---

सोमवार, 8 अप्रैल 2019

1361..हम-क़दम का पैंसठवाँ अंक...

स्नेहिल अभिवादन
-------
आज तुम मेरे लिये हो
रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा,
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।

वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या,
वह सुधा के स्वाद से जा‌ए छला क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो

#हरिवंशराय बच्चन
हम-क़दम के विषय पर दिये गये चित्र पर 
सुधि रचनाकारों से
अद्भुत रचनाएँ प्राप्त हुई है।
मंत्रमुग्ध करने वाली रचनाएँ
निःसंदेह 
आपकी प्रतिभा आपकी सृजनशीलता
का परिचायक है।
हमक़दम के इस अंक में शामिल
सभी रचनाकारों को
हृदय से प्रणाम।
आपकी क़लम को हमारी
हार्दिक शुभेच्छाएँ

चलिए विलंब न करते हुये पढ़ते हैं
आज की विशेष रचनाओं को-
..................

आदरणीया साधना वैद जी
अब तो आ जाओ प्रियतम
जूड़े का हार बुलाये
कजरे की धार बुलाये   
बिंदिया सौ बार बुलाये
अब तो आ जाओ प्रियतम !

नैनों का प्यार बुलाये  
चितवन का वार बुलाये
सोलह सिंगार बुलाये


अब तो आ जाओ प्रियतम !
★★★★★
आदरणीया सुधा सिंह जी
नयन पाश

खिंचा आया था पुष्प में, अलि की तरह
पाश में ऐसा जकड़ा, निकल न सका।


इन निगाहों ने ऐसा असर कर दिया
न मैं जिंदा रहा, और न मर ही सका।
है प्रशांत सबसे गहरा, या चितवन तेरे
डूबा मैं जब से इनमें, उबर न सका।
★★★★★
आदरणीया रेणु जी
कौन दिखे ये अल्हड़ किशोरी-सी
मिटाती मलिनता  अंतस की 
मन  प्रान्तर  में आ बस जाए    
रूप   धरे  अलग -अलग  से -
 मुग्ध,  अचम्भित  कर जाए 
 किसी    पिया की है प्रतीक्षित   --  
 लिए    मन   की  चादर   कोरी सी ! !

आदरणीया सुप्रिया रानू जी
★★★★
नार और नृत्य

जीवन मे पग पग पर,
तुमने नित नव नव रूप बनाये,
अपनी बुद्धि और आत्मबल से,
ओ नार !
तुमने जीवन को कई नृत्य कराए।
जब आयी विषमताएं जीवन मे,
तो तुम सीता सी संग राम के वन में गयी,
और आत्मसम्मान की रक्षा में,
वही स्वरूप धरा में समाए
★★★★★
आदरणीया अनीता सैनी जी
वो ज़िंदगी सी लगी
नूर  को न निहारा
वो यूँ नाराज़ हो गई
उसे संवारने की चाह विफल रही
अब मैं  चला  वो देखती रह गई

अपनी मीठी रसना से
तुमने बोले प्रीत के दो बोल
डूब गया मैं शब्दों  में
जैसे अमृत का हो घोल
★★★★

अभिलाषा चौहान
मैं प्रकृति हूँ, मैं शक्ति हूँ 
मेरे कुंतल काले घुंघराले,
गजरों से सुंदर शोभित हैं।
ये हाथ मेरे मेंहदी वाले,
आभूषणों से सुसज्जित हैं।
मैं कमलाक्षी हूं मृगनयनी,
अधरों पर मेरे स्मित है।
मैं सौंदर्य में उर्वशी-रंभा हूं,
मैं आदिशक्ति-जगदंबा हूं।
★★★★★★★
आदरणीया आशा सक्सेना जी
रुप तेरा
रूप तेरा पूनम के चाँद सा
चेहरा सजा साज  सिंगार से
माथे पर कुमकुम का टीका
खुशबू से अंग अंग महका |
केश विन्यास सुन्दर तेरा  
बड़े सलीके से सजाया गया है

★★★★★

आदरणीया मीना भारद्वाज जी
कौन हो तुम?
सलमें-सितारों वाली
धानी चुनर ओढ़े
भाल पर
चाँद सा टीका सजा
और अलकें बिखराए
 घनी घटाओं का
नयनों में काजल 
 जूड़े में मोगरे की
 लटकन लटकाए
इठलाई सी
भ्रमित हुई सी
कौन दिशा से आई हो?
★★★★★★
आदरणीय रवींद्र भारद्वाज जी
इन कजरारी आँखों ने-1

मुझे दीखते 
ये  तुम्हारी कजरारी आँखें 
जंगल में लगी आग की तरह 
फैलाती है  
बेचैनी 
मुझमें 

मैं कहाँ चला जाऊ 
कि इनसे सामना ना हो कभी 
यही सोचता रहता हूँ .

★★★★★
आज का यह हमक़दम का अंक 
आपको कैसा लगा?
कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव

शुभकामनाएँ
प्रतिक्रिया स्वरूप अवश्य दें।

हमक़दम के अगला विषय जानने
 के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले।

तुम हो मेरे बता गयी आँखें
चुप रहके भी जता गयी आँखें

छू गयी किस मासूम अदा से
मोम बना पिघला गयी आँखें

रात के ख़्वाब से हासिल लाली
लब पे बिखर लजा गयी आँखें

बोल चुभे जब काँटे बनके
गम़ में डूबी नहा गयी आँखें

पढ़ एहसास की सारी चिट्ठियाँ
मन ही मन बौरा गयी आँखें

कुछ न भाये तुम बिन साजन
कैसा रोग लगा गयी आँखें

#श्वेता सिन्हा

15 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    बेहतरीन विषय
    बेहतरीन रचनाएँ
    बेहतरीन आप सब...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात ! विविधताओं से परिपूर्ण पुष्पगुच्छ सा आकर्षक और सुवासित अंक । इस अंक में मुझे स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. गज़ब... एक से बढ़कर एक रचना... साहित्य बगिया अच्छी सजी...

    जवाब देंहटाएं
  4. रूपवती बाला के सौन्दर्य से अभिभूत रचनाकारों की एक से बढ़ कर एक मनभावन प्रस्तुतियां ! हर बार की तरह हमकदम का यह अंक भी शानदार ! मेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! स्नेहिल सुप्रभात ! !

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह शानदार संकलन सुंदर प्रस्तुति
    रचनाकारों को बधाई
    सादर नमन सभी को

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन हमक़दम की प्रस्तुति 👌
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं|
    सस्नेह आभार प्रिय श्वेता जी मुझे स्थान देने के लिए |
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुति ,हर एक रचना लाजबाब ....

    जवाब देंहटाएं
  8. एक नयनाभिराम चित्र और उस पर इतना सार्थक भावपूर्ण सृजन कि बस शब्द बोल रहे हैं -- वाणी अवरुद्ध है | किसी ने कजरारे नैनों की भाषा को पढ़कर लिख दिया जो बोल रहे हैं ---''अब तो आ जाओ प्रियतम -- '', तो कोई इनके 'नैन पाश ' से बंध गया | किसी को '' वो जिन्दगी सी लगी ' तो किसी ने इसे 'नार और नृत्य 'से जोड़ दिया |किसी ने पूछा ,' कौन है तू ?' तो किसी ने कहा ' रूप तेरा ' |एक कविवर ने लिखा - '' इन कजरारी आँखों ने-', तो दूसरी कवयित्री ने कहा ;; 'मैं प्रकृति भी शक्ति भी '' |अत्यंत सराहनीय अंक के लिए हार्दिक बधाई प्रिय श्वेता | भूमिका में आदरणीय बच्चन जी की भावपूर्ण कविता और आखिरी में तुम्हारी सराहना से परे रचना मन मोह गयी-------------------------------



    रात के ख़्वाब से हासिल लाली
    लब पे बिखर लजा गयी आँखें
    बोल चुभे जब काँटे बनके
    गम़ में डूबी नहा गयी आँखें
    इनमें दो पंक्तियाँ और
    अपनी थी जब उन से ना मिली थी
    अब हो गई पल में पराई आँखे !!!!!!
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं | सस्नेह --

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरी रचना को स्थान मिला तहेदिल से आभारी हूँ |

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह ....विषय एक विचार अनेक
    लाजवाब विशेषांक
    सभी रचनाकारों को बधाई उनकी अनूठी रचना के लिए

    मुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार आदरणीया जी सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. सुप्रिया रानू जी के ब्लॉग पर टिप्पणी संभव नहीं हुई | कल देखती हूँ फिलहाल यही पर लिख रही हूँ |
    आपमे अदम्य साहस से जीत के बिगुल बजाए,
    ओ नार ! !
    प्रिय सुप्रिया -- बहुत ही चिंतन के बाद सुंदर सृजन किया है आपने एक नारी के जीवन का | नारी जीवन अत्यंत जटिलताओं के बावजूद भी गौरवान्वित करवाता है | इसकी उपलब्धियां गिनवाना संभव नहीं फिर भी आपने बहुत ही सार्थकता से नार और नृत्य को परिभाषित किया है | मेरी हार्दिक शुभकामनायें और प्यार |चित्र को सार्थक करती है आपकी रचना |मुझे दो तीन टंकण अशुद्धियाँ दिख रही हैं उन्हें एक बार जरुर देख लें | सस्नेह -

    जवाब देंहटाएं
  12. गूगल प्लस के जाने के बाद इस मंच पर आकर विकल मन को सब से मिलकर बहुत राहत मिली | सभी सहयोग बनाये रखे |

    जवाब देंहटाएं
  13. लाजवाब प्रस्तुतिकरण एक से बढकर एक रचनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  14. वाह बहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार
    प्रिय श्वेता

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।