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मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

1243....शिशिर धूप जब आती है


जय मां हाटेशवरी......
आज ठंड और दिनों से कुछ अधिक है......
हमारे क्षेत्र में मौसम-विभाग की ओर से तेज बारिश व बर्फबारी की चेतावनी  जारी हुई है....
5 राज्यों के चुनाव परिणामों पर, विभिन टीवी चैनलों के एक्जिट पोल भी आ गये हैं.....
इस लिये आज  उतसुकता कुछ अधिक है......
बेशुमार पैसा खर्च होता है.....
हमारे देश में चुनाव पर......
कभी लोक-सभा चुनाव पर.....
कभी विधान-सभा चुनाव पर.....
कभी पंचायत, नगर निगम, नगर परिशद चुनाव पर.....
सोच रहा हूं.....
आज कल सब कुछ Online होता है.....
हम सभी के पास आधार कार्ड भी हैं.....
फिर वोट भी Online क्यों नहीं डाले जाते.....
Mobile OTP से  पारदर्शिता लाई जा सकती है......
जहां तक धांधली या गड़बड़ी की बात है......
वो तो कई खरबों रूपया खर्च करके भी होती है......
....काश ये सत्य हो पाता......
.....कम से कम चुनाव पर खर्च होने वाला ये पैसा......
.....देश के विकास कार्यों में उपयोग हो सकता था.....
....अब देखिये आज के लिये मेरी पसंद.....



ओ उम्र के तीसरे पहर में मिलने वाले
ठहर, रुक जरा, बैठ , साँस ले
कि अब चौमासा नहीं
जो बरसता ही रहे और तू भीगता ही रहे
यहाँ मौन सुरों की सरगम पर
की जाती है अराधना
नव निर्माण के मौसमों से
नहीं की जाती गुफ्तगू


जब बुझते हैं सारे तारे
ऊषा अपनी पंख पसारे
कोमल-कोमल कुसुम-कली पर
ओस की बूंदें लगते प्यारे.
निशीथ सबेरा है सुहावना
बिखरी धरा पर स्वर्ण-ज्योत्सना
पुलक भरी मादक भरी
ह्रदय में भरती स्नेह भावना.



पूरे साल का खाता बही फिर से याद आ रहा है देश तो सागर है 
काहे परेशान होना है मत झाँकिये
कुछ
अपने जैसों के
साथ मिल कर

 नियमों की
धज्जियाँ टाँकिये

मूँछों हों तो
ताव दीजिये

नहीं हों तो
खाँचे में मूँछ के


केंद्र की आया दीदी से बात करते हुए ऐसे कई बच्चों की लोमहर्षक कहानियाँ सुनीं। 
कुछ बच्चे विदेशों में भी गॉड दिए जाते हैं।
पूछने पर कि गोद देने के बाद इन बच्चों की मॉनिटरिंग कैसे की जाती है ? आया दीदी ने बताया कि 
तीन साल तक हर तीन महीने में उनके घर जाकर देखा जाता  है। उसके
बाद बच्चे बड़े हो जाते हैं उन्हें पता न चले कि गोद दिया गया है इसलिए संस्था के पदाधिकारी 
मेहमान बन कर मिलने जाते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कई बच्चे तो
बड़े होकर खुद पता लगते हैं कि वे कहाँ से गोद लिए गए हैं और फिर हमारे यहाँ मिलने 
आते हैं दान और अन्य सेवाएं देते हैं।


संसृति मृत होती नहीं,
ना ही घन,
ना ये नदियाँ,
ना ही मिटते नभ के तारे,
सब हैं...
इस मौसम के मारे,
ना इन पर उपहास करो
तुम विश्वास भरो...


गुरुर  में   हिलोरे  मार  रहा  मन ,  क़दमों   का  जुनून   देखिये,
रग   रग  में    दौड़ता   देश   प्रेम,   वरदी   को  छू   कर   देखिये |
ठंड  की  ठिठुरन , गर्मी   की   तपन,  प्रकृति  का  ऐसा  रुप  देखिये,
कैसे  होती  है  मुल्क़  की  हिफ़ाज़त   जवानों की   आँखों  में  देखिये ?


लगता है मैं खुद की तलाश में हूँ
प्यार की तलाश में हूँ
जीवन की खोज में हूँ
इसलिए अक्षरों की
शरण में आई हूँ
उनसे पक्की दोस्ती कर
जीना चाहती हूँ
जानना चाहती हूँ
समझना चाहती हूँ
वो जो स्पष्ट नहीं

तुम बोलो
कि तुम नहीं हो कोई दीवार
जो चुनी होती हैं सख्त ईंटों से
ताकि ढह ना जाए।

या तुम भी चुने गए हो
सख्त ईंटों से
कि ढह जाओगे
भरभराकर?

चाँद दिखाये मीरा तुम ज़हर पिलाना,
मेरी हसरतो को कुचलकर शहनाईयां बजाना..

अपने अंजाम में कुछ रोमानियत तो हो,
हल्दी के हाथ से सज धज तुम मेरा गला दबाना,

के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़्याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में, ख़्याल आता है


हम-क़दम की बारी
उन्चासवाँ अंक
विषय
शिशिर
उदाहरणः
मंद-मंद हंसता है प्रभात
शिशिर धूप जब आती है.
सांय-सांय बहता है पवन
सिहर-सिहर उठता है बदन
रवि-किरण तन को छूती है
अनुरागी हो जाता है नयन.

रचनाकार
सुश्री भारती दास

प्रविष्टिया दिनांक 15 दिसम्बर 2018 तक प्रेषित करें
प्रकाशन दिनांक 17 दिसम्बर 2018
धन्यवाद।



16 टिप्‍पणियां:

  1. चाँद दिखाये मीरा तुम ज़हर पिलाना,
    मेरी हसरतो को कुचलकर शहनाईयां बजाना..
    सुंदर अंक संयोजन के लिये सभी को प्रणाम

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. सुप्रभात,
    हलचल के गौरवशाली अंक में शामिल करने के लिये आभार।
    जी जरूर वोटिंग ऑनलाइन कर देनी चाहिए बस निजता और सुरक्षा का धयान दे।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह..
    ठिठुरता विषय...
    बढ़िया..
    सादर...

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  5. जी एक बार पुनः प्रणाम
    यशोदा दी के प्रति इस आभार को व्यक्त करने के लिये कि मेरी अनुभूतियों को सुंदर संकलनोंं से भरे इस ब्लॉग पर स्थान मिला।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर प्रस्तुति। आभार कुलदीप जी सुन्दर रचनाओं के बीच 'उलूक' की बकबक को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सर ये तो हमारा सौभाग्य है कि हमे आप का लिखा हुआ इतनी आसानी से उपलब्ध हो रहा है।

      हटाएं
  7. कुलदीप जी,भूमिका अत्यंत विचारणीय है ऑनलाइन वोटिंग के हरपहलू पर विचार करके कुछ ठोस कदम उठाये जा सकते हैं।
    सभी रचनाएँ एक से बढ़कर.एक है...बहुत ही सुंदर संकलन है।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन संकलन ,इनमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए ढेरों आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌
    बेहतरीन रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
    मेरी रचना को स्थान देने के सह्रदय आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. ऑनलाइन वोटिंग!!!! उत्तम विचार....
    शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रिय कुलदीप जी - बहुत ही रोचक और विचारणीय भूमिका के साथ रोचक और ज्ञानवर्धक अंक के लिए हार्दिक बधाई | ऑनलाइन वोटिंग का सुझाव नितांत स्वागत योग्य है | सभी रचनाएँ पढ़ी बहुत बढिया लिंक रहे सभी | वन्दना जी की रचना पर बहुत बार लिखना चाहा पर लिख ना पाई | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | सस्नेह --

    जवाब देंहटाएं

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