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शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

1127......लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

ठन गई!
मौत से ठन गई!
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
आज समूचा देश शोकाकुल है।
स्वस्थ राजनीति के प्रतीक के रुप में सम्मानित
युगपुरुष अब इतिहास की किताब में एक स्वर्णिम अध्याय 
के रुप में दर्ज हो गये।
 "भारत रत्न" 93 वर्षीय अटल जी जिन्होंने जीवन के महत्वपूर्ण 
वर्ष जनसेवा को समर्पित कर दिया, गंभीर रुप से बीमार थे। 
16 अगस्त 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान 
में शाम 05:05 में इन्होंने अंतिम साँस ली और जीवन के 
कष्टों से मुक्ति पाकर अनंत की ओर कूच कर गये।

राजनीतिक नेताओं की छवि से अलग एक सहज,सरल,विवेकशील व्यक्तित्व जिन्होंने विपक्षी दल को भी अपनी वाक् पटुता , ओजस्विता, निडरता और सांस्कृतिक मूल्यों के द्वारा सहज सम्मोहित कर लिया।

इनकी वाकपटुता से प्रभावित होकर
लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी ने कहा था,

"इनके कण्ठ में सरस्वती का वास है।"
और नेहरु जी ने "अद्भुत वक्ता" की विश्वविख्यात छवि से नवाजा।

अपने राजनैतिक कार्य काल में तीन बार प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित होने का अवसर प्राप्त करने वाले अटल जी ने 
भारत के १३वें प्रधानमंत्री के रुप में अपना सबसे अधिक दिनों तक  सबसे अधिक दलोंं राजनीति दलों के गठबंधन के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
 अटल जी का जन्म 25 जनवरी 1924 ई. को मध्यप्रदेश मेंं 
स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था।
विद्वान शिक्षक ,सम्मानित कवि कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा के पुत्र अटल जी को रचनात्मक प्रतिभा विरासत में मिली।
  देश सेवा,भारतीय संस्कृति,मानवीयता,राष्ट्रीयता तथा उच्च जीवन मूल्यों के प्रतीक अटल जी को "सर्वश्रेष्ठ सांसद","सबसे ईमानदार व्यक्ति"," पद्म विभूषण" एवं "हिंदी गौरव" से सम्मानित किया गया।
अटल जी नेहरु युगीन संसदीय गरिमा के स्तंभ, आज भी करोड़ो हृदय के लिए विश्वसनीयता और सहिष्णुता के प्रतीक हैं।
अटल जी पहले भारतीय थे जिन्होंने
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित 
किया और राष्ट्रीय भाषा का मान बढ़ाया। 
उन्होंने "जय जगत" का नारा दिया था।
लाल बहादुर शास्त्री का दिया नारा जय जवान जय किसान को 
आगे बढ़ाते हुये इन्होंने "जय विज्ञान"का नारा दिया।
देश के सर्वांगीण विकास में 
उनका योगदान अविस्मरणीय है।
 हम सब मिलकर ईश्वर से उनकी आत्मा की.शांति के लिए प्रार्थना करते हुए उनको विनम्र श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

कवि हृदय अटल जी की कविताओं में एक कविता प्रस्तुत है 
माननीय अटल जी की ओजमयी वाणी में-

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दूर कहीं कोई रोता.....प्रस्तुति हर्षवर्धन श्रीवास्तव
अंतर रोए, आँख न रोए,
धुल जाएंगे स्वप्न संजोए,
छलना भरे विश्व में
केवल सपना ही तो सच होता है।

इस जीवन में मृत्यु भली है,
आतंकित जब गली-गली है।
मैं भी रोता आसपास जब
कोई कहीं नहीं होता है।
दूर कहीं कोई रोता
-अटलबिहारी वाजपेई




विश्वमोहन जी...नाम में क्या रखा है!!!
लापरवाही के एक ऐसे ही मिसाल से हमारा सामना कल हुआ. वाकया 
ये हुआ कि हम दिल्ली से पटना जाने के लिए गो एयर का विमान 
पकड़ने टी 2 टर्मिनल पहुंचे. कल यानी १४ अगस्त को. सारी 
दिल्ली तकरीबन छावनी में तब्दील हो चुकी थी. सुरक्षा जांच के बाद 
हवाई अड्डे में प्रवेश हुआ. बोर्डिंग पास के काउंटर पर पहुंचा. 
हमसे पहले के यात्री को काउंटर वाले ने थोड़ी बहुत बतकुच्चन के 
बाद बड़े अधिकारी के पास भेज दिया. मसला था जमजम के 
अतिरिक्त भार के शुल्क का यात्री का कहना था 
इस पर अतिरिक्त शुल्क देय नहीं है.
◆★◆


अमित निश्छल....आहत ठुमके
चेतन के पतझड़ में आई, बेला वसंत की प्यारी सी;
इक बार बजा दे घुँघरू फिर, तानों में विस्मृति सारी सी।
मैं भूल चुका था सदियों से, नगमें अब वे ही गाता हूँ;
अँधियारों में है वास रहा, कब्रों में दीये जलाता हूँ।

◆★◆

ख़ामोशी की भाषा समझाये कैसे निर्मोही को
मीत!साकल खटखटाये प्रीत की बरजोरी में!!
बहती बयार संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,   
भूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!

◆★◆



कुछ ख्याल आकर ख्वाबो को सजाते हैं ,

सोये हुये मैं कभी बर्बाद नही रहता

तेरे शहर में ये कौन सा मौसम हुआ करता हैं,
तुम्हारे खतो में कभी जज्बात नही रहता 

◆★◆



चलते-चलते उलूक के पन्ने से आदरणीय
सुशील सर की रचना

नये शब्दों की
नयी किताब के
आजाद पन्नों
को साथ लेकर

'उसके' घर से
तैयार होकर
बहस के लिये
अब निकल रहा है 



हृदययल से श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये एक गीत



आज बस इतना ही
-श्वेता सिन्हा



13 टिप्‍पणियां:

  1. खो गए मेरे शब्द
    नही लिख सकती
    नमन

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  2. निःशब्द कर गए शब्दों के बादशाह

    जवाब देंहटाएं
  3. अटल जी को शत-शत नमन.
    देश भावविह्वल हुआ युगपुरुष के चले जाने पर.
    हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.....

    जवाब देंहटाएं
  4. महान वह होता है, जिसका शत्रु भी अहवेलना नहीं कर पाता है। वह जहां भी जाता है, अपने व्यक्तित्व से प्रकाश फैलाता है।वह इस नश्वर शरीर से परे है। उसकी वाणी ,उसका आचरण और उसका चिंतन सदैव मार्गदर्शन करता है। राजनीति के पटल पर आजातशत्रु कहे जाने वाले उस महामानव को मेरा भी नमन।

    इस श्रद्धांजलि अंक के लिये सादर आभार आप सभी रचनाकारों को

    जवाब देंहटाएं
  5. जन्म अटल है
    मृत्यु अटल है।
    भूत अटल
    वर्तमान अटल है।
    भविष्य अटल
    भवितव्य अटल है।
    स्मृतियों के रजत पटल पर
    अटल अटल बस
    अटल अटल है!...विनम्र श्रद्धांजलि!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. वाणी विकल..
    आपको श्रद्धानवत प्रणाम🙏
    ।।ऊँ शांति।।

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  7. भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🌼🙏🌼🙏🌼

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  8. भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित
    कोटिशः नमन

    जवाब देंहटाएं
  9. अटल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि से परिपूर्ण हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
    हार्दिक श्रद्धांजलि!

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  10. युगपुरुष को मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि..

    जवाब देंहटाएं

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