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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

1322...अभिनन्दन सलाम करता हमारा हिन्दुस्तान...

सादर अभिवादन। 

है 
भ्रम 
टूटता 
प्रतिशोध 
अभिनन्दन 
सलाम करता 
हमारा हिन्दुस्तान।   



---एक वीर,सैनिक जब युद्ध पर जाता है तो उसके उदगार क्या होते हैं देखिये -----श्रृंगार रस में शौर्य , वीर रस की उत्पत्ति ----प्रस्तुत है एक नज़्म----'अब न ठहर पाऊंगा'



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दूर हूँ तुमसे न अब बातें उठें
मैं स्वयं रंगीन दर्पण तोड़ आया
वह नगर, वे राजपथ, वे चौंक-गलियाँ
हाथ अंतिम बार सबको जोड़ आया
थे हमारे प्यार से जो-जो सुपरिचित
छोड़ आया वे पुराने मित्र, तुम निश्चिंत रहना


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रचा चक्रव्यूह  
शिखंडी शत्रु ने 
 छुपके घात लगाई 
कुटिल  चली चाल 
 मांद जा जान छिपाई 
पल में देता चीर
ना  आया  आँख मिलाने को !
 लौटा माटी का लाल 
 माटी में मिल जाने को !!

धरा रुकु या गगन समाऊ 
या अम्बर धरती ले आऊ 
रति , मदन से कहे बिहँस कर 
स्वर्ग से बेहतर यही बस जाऊ !


मेरी फ़ोटो

मौन का स्पर्श
स्नेहसिक्त सम्बल
गढ़ता पहचान
निज नेह की
खामोशी की जुबान
अक्सर बोलती है


हम-क़दम का नया विषय

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति। जवानों का मनोबल ऊँचा रहे। भारत माता उन्हें आशीष दें और राष्ट्र का हर नागरिक अपना स्नेह।
    जय हिन्द, जय भारत।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर..
    आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात आदरणीय
    सुंदर अंक
    बेहतरीन रचनाएँ
    सरोज जी की रचना संकलित करने के लिए आभार...... सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचनाएं बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात !
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
    मेरी रचना को संकलन में स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन हलचल प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. युद्धोन्माद को विराम दो ! बिछड़ा लाल वापस लाने की कोशिश में जुट जाओ.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं

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