जय मां हाटेशवरी.....
सोच रहा हूं......
ब्लौग कितना अच्छा माध्यम है.....
अपने विचार रखने का......
फिर न जाने क्यों......
ब्लौगर कम हो रहे हैं.......
स्वागत है आप सभी का......
अब पेश है.....मेरे द्वारा प्रस्तुत चंद लिंक.....
कैसे गोरे काले एक
इन्सान चाहिए था जी-
कश्मीर से कुमारी कन्या
एक हिन्दुस्तान चाहिए था जी -
कैसा उंच नीच भेद
जाति वर्ग वाद कैसा ?
हम सब भारतवासी एक
जुबान चाहिए था जी -
बोला- वाघेला जी सवेरे-सवेरे अपने गाँधीनगर स्थित आवास से घूमने निकले |वे अपने साथ कुछ रोटियाँ भी ले गए थे |जब वे एक गौमाता को रोटियाँ खिलाने लगे कि गौमाता ने उन पर हमला कर दिया |
हमने कहा- गाँधीनगर में तो गाय रखने पर भी प्रतिबन्ध है तो सड़क पर गाय कहाँ से आगई ? उसे तो किसी गौपालक के यहाँ या
गौशाला में होना चाहिए था |
बोला- गौ पालक गाय से नहीं यूरिया से दूध बनाते हैं और गौशाला में गायें नहीं, गौशाला की ग्रांट के कागजात रहते हैं |
रूहें सर-ए-राह जब बेपर्दा हो निकलती हैं !!
कर्ज की मार
मंहगाई का वार
टूटी कमर |
क़र्ज़ किसपे कितना है बस पैमाना यही
रफ़ूचक्कर होते बड़े जेल जाता है किसान
कौन सी सीख देते अपनी पीढ़ियों को हम
विज्ञान मद्दिम है,मान्यताओ का है निज़ाम
किस मुंह से क्या कहेंगे खुद ही सोचिए
तारीख पास बुला जब मांगेगा ज़वाब
इसे जितनी ज़ल्द समझ लें उतना अच्छा
मुहब्बत से बड़ा नहीं कोई इंक़लाब
का सेहरा तो बुढ़ापा कांटों का ताज होता है
छोटा से पैबंद न लगाने पर बहुत बड़ा छिद्र बन जाता है
धारदार औजारोंं से खेलना खतरे से खाली नहीं होता है
काँटों पर चलने वाले नंगे पांव नहीं चला करते हैं
चूहों के कान होते हैं जो दीवारों में छिपे रहते हैं
अब बारी है हम-क़दम की...
अंक सैंतालिसवाँ...
विषयः
आवाज़
प्रेषण की अंतिम तिथि शनिवार 1-12-2018
तथा
प्रकाशन तिथि सोमवार 3-12-2018
आवाज़ दे रहा था आज
बहुत दूर दूर से...
जैसे
कोई पहाड़ियों से
सदियों पुरानी घुटन भरी
आवाज़ आ रही है
और
मैं उसे सुनते हुए दौड़ लगाता
ऐसा लग रहा है कोई अपना सा
जो मुझे चाहते हुए छूट गया था
आज
फिर उसी आवाज़ ने मुझे खींच लिया
नहीं जानता कि क्या रिश्ता रहा होगा
मेरे और उनके बीच कुछ तो था या है
अब
कदम चल पड़े ही है तो उससे मिलना
भरसक कोशिशें रहेंगी मेरी उसे खोजने
उनकी आवाज़ ही है जो मेरी दिशा तय करें
लगता है
अब दिन दूर नहीं है सदियों पुराने
रिश्ते से फिर जुड़ जाऊं मैं और फिर
नया रिश्ता पुन: स्थापित होगा
न बिछड़ने के लिए ।
-पंकज त्रिवेदी
धन्यवाद।
शुभ प्रभात भाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाए चुनी आपने.
आभार...
सादर...
आज भाई विषय सूचना में अंतिम तिथि नहीं लिख पाए..
जवाब देंहटाएंप्रेषण की अंतिम तिथि शनिवार 1-12-2018 तथा प्रकाशन तिथि सोमवार 3-12-2018 कृपया नोट करें..
सादर...
शुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंहलचल के आँगन में बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
झुग्गियो मे सर्द रातें रो रहा है हिन्दुस्तान ....गहराई लिय शब्द
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम् कुलदीप जी,
जवाब देंहटाएंविचारणीय भूमिका के साथ बहुत सुंदर रचनाओं से सजा आज का अंक.बहुत अच्छा लगा।
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष बच्चे
जवाब देंहटाएंहाइकु! हाईकू सही शब्द नहीं है
सुंदर प्रस्तुतीकरण
ठीक कर देंगे दीदी
हटाएंविचारणीय विषय लिये सुंदर प्रस्तुति, सभी रचनाऐं पठनीय सुंदर।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
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