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गुरुवार, 16 मई 2019

1399....मत चुभाओ कभी भी किसी को भी बातों के शूल....

सादर अभिवादन। 
16 मई साल का 136 वां दिन।  पाँच साल 
पहले आज के दिन ही सोलहवीं लोकसभा 
के परिणाम घोषित हुए थे इस बार 
लोकसभा चुनाव परिणाम 
23 मई को घोषित होंगे। 
19 मई को चुनावों का अंतिम चरण है 
जब कीचड़-स्नान के बाद शाम को 
एग्जिट-पोल का परिणाम आ जायेगा। 

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
    
My photo
हुए आजाद हम कैसे, तू कर ले याद कुर्बानी
रहे सब अपनी सीमा में, सभी को ये हिदायत हो

सभी रहते जहाँ मिलजुल, वहीं से देश बढ़ता है
नहीं मज़हब, नहीं भाषा, ना जाति में अदावत हो


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धरा से सिमट अब दिलों में खिंच  गई 
कृशकाय पगडंडी पर दौड़ते रिश्ते 
रिश्तों की चाल बदल रही। 



मत चुभाओ कभी भी
किसी को भी बातों के शूल
रिश्तों की अहमियत को समझकर
मत पालो किसी के लिए भी नफ़रत
नहीं तो रह जाएगी रिश्तों की लाश धरी
समय में न संभले तो हो जाएगी देरी


मेरी फ़ोटो

सबकी समझ में आ गया था कि इंसान रहेगा तभी धर्म-जाति भी रह पाएगी ! मुफ्तखोरों को भी इशारों से समझा दिया गया कि मेहनत सभी को करनी पड़ेगी, यह नहीं कि सरोवर की काया पलट हम करें और तुम बर्तन ले कर पानी भरने आ जाओ ! अब अवाम ''देखिएगा, हम करेंगें, हमें करना है'' की बजाए ''देखें, हमने कर दिया है'' कहने वाले को तरजीह देने लगी ! सरोवर को हरा-भरा बनाने में एकजुट हुए लोगों का साथ, जाति, धर्म, भाषा को पैमाना बनाए बिना दिया जाने लगा। वृक्ष लगाए जाने लगे, लोगों को काम मिला, रोजगार बढ़ा। जेब में पैसा आया तो खुशहाली बढ़नी ही थी ! चौधरी भी समझ गए थे कि हवाबाजी के दिन हवा हुए ! अब कुछ ना किया तो चौधराहट तो क्या बिस्तर भी गोल करना पड़ जाएगा !       


मेरी फ़ोटो

कल जब परिवार टूट रहे थे तो ऐसी सुविधाएँ नहीं थीं। आज तो ऐसे सेंटरखुल चुके हैं कि जो आप को आपकी समस्याओं के बारे में सही दिशा निर्देश देने केलिए तैयार हैं और आपको उनमें समाधान भी मिल रहा है। फिर क्यों भटक करइस संस्था को खंडित कर रहे हैं। इसको बचाने में ही सभ्यता, संस्कृति और समाज की भलाई है। 


चलते-चलते इस सप्ताह के विषय के बारे में-
हम-क़दम का नया विषय



 आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव      

17 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई रवीन्द्र जी
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. एक से बढ़ कर एक सारगर्भित रचनाओं का संकलन। सादर नमन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन हलचल का सुन्दर संकलन, टूटते परिवार और रिश्तों का गहन चिन्तन , समाज का विचारणीय विषय समेटे हुए |
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    मत चुभाओ कभी भी किसी को बातों के शूल।
    वाह भाई क्या लिखा है ।सराहनीय सुविचार।
    बहुत ही शिक्षाप्रद प्रस्तुति।सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । सभी लिंक्स अत्यन्त सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. भुमिका जानकारी युक्त कसैले तंज के साथ परिणाम जो भी हो भुगतना ही है।
    कुएं और खाई वाली स्थिति।
    जनता के लिए एक ही जुमला.……
    आसमां से गिरा खजूर पर अटका
    रहा तो आखिर लटका का लटका ।

    बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंकों का संकलन सभी सामग्री उत्तम अभिनव।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहरतरीन प्रस्तुति ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह!!रविन्द्र जी बेहतरीन प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  10. पंचामृत में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान करने के लिए आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  11. सारगर्भित भूमिका के साथ सराहनीय रचनाओं का संकलन है आज के अंक में..रवींद्र जी सुंदर अंक।

    जवाब देंहटाएं
  12. शानदार प्रस्तुतिकरण...उम्दा लिंक संकलन..

    जवाब देंहटाएं

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