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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

1103...कहानी की भी होती है किस्मत, ऐसा भी देखा जाता है

सर्वप्रथम बधाइयाँ दें भाई कुलदीप जी को
उन्होंने नया नेटवर्क ले लिया है....
अब वे 
"जियो" के साथ जिएँगे...
वे नया सेटअप करवाने में व्यस्त हैं
अगले सप्ताह से वे निर्बाध रूप से आया करेंगे
आज फिर हमारी पसंद को सहन कर लीजिए.....

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प्रातः काल उषा की लाली 
शरमाई दुल्हन जैसी 
नीला अम्बर ओढ़ के निकली 
ज्यू पी घर प्रथम कदम रखती !

ऋषि कश्यप पुत्र संग ब्याही 
हुई सिन्दूरी मुस्काई 
शबनम के मोती बिखेरती 
पावन धरा उतर आई !

नफरतों की डालियाँ काटा करो
घी सभी बातों पे ना डाला करो 

गोपियों सा बन सको तो बोलना
कृष्ण मेरे प्यार को राधा करो

तुम भी इसकी गिर्द में आ जाओगे
यूँ अंधेरों को नहीं पाला करो


 "तुमको कितनी बार बोला है कि बार-बार किसी न किसी रिश्तेदार के यहाँ मत चली जाया करो, यार एक मिनट तुम्हारे बिना काटना मुश्किल होता मुझे......" राधिका को अचानक से जैसे अपनी भाभी की किस्मत से जलन होने लगी उसे कोई "समझदार" पति नहीं मिला...



घरौंदा बसा   
एक-एक तिनका   
मुश्किल जुड़ा,   
हर रिश्ता विफल   
ये मन असफल।   
-*-*-
क्यों नहीं बनी   
किस्मत की लकीरें   
मन है रोता,   
पग-पग पे काँटे   
आजीवन चुभते। 



मस्ती में जब रहती हो
तेरी पायल गीत सुनाती है
जब उदास तुम होती हो
तेरी पायल मुझे बुलाती है।


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आंसू गिरे
कभी खुशी के
कभी गम के
बस इतना सा
है फसाना

चलते-चलते एक कतरन जो उलूक टाईम्स की है
पते की बात है उसमें...

पर हर कहानी 
एक जगह नहीं 
बना पाती है 

कुछ छपती हैं 
कुछ पढ़ी जाती हैं 
अपनी अपनी 
किस्मत होती है 
हर कहानी की 

उस किस्मत के 
हिसाब से ही 
एक लेखक और 
एक लेखनी 
पा जाती हैं 

एक बुरी कहानी 
को एक अच्छी 
लेखनी ही 
मशहूर बनाती है 

-*-*-*-

हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का उन्तीसवाँ क़दम 
इस सप्ताह का विषय है
'किस्मत'
...उदाहरण...
मानना होगा इसे और
करना होगा संतोष
क्योंकि - वक्त से पहले और
किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता
किसी को भी, कभी भी कुछ।

किस्मत भी बनाना पड़ता है -
सदैव कर्मरत रहकर।
कर्मों का यही हिसाब देता है
हमको वह फल, जो आता है
इस लोक और परलोक में
दोनों ही जगह काम।
-देवेन्द्र सोनी

उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से 
कविता लिखना है.....

आप अपनी रचना शनिवार 28 जुलाई 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 30 जुलाई 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
-*-*-
आज्ञा दें यशोदा को ..


13 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष संग शुभ प्रभात छोटी बहना
    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर रचनाओं से सजा शानदार संकलन है दी...👌
    हमक़दम का नया विषय रोचक है।

    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर संकलन ... नए लिंक्स का शुक्रिया ...
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ..

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन संकलन मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सरस संकलन ।
    कहीं राग कहीं रस कहीं व्यंग कहीं तंज कहीं यथार्थ कहीं कल्पना सभी को समेट लिया एक चर्चा पर अतिउत्तम ।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!!खूबसूरत संकलन.!!सभी रचनाकारों को अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' की एक पुरानी कतरन को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  8. सादर आभार सखी यशोदा जी हमेशा की तरह पांच लिंकों का आनंद आनंद दे गया नमन

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई सुंदर संकलन यशोदा जी सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय दीदी -- आज के संकलन में बहुत कुछ नया मिला | इधर कुछ दिनों से यहाँ लिख नहीं पायी पर पढ़ बराबर रही हूँ| सभी रचनाकारों को शुभकामनायें | सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर संकलन। कल नहीं पढ़ पाई थी, आज पढ़ा। अच्छे लिंक्स हैं, सादर आभार साझा करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं

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