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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

1260...गुज़रता एक भी पल वापस न आयेगा

कैलेंडर की तारीख बदलने वाली है।
2018 को विदा करने को आतुर 
वक़्त 2019 के स्वागत लिए उत्साहित है।
बीतता हर लम्हा कैसे इतिहास बन जाता है 
इसके साक्षात गवाह हम और आप है।

गुज़रता एक भी पल वापस न आयेगा।
 ख़ास पल स्मृति में रह-रह के मुस्कायेगा।
आनेवाले पल के पिटारे में क्या राज़ छुपा है
 यह आने वाला पल ही बतलायेगा।

जीवन की चुनौतियों और खुशियों का बाहें फैलाकर 
स्वागत करिये फिर तारीख़ चाहे कोई भी हो, साल चाहे कोई भी रहे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।


आइये पढ़ते हैं आज की रचनाएँ

गौतम ऋषिराज
कितनी सृष्टि में कितना प्रेम
कि कहना न पड़े
मुझे प्रेम है तुमसे !

कितना प्रेम
कि करने को पूरी उम्र
भी कम हो जैसे !
★★★★★
आदरणीय लोकेश जी

कई दिन से चुप तेरी यादों के पंछी
फिर सहन-ए-दिल में चहकने लगे हैं

ख़्वाबों के मौसम भी आकर हमारी

आँखों में फिर से महकने लगे हैं

अमित निश्छल जी
क़लम,अब छोड़ चिंता
स्वयं ही डूबने को रत
सकल मनुजत्व मानव का
विलासी, दंभ में जीवन
मिटा, सत्कर्म आँगन का,
तिमिर का नेह किरणों से
स्वतः निरुपाय होता है
मलिन मन भी सखे नित ही
सदा असहाय होता है



★★★★★★
दीपा जी

स्वप्न-कोश
ना थे संचित
नयनों में
ना रोम-रोम में
मधुर 
कसक थी 
कहो प्रिय
★★★★★
पल्लवी जी

काश! कि ये हो पाता,
छोटा सा तू, जो धड़कता है।
इन नामुराद पसलियों के बीच,
तुझे आकार देना खुदा,
भूल जाता या तू खो जाता।

★★★★★
कामिनी सिन्हा

दिसंबर जाता है जनवरी से ये वादा करते हुए फिर मिलेंगे ग्यारह महीने बाद नए साल में नये तजुर्बो के साथ और जनवरी कहती है-- मैं एक नई आस ,नई उमींद और और नये विश्वास के साथ तुम्हारे ढेरो अधूरे ख्वाबो को पूरा करने का यकीन दिलाती हूँ। वो एक रात जिसमे दिसम्बर और जनवरी का पल भर के लिए मिलन होता है और फिर वो बिछड़ जाते है। उनके मिलन और बिछुड़न के इस दिन को हम दुनियां  वाले जश्न के रूप में  मानते है। 
★★★★★

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हमक़दम के विषय के लिए


कल आ रही हैं विभा दी 
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ


फ़ितरत नहीं बदलने वाली
न किसी गफ़लत में रहना
काँटें पलते हो जिनके दिल में 
कैसे भेंट करे वो फूलों का गहना
बेवज़ह की बातों से तुम
रह-रह के न पलकें भिंगोना
जो भी सुना है सच ही सुना है
"कुछ भी कहते हैं लोग यहाँ
लोगों का काम है कहना"



20 टिप्‍पणियां:

  1. वो एक रात जिसमे दिसम्बर और जनवरी का पल भर के लिए मिलन होता है और फिर वो बिछड़ जाते है। उनके मिलन और बिछुड़न के इस दिन को हम दुनियां वाले जश्न के रूप में मानते है।
    विचारोत्तेजक पंक्ति हैंं!
    आभार आपका कामिनी जी।
    इस सुंदर अंक संकलन के लिये भी प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. फ़ितरत नहीं बदलने वाली
    न किसी गफ़लत में रहना
    काँटें पलते हो जिनके दिल में
    कैसे भेंट करे वो फूलों का गहना
    बेहतरीन हिदयती प्रस्तुति
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत व्यावहारिक सीख श्वेता ! कवि रहीम कभी न बदलने वालों पर कह चुके हैं -
    'रहिमन कारी कामरी, चढ़े न दूजो रंग'
    हम भूत से पूत भले मांग लें, लेकिन जन्मजात निंदक से प्रशंसा की आशा हमको नहीं करनी चाहिए.

    जवाब देंहटाएं
  4. "कुछ भी कहते हैं लोग यहाँ
    लोगों का काम है कहना" यथार्थ !
    सुंदर अंक
    बेहतरीन रचनाए
    सभी रचनाकारों को बधाई
    अब तो...आनेवाले पल के पिटारे में क्या राज़ छुपा है
    यह आने वाला पल ही बतलायेगा।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह बहुत सुन्दर श्वेता नफासत से शुरू कर एक सटीक सीख के साथ समापन बहुत असरदार प्रस्तुति। सभी सामग्री पठनीय और सुन्दर।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर संकलन और प्रस्तुति श्वेता जी।
    सभी विद्वजनों की लेखनी को प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  7. सर्वप्रथम आप को सहृदय धन्यवाद श्वेता जी ,आप ने इन विद्वजनों के बीच मुझे स्थान देकर मेरी लेखनी को प्रोत्साहन दिया,आपकी सकलन और प्रस्तुति दोनों लाजबाब है आभार...........

    जवाब देंहटाएं
  8. समय कहाँ स्थिर रहता है, आने वाला पल भी जाने के लिए ही आता है !

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन।
    आज थोड़ा ऊब गया था तो ब्लॉग पर आ गया।
    आकर देखा तो पाया सुंदर साहित्य को miss करता जा रहा हूँ।
    खैर..
    श्वेता जी की हलचल हमेंशा शानदार और जानदार होती है।
    गौतम जी की कलम पढ़ते ही सकूं मिला और उबाऊपन जाता रहा।
    कलम से गजब ढा रहे हैं।
    मेरी कलम आजकल चुप ही रह रही है या यूं कह ले कि गला घोंट रहे हैं एग्जाम तैयारी के चलते... फिर भी दो शेर शेयर कर देता हूँ
    दूर होकर चैन से रहने के हम नहीं हैं आदी
    खुदी से जो खफ़ा न हुए तो होना क्या है

    जले जले से चिराग है अंधरे की बुनियाद पर
    किसी पर राज ही न रहे तो जलना क्या है।

    सादर
    वंदे।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत उम्दा संकलन
    बेहतरीन प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. आनेवाले पल के पिटारे में क्या राज़ छुपा है
    यह आने वाला पल ही बतलायेगा।
    शानदार प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  12. शानदार संकलन के साथ खूबसूरत प्रस्तुति
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुंदर संकलन प्रिय श्वेता।
    "फ़ितरत नहीं बदलने वाली
    न किसी गफ़लत में रहना
    काँटें पलते हो जिनके दिल में
    कैसे भेंट करे वो फूलों का गहना
    बेवज़ह की बातों से तुम
    रह-रह के न पलकें भिंगोना
    जो भी सुना है सच ही सुना है
    "कुछ भी कहते हैं लोग यहाँ
    लोगों का काम है कहना"
    ये मैं ले जा रही हूँ, किसी को सुनाने के लिए....

    जवाब देंहटाएं
  14. बेहतरीन रचनाओं का चुनाव, दी।
    आप जिस प्रकार से सम्पूर्ण प्रस्तुति को हमारे समक्ष रखती हैं बहुत ही अद्वितीय होता है....विशेषकर आपके अंत में लिखी कुछ पंक्तियाँ। मुझे बेहद पसंद है।

    जवाब देंहटाएं
  15. प्रिय श्वेताजी
    नमस्कार।
    सुन्दर संकलन और शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी रचना को संकलन में स्थान दें प्रोत्साहन देने के लिए सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं

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