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शनिवार, 13 अप्रैल 2019

1366... चरित्र


रामकथा

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राम के बारे में पेरियार का मत है कि वाल्मीकि के राम विचार और कर्म से धूर्त थे। झूठ, कृतघ्नता, दिखावटीपन, चालाकी, कठोरता, लोलुपता, निर्दोष लोगों को सताना और कुसंगति जैसे अवगुण उनमें कूट-कूट कर भरे थे। पेरियार कहते हैं कि जब राम ऐसे ही थे और रावण भी ऐसा ही था तो फिर राम अच्छे और रावण बुरा कैसे हो गया

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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घर-गृहस्थी चलाने की कथा है. घर एक से नहीं बनता, वह दो (स्त्री-पुरुष) से भी नहीं बनता, घर बनता है एक से अनेक बनने में. ‘एक’ के इस ‘अनेक’ में तब्दील होने के बड़े संकट हैं.
किसी एक का स्वार्थ इतना बड़ा हो सकता है कि वह बाकियों के हित पर भारी पड़ जाए, बाकियों का साझा स्वार्थ इतना भारी हो सकता है कि घर के किसी एक के हित की बलि ले ले.

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देश में राम नाम की धूम सदियों से रही है. कण-कण और घट-घट में राम का वास होने की मान्‍यता है. 'राम नाम की लूट' की बात भी आपने सुनी होगी. लेकिन हम भारत के लोग मर्यादा पुरुषोत्‍तम राम और रामकथा के बारे में कितना जानते हैं?

इस साल रामनवमी का पावन उत्‍सव 13 अप्रैल (शनिवार) को मनाया जा रहा है. इस मौके पर क्‍विंट हिंदी आपके लिए लेकर आया है रामकथा क्‍विज.

फेस बुक पर के अनुभव से (उनकर) एगो तुरंता....
मेहनत करने वालों को बेकार मत कहो,
रक्षा न कर सके उसे चौकीदार मत कहो,
जो चाटते हों तलवे नेता विशेष के,
ऐसे लेखकों को साहित्यकार मत कहो ।
©गणेश जी बाग़ी(11.4.2019)




दोहरे चरित्र का बन रहा इन्सान है
ऊपर साधू अन्दर से बे-ईमान हैं |
बदल बदल कर अपने मुखोटों से,
अपने चरित्र का कर रहा निर्माण है। 
हौसले उनके जबरदस्त थे
शहर के लोग बड़े मस्त थे
उन्होंने दी पड़ोसी को गाली
ओह, कितने वतनपरस्त थे
बोलनेवाले हो रहे थे बुलंद
काम करनेवाले सब पस्त थे
किन्हीं की रातें जगमगाती थी 
किन्हीं के दिन के सूरज अस्त थे
आरोपी सच के ‘हिम’ कहाँ जाएँ 
उनकी खोज में झूठों के गश्त थे.
(©हेमन्त दास 'हिम' / 11.4.2019)
चरित्र
अपने स्वभाव की सरलता और सांसारिक छल-छद्मों के प्रति अनभिज्ञता के कारण वह दास विक्रेता प्रतुल के जाल में फँस जाती है। उसकी सरलता और समर्पण शीलता का परिचय इस तथ्य से मिलता है कि वह पृथूसेन की सपत्नी ही नहीं, दासी भी बनने को तैयार हो जाती है। वह कहती है— “मैं सीरो के साथ सख्य भाव से सपत्नीत्व स्वीकार करूँगी।

 प्रख्यात हास्य कवि प्रदीप चौबे जी को विनम्र श्रद्धांजली
 प्रदीप चौबे मंच के प्रथम श्रेणी के हास्य कवि रहे हैं। उनकी कई रचनाएं प्रसिद्ध हैं, जिनमें 'आलपिन', 'खुदा गायब है', 'चुटकुले उदास हैं' और 'हल्के-फुल्के' शामिल हैं।
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 फिर मिलेंगे....
आज के अंक का असली मकसद
छियासठवाँ विषय
धर्म
उदाहरण
सोचती हूँ
कौन सा धर्म 
विचारों की संकीर्णता
की बातें सिखलाता है?

सभ्यता के
विकास के साथ
मानसिकता का स्तर
शर्मसार करता जाता है।
अंतिम तिथि- 13 अप्रैल 2019
प्रकाशन तिथि- 15 अप्रैल 2019
प्रविष्ठि सम्पर्क प्रारूप पर ही मान्य


7 टिप्‍पणियां:



  1. सर्व प्रथम रामनवमी पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। यह पर्व हम सभी के आदर्श पुरुषोत्तम श्री राम के जन्मोत्सव का है।
    प्रयास हम सभी का होना चाहिए कि हम उनके उस संस्कार को स्वयं में धारण करें, जिसके माध्यम से समाज में समरसता लाने का प्रयास उन्होंने किया। दबे कुचले एवं निम्न जाति के लोगों को गले लगा, उनका जूठन खा सम्मान दिया। अहिल्या का स्पर्श कर समाज को बताया कि किसी के छल के कारण नारी अपवित्र नहीं हो जाती है। यह सबसे बड़ा संदेश उस युग में उन्होंने दिया। आज भी इसकी प्रासंगिकता है।
    हर जीवों से प्रेम करें। व्रत उपासना के नाम पर जब आप मांसाहारी से शाकाहारी होते हैं, तब आपके मन में भी कहीं यह भाव होगा ही कि पशु वध उचित नहीं है। क्षुधा शांत करने के लिये हम मनुष्यों के पास और भी भोज्य पदार्थ हैं। मानवता के आवश्यक है कि हम प्रेम की भाषा सीखें। मज़हब तो बस एक यही है। यही धर्म है।

    प्रणाम।

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  2. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    रामनवमी की शुभकामनाएँ
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. बुद्धि जीवी होने से पेरीयर मान्य नही हो जाता कुणठित विचारों का पोषक। उसके वक्तव्य से भ्रम ही फैलने वाला है। ऊपर ही ऊपर उसका विचार, मुझे तो कतई पसंद नही आया एक छोटा सा कथन लोगों में वैचारिक आंदोलन बन पथ भ्रमित कर देगा।
    वाल्मीकि रामायण का इतना भ्रष्ट आलोचक और कोई नही होगा।
    सविनय 🙏

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  4. नमस्कार दी ,अच्छी प्रस्तुति ,सब को रामनवमी के हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं

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