---

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

1231....आ गयी सर्दी भी मख़मली धूप लेकर .....

सादर अभिवादन। 

आ 
गयी 
सर्दी भी 
मख़मली 
धूप लेकर 
कुहाँसा छा रहा 
दृश्य अदृश्य होने। 

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें -



इतना आसन नहीं
 सहेजना उसको
जो जैसा दीखता है
वही हो तब समय भी
ठहरना चाहता है


My photo

बारहा मखमली सुरों में
सुन रही हूँ मैं,
अनुराग भरी बांसुरी की
मद्धिम धुन !!!
भटकती हूँ तलाश में
उसी आवाज की मैं,
अपनी ही सुरभि से मदहोश 
ज्यों कस्तूरी हिरन !




कामयाबी पे मिलते है गले
बेगाने भी अपनो की तरह
सख्त राहों में हमकदम बने
वो फरिश्ते कम ही होते है




बस वही मन भा गया
मन शहर पर आ गया
नही रहना उस विराने में
इसी नगर में रहना
था प्रेम अति गहरा
पति रोक न पाया
उसे लेकर शहर आया



अम्ब !आपके आदर्शो को मैं अपनाता,
     कर्तव्यों प्रति रहूँ समर्पित यह मन भाता l
  यही माँगता प्रभु से अक्षणु रखना नाता,
श्रृद्धा सुमन सदा चरणों में रहूँ चढाता l




फिर गूंजती है प्रतिध्वनि,
वादियों में कहीं,
दबी जुबाँ भी कोई, गर पुकार ले ....
अजीब से हैं ये फासले....




कोई न पाए इसको तोड़
बेटियां है पर नहीं कमजोर
माँ काली का है यह वरदान
बेटियां विधाता का अनुपम उपहार
सृष्टि की यह अनमोल कृति
नारी रिश्तों की है जननी

चलते-चलते गुज़रिये एक अनूठे एहसास से 
"पाँच लिंकों का आनन्द"
ब्लॉग के एडमिन भाई कुलदीप जी की 
एक मार्मिक रचना के ज़रिये -


कुलदीप ठाकुर...

एक की आंखों ने
बुझी हुई आंखों में भी 
अपने लिये प्यार देखा,
.... कहा, मेरी आंखें हैं तुम्हारे लिये.....
मेरी बुझी हुई  आंखों ने भी
इनकी आंखों में
उनकी आंखों की तरह
...कभी लोभ नहीं देखा.....

हमक़दम के विषय के लिए
यहाँ देखिए

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 
शुक्रवारीय प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा 

रवीन्द्र सिंह यादव 

15 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति...
    कुलदीप भाई लिखते हैं तो
    हिला देतें हैं...
    आभार..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति और इसके मध्य मेरी रचना मुझे गौरवान्वित कर गई । शुभकामनाएं व धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा लिंक्स में मेरी रचना भी शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद उम्दा रचनाओं से सजा आज का अंक संग्रहणीय हहै।
    आदरणीय रवींद्र जी द्वारा प्रस्तुत भूमिका की मनमोहक पंक्तियाँ मौसम का हाल बयान कर रही।
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति... धन्यवाद।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!सुंदर भूमिका ,शानदार प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  7. मनभावन भुमिका के साथ शानदार प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को सामिल करने का तहेदिल से शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही अच्छी हलचल प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन हलचल प्रस्तुति।बहुत उम्दा रचनाएँ। मेरी रचना को शामिल करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।