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गुरुवार, 23 अगस्त 2018

1133....नमन उस सैनिक को जो पानी में सीढ़ी बना ....

सादर अभिवादन। 

केरल में बरसाती पानी 
अब ढलान पर 
मानवता के आयाम 
तीर-कमान पर 
दुष्प्रचार के तंत्र 
सातवें आसमान पर 
मानवता ले रही पुरसुकून की साँस 
करती है नमन उस सैनिक को 
जो पानी में सीढ़ी बना 
बच्चों ने भावों का दरिया बहाया 
तोड़कर गुल्लक सहायता के लिये हाथ बढ़ाया 
संतोष है भारत को आज 
भविष्य की ऐसी पीढ़ी बना।
-रवीन्द्र सिंह यादव  

आइये अब आपको ले चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर- 



मेरी फ़ोटो

पूरब की बहना कोकब तक मनाऊंगा ,
दक्षिण की रानी कोकैसे रिझाऊंगा 
इनका निदान चलोखोजा तोखुद को मैं ,
इटली की आंधी सेकैसे बचाऊंगा 
   समझ नहीं पाता हूँ,  गीत नहीं गाता हूँ ।।


सृष्टि चिर निरुपम....पम्मी सिंह "तृप्ति"



सृष्टि चिर निरुपम

अंतर्मन सा अनमोल भ्रमण 

आत्मा का संस्करण 

किंजल्क  स्वर्ण सरजीत

समस्त भाव

दिव्यपुंज दिव्यपान

प्रज्ञा का भाव

गुँजायमान,



उम्र भर - -- शांतनु सान्याल 






तंतु से कसो जितना, सीने के कुछ 

अदृश्य अनल हैं चिरकालीन, 

सुलगते नहीं उम्र भर। 

इस जीवन 

उत्सव 

का, 


अहसास .. डॉ.इन्दिरा गुप्ता 






हर लम्हा पहलू से गुजरे 

धीरे से सहलाये

आहट की ख्वाहिश सी जागे 

दस्तक कोई दे जाये !  



देवदूत बन आये हैं........अमित निश्छल 


 

आसमान से जीवन को
सहयोग बाँटते धीर रथी
महाप्रलय की बाधा पर भी
स्यंदन, हाँक रहे महारथी


जीवन का सच...... अनुराधा चौहान 



वो क्यों आया
तू क्यों गया
हम क्यों जाएं
बस इन बातों से
आपस में टकराएं
इसने नहीं देखा
उसने नहीं देखा
हमने नहीं देखा
फिर भी खिच गई
बीच में लक्ष्मण रेखा

चलते-चलते प्रस्तुत हैं आदरणीय हर्ष वर्धन जोग साहब के 
मनोहारी फोटो-ब्लॉग की झलकियाँ-   

मानसून के बादल .... हर्ष वर्धन जोग 



ऐसा देखा गया है की बादलों की छटा और घटा नाज़ुक दिलों को बड़ा प्रभावित करती है और बरसात में तरह तरह की कविताओं, गीतों और कहानियों का भी जनम होने लगता है. कविता और गीत लिखने तो बड़े मुश्किल लगते हैं इसलिए फिलहाल मानसून पर हमारा ये फोटो ब्लॉग पेश है. भारत दर्शन के दौरान जगह जगह बादलों को कैमरे में बंद किया था उन में से कुछ को यहाँ बाहर निकाल दिया है:


हम-क़दम के तेतीसवें क़दम
का विषय...
यहाँ देखिए...........



आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 
कल शुक्रवारीय प्रस्तुति के साथ आ रहीं हैं आदरणीया श्वेता सिन्हा जी। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    वआआह.....
    बेहतरीन प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  3. सादर आभार मेरी लेखनी को मान देने के लिये ...सुन्दर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रभावी भूमिका के साथ सुंदर संकलन.. सभी रचनाकारों को बधाई। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी

    उत्तर देंहटाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. सैनिक ना सही मछुआरा ही सही, पर सीढ़ी बन उसने देवतुल्य कार्य किया; उसकी तो जितनी तारीफ़ की जाए, कम है !

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार प्रस्तुति। खूबसूरत रचनाएं।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय रविन्द्र जी - आज सुबह जब मानवता के परम हितैषी उन वीरों को समर्पित जब ये भूमिका पढ़ी जो युद्ध में वीर हैं तो शांति में धीर तो उसी समय अख़बार में एक हृदयविदारक खबर पढ़ी कि हरियाणा के नरवाना में तीन दोस्तों ने एक दूसरे के गले से लिपट ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली

    | दोनों में युवाओं का जिक्र था | एक मानवता को समर्पित देवदूत बन खड़े हैं तो दूसरेबिना बात अपनी जान जाने किस कारण से व्यर्थ में गँवा- भगवान् की अनमोल धरोहर इस कंचन काया को मिटा कर उसकी देन का अपमान कर रहें हैं | बढ़ते प्रगतिवादी युग में आये दिन समाज का आत्महत्या की प्रवृति की और अग्रसर होना बहुत ही चिंता का विषय है | बीते दिनों में कई हृदयविदारक घटनाएँ हो चुकी हैं | यही कहूंगी जीवन अनमोल है | जिनको हमारी कद्र नहीं उनकी तुलना में हमसे स्नेह करने वाले लोग कहीं अधिक होते हैं यही बात मायूस व्यक्ति को समझनी होगी कि क्षणिक आवेश में जीवन गंवाने की बजाय - अपने लिए ना सही मानवता के लिए जियें उसी में जीवन की सार्थकता है | विपदा और आपदा में मानवता सबसे अधिक उभरकर आती है | बच्चे भी कहाँ पीछे रहेगे - उनका करुणा भरा अतुलनीय सहयोग संसार में मानवता के सुखद भविष्य की ओर इशारा करता है | सुंदर अंक शानदार लिंकों के साथ | सभी रचनाकारों को नमन और शुभकामनायें |सादर

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  8. सुंदर संकलन. 'मानसून के बादल' शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर संकलन सुंदर प्रुस्तति ,सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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