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गुरुवार, 6 सितंबर 2018

1147....सोचो कैसा समाज सौंपकर जाओगे अगली पीढ़ी को......?


सादर अभिवादन। 

क्यों बैठ जाते हो 
हाथ पर हाथ रखकर 
जुटे रहो समन्वय के सूत्र तलाशने में 
सोचो कैसा समाज सौंपकर जाओगे अगली पीढ़ी को...... ?

आइये अब आपको सृजन संसार की सैर पर ले चलें-


मेरी फ़ोटो

वेतन-दर में वृद्धि, प्रमोशन, युगों-युगों तक मिल न सकेंगे.
नभ में लटके हैं त्रिशंकु से, टंगे रहेंगे, हिल न सकेंगे.
पहन लंगोटी करें गुज़ारा, कपड़े भी अब सिल न सकेंगे,
टूट गए ये फूल डाल से, जीवन में अब खिल न सकेंगे.



निर्दय होके 
बच्चों पे हिंसा नहीं 
गुरु का धर्म 

देना सुशिक्षा 
सँँवारना  व्यक्तित्व 
गुरू का कर्म 


जर्मनी और राज भाटिया -सतीश सक्सेना





हमारे देश में अब अतिथि सत्कार दिखावा और बीते दिनों की बात हो चली है , मगर देश से इतनी दूर , भाटिया दम्पति ने जिस प्यार से विशुद्ध भारतीय भोजन कराया वैसा बहुत कम ही नजर आता है ! भोजन अच्छा तभी लगता है जब वह प्यार से कराया जाय इस मायने में श्रीमती भाटिया साक्षात् अन्नपूर्णा सी लगीं  यूँ भी जर्मनी में किसी भी भारतीय घर में, भारतीय भोजन की उपलब्धता होना आसान नहीं,





जैसे मैं हूँ वैसे तुम कौन हो?
इस का जवाब
कोई खोज नहीं 
पाया है यहाँ




हर   क़दम   पर   पीती  रही,
अदा   करती   रही   महर,
ज़िंदा  रहनें   के   लिये ज्यादा,
 पीना ना पङता  ज़हर,
मोत एक घूँट में हो जाती मगरूर।

हम-क़दम के पैंतीसवें क़दम
का विषय...
यहाँ देखिए....


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

कल की प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा जी 

रवीन्द्र सिंह यादव 

16 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सम-सामयिक प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचनाएं सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति आपकी हलचल कमाल है

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात।
    हमेशा की तरह हलचल का पिटारा सबसे अलग होता हैं।सदर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. कमाल की प्रस्तुति.. बेहतरीन रचनाएँ
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. सही प्रश्न है कि कल क्या देकर जायेंगे अलगी पीढ़ी को, बहुत ही शानदार अंक बेहतरीन लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सारगर्भित प्रश्न उठाती विचार मंथन को प्रेरित करते शब्द के साथ,बेहद उम्दा रचनाएँ हैं। आदरणीय रवींद्र जी को बधाई इस शानदार संकलन के लिए।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर, सार्थक, पठनीय सूत्र आज की हलचल में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सस्नेह वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत अच्छी प्रस्तुति 👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
    आपने मेरी रचना को प्रस्तुति में जगह दी
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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