्रदूषण की गुत्थी जरूर सुलझेगी। धन्यबाद बहन।

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  8. बहुत ही सुन्दर और प्रेरणादायक संकलन श्वेता जी,पता नहीं मानव को हरियाली से बैर क्यों है,घर बनाते तो सड़क तक घर पक्का कर लेते हैं,यदि प्रत्येक इंसान अपने
    घर के बाहर दो वृक्ष भी लगाए तो कुछ सुधार हो सकता है लेकिन हरियाली की ओर
    भागने वाला मानव ही हरियाली को अपनी
    जिंदगी से दूर कर रहा है।पेड़ नहीं होंगे तो
    वर्षा कैसे होगी? मेरी रचनाओं को स्थान देने
    के लिए सहृदय आभार,सभी रचनाकारों को साधुवाद

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  9. बहुत ही महत्वपूर्ण विषय प्रदूषण पर बेहतरीन चर्चा हुई ,उमीन्द हैं ये सोच कुछ तो रंग लाएगी ,मेरे रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार श्वेता जी ,सादर

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  10. बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी बेहतरीन रचनाएं है सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी

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  11. बहुत ही सुन्दर हमक़दम की प्रस्तुति 👌
    शानदार रचनाएँ, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रदूषण पर बहुत सुंदर रचनाएं जो हर दृष्टि से यही समझा रही है कि प्रदूषण हमारे जीवन का अभिशाप है और इसके जिम्मेदार भी हम ही है। जाग मानव नही तो होगा बुरा हाल आने वाली पिढ़ियां हमें कोसेगी उन्हें अपाहिज सा जीवन हमारी देन होगा।
    बहुत कुछ कहती दमदार भुमिका के साथ शानदार रचनाओं का संकलन।
    बहुत अच्छा अंक।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर रचनाये और बेहतरीन रचनाओं का संकलन👌👌

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  14. वाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति स्वेता।सभी लोग एकजुट होकर प्रदूषण की समस्या के समाधान में लगे तो जल्द ही यह यह हमारे वातावरण से दूर हो जायेंगी।धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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